दलील देकर समझाने की काबिलीयत हम कैसे बढ़ा सकते हैं
‘दलील देने’ का मतलब यह भी है कि “इस तरह से बात करना कि सुननेवाला कायल होकर कदम उठाए या अपने सोचने के तरीके में सुधार करे।” अगर आप सेवकाई में कामयाब होना चाहते हैं तो ज़रूरी है कि आप दलील देकर समझाने की काबिलीयत बढ़ाएँ। (प्रेरि. 17:2-4, हिन्दुस्तानी बाइबल) लेकिन आप यह काबिलीयत कैसे बढ़ा सकते हैं?
2 सबसे पहले मनन करना ज़रूरी है: जब आप बाइबल की सच्चाइयों का अध्ययन करते हैं, तब जो बातें आप सीखते हैं उन पर मनन करना आपके लिए मददगार होगा। अगर कुछ बातें समझना मुश्किल लगता है, तो उन्हें समझने के लिए संस्था की किताबों में रिसर्च कीजिए और फिर उन बातों पर मनन कीजिए। सच्चाइयों को न सिर्फ अच्छी तरह समझने की कोशिश कीजिए बल्कि यह भी जानने की कोशिश कीजिए कि उन्हें समझाने के लिए संस्था की किताबों में बाइबल से कौन-से सबूत पेश किए गए हैं।
3 प्रचार काम के लिए तैयारी करना ज़रूरी है: इस बात पर सोचिए कि आप बाइबल की सच्चाई अलग-अलग तरह के लोगों को किस तरह समझाएँगे। दिलचस्पी पैदा करनेवाले सवाल सोचकर रखिए। फिर उस सवाल के साथ बाइबल की किसी बात को जोड़कर उस पर दलील कैसे दी जा सकती है, इस बारे में विचार कीजिए। पहले से सोचकर रखिए कि बातचीत में लोग किस तरह के सवाल पूछ सकते हैं और आप उनका जवाब किस तरह देंगे। जो साहित्य आप उन्हें देंगे, उसमें से कोई ऐसी बात चुनकर रखिए जो दिलचस्पी जगाने के लिए बिलकुल सही होगी।
4 यीशु की मिसाल पर चलिए: बाइबल से दलील देकर समझाने में यीशु की मिसाल सबसे बेहतरीन है। उसके सिखाने के तरीके पर गौर करने के लिए आइए हम लूका 10:25-27 को देखें। उसके इस तरीके पर गौर कीजिए: (1) लोगों के सवालों के जवाब बाइबल से दीजिए। (2) लोगों से उनकी राय पूछिए और जब वे अच्छे जवाब देते हैं तो उनको शाबाशी दीजिए। (3) इस बात का ध्यान रखिए कि पूछे गए सवाल और बाइबल की जो आयत आप दिखाते हैं, वे एक-दूसरे से मेल खाते हों। (4) एक ऐसा दृष्टांत बताइए जो सुननेवाले के दिल को छू जाए, साथ ही आपको पक्का यकीन हो कि जवाब का असली मतलब उसने समझ लिया है।—मार्च 1, 1986 का प्रहरीदुर्ग (अँग्रेज़ी) पेज 27-8, पैराग्राफ 8-10 देखिए।
5 हमें जो औज़ार दिया गया है उसे काम में लाइए: रीज़निंग फ्रॉम द स्क्रिप्चर्स को खास हमारे प्रचार काम के लिए ही छापा गया है इसलिए यह ज़रूरी है कि हम इसे हमेशा प्रचार काम में साथ रखें। इसमें बताया गया है कि बातचीत किस तरह शुरू की जा सकती है, अगर कोई बातचीत में रुकावट डाले तो हम कैसे उस रुकावट को पार कर सकते हैं और इसमें दलील देने की काबिलीयत बढ़ाने के लिए भी कुछ अच्छे सुझाव दिए गए हैं। रीज़निंग किताब एक बहुत ही ज़रूरी औज़ार है जिसे सेवकाई में जाते वक्त हमेशा अपने साथ रखना चाहिए और बाइबल पर चर्चा करते वक्त इसका इस्तेमाल करने से कभी नहीं झिझकना चाहिए। इस किताब के पेज 7-8 में दिए गए सुझाव पढ़कर देखिए कि किस तरह इनका सबसे अच्छा इस्तेमाल किया जा सकता है।
6 अगर आप दलील देने की काबिलीयत बढ़ाएँगे, तो आप और अच्छी तरह प्रचार कर पाएँगे और सिखा भी पाएँगे। इससे आपको और साथ ही जिन लोगों को आप साक्षी देते हैं, उनको ढेरों आशीषें मिलेंगी।