हमारे पड़ोसियों तक सुसमाचार का पहुँचना ज़रूरी है
१ यह परमेश्वर की इच्छा है “कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहचान लें।” (१ तीमु. २:४) “सब मनुष्यों” में हमारे सारे पड़ोसी भी शामिल हैं। उन तक सुसमाचार पहुँचाते समय ज़रूरी है कि हमारी प्रस्तावनाएँ विभिन्न प्रकार की हों और जिन लोगों से हम मिलें उनकी रुचि भी ध्यान में रखें। (१ कुरि. ९:१९-२३) “अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए” लोगों के दिलों तक पहुँचने के लिए यहोवा के संगठन ने हमें कई औज़ार दिए हैं। (प्रेरि. १३:४८) आइए देखें कि पड़ोसियों की आध्यात्मिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हम कैसे जुलाई और अगस्त महीने में विभिन्न ब्रोशरों का उपयोग कर सकते हैं।
२ पेश किए जानेवाले ब्रोशर: आप यहाँ कुछ ऐसे सुझाव पाएँगे जो शायद कुछ खास ब्रोशरों को पेश करने के लिए उपयोगी हों। हर सुझाव में निम्नलिखित बातें शामिल हैं, (१) बातचीत शुरू करने के लिए विचार-प्रेरक प्रश्न, (२) ब्रोशर में जहाँ बात करने के मुद्दे दिए गए हैं उनके हवाले, (३) एक उचित शास्त्रवचन जिसे चर्चा के दौरान पढ़ा जा सकता है। फिर व्यक्ति की प्रतिक्रिया को देखते हुए आप प्रस्तावना में अपनी ओर से भी कुछ कह सकते हैं। अधिकांश ब्रोशरों के लिए हमारी राज्य सेवकाई के पहले के अंक दिए गए हैं, जहाँ ब्रोशर पेश करने की जानकारी विस्तार में दी गई है।
क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?
आपके विचार से ऐसे लोगों के लिए जिनके साथ दुर्व्यवहार हुआ है, कौन-सी आशा है?—पृष्ठ २७-८, अनुच्छेद २३-७; यशा. ६५:१७, १८; km ७/९७ पृ. ८.
जीवन का उद्देश्य क्या है—आप इसे कैसे पा सकते हैं?
ऐसा क्यों है कि आज अनेक लोग अपने जीवन से संतुष्ट नज़र नहीं आते?—पृष्ठ २९-३०, अनुच्छेद २, २५-६; भज. १४५:१६; km ७/९६ पृ. ४.
अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिए!
क्या आपने कभी सोचा है कि इस वक्त यीशु मसीह क्या कर रहा है? —चित्र ४१-२; प्रका. ११:१५; km ८/९६ पृ. ८.
वह शासन जो प्रमोदवन लाएगा।
क्या आप उस राज्य के बारे में जानना चाहेंगे जिसके लिए यीशु ने हमें प्रार्थना करना सिखाया था?—पृष्ठ ३; मत्ती ६:९, १०.
जब आपके किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाती है। (अंग्रेज़ी)
क्या आपने कभी सोचा है कि उन्हें कैसे सांत्वना देनी चाहिए जिन्होंने अपने किसी प्रियजन को मौत में खो दिया है?—पृष्ठ २६, अनुच्छेद २-५; यूह. ५:२८, २९; km ७/९७ पृ. ८.
क्या आपको त्रियेक में विश्वास करना चाहिए?
परमेश्वर के असल स्वरूप के बारे में जानना क्या हमारे भविष्य के लिए ज़रूरी है?—पृष्ठ ३, अनुच्छेद ३, ७-८; यूह. १७:३.
३ अन्य ब्रोशर: फरवरी १९९८ की हमारी राज्य सेवकाई का अंतःपत्र दूसरे प्रकाशनों की सूची देता है, जिसमें ऐसे ब्रोशर शामिल हैं जो विशेषकर बौद्ध लोगों, हिंदुओं, यहूदियों तथा मुसलमानों को साक्षी देने के लिए बनाए गए हैं। जहाँ उचित हो, जिनसे हम मिलते हैं उन्हें ये ब्रोशर दिए जा सकते हैं। आप उस अंतःपत्र के पृष्ठ ४-६ पर साथ ही रीज़निंग किताब के पृष्ठ २१-४ पर दिए गए सुझावों पर दोबारा विचार कर सकते हैं और इन लोगों की दिलचस्पी जगानेवाली संक्षिप्त प्रस्तावनाएँ तैयार कर सकते हैं।
४ एक और ब्रोशर ऐसों की मदद करने के लिए बनाया गया है जो काफी पढ़े-लिखे हैं परंतु बाइबल के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं जानते हैं। यह इस तरह बनाया गया है, जिससे कि वे परमेश्वर के वचन के बारे में अधिक जानने के लिए प्रेरित हों। जहाँ उचित हो वहाँ आप निम्नलिखित ब्रोशर पेश कर सकते हैं:
सब लोगों के लिए एक किताब।
क्या आप इस बात से सहमत होंगे कि संपूर्ण शिक्षा लेने में बाइबल का भी कुछ ज्ञान लेना सम्मिलित है?—पृष्ठ ३, अनुच्छेद १-३ और पृष्ठ ३०, अनुच्छेद २; सभो. १२:९, १०.
५ बाइबल अध्ययन के लिए ब्रोशर: सेवकाई में हमेशा हमारा लक्ष्य बाइबल अध्ययन शुरू करने का होना चाहिए फिर वह चाहे पहली भेंट हो या पुनःभेंट। ऐसा करने के लिए यहाँ एक ब्रोशर का ज़िक्र किया गया है जिसके ज़रिए आसानी से गृह-बाइबल अध्ययन शुरू किया और चलाया जा सकता है:
परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है?
क्या आप जानते हैं कि अगर हर हफ्ते ३० मिनट या उससे भी कम समय दिया जाए तो १६ हफ्तों में आप बाइबल की बुनियादी समझ प्राप्त कर सकते हैं?—पाठ २, अनुच्छेद ६; २ तीमु. ३:१६, १७; km ३/९७ पृ. ४.
६ दयालु सामरी के दृष्टांत में यीशु ने साफ ज़ाहिर किया कि पड़ोसी असल में वही है जो दूसरे को संकट के वक्त प्रेम और दया दिखाए। (लूका १०:२७-३७) हमारे पड़ोसी आध्यात्मिक संकट में हैं। उन तक सुसमाचार का पहुँचना ज़रूरी है। आइए उन्हें सुसमाचार सुनाने की ज़िम्मेदारी हम पूरी करें और यूँ खुद को यीशु मसीह का सच्चा चेला साबित करें।—मत्ती २४:१४; गल. ५:१४.