‘सुनिए और अपनी विद्या बढ़ाइए’
नीतिवचन की किताब में बुद्धि को यह कहते हुए बताया गया है: “सुनो, क्योंकि मैं उत्तम बातें कहूंगी, और जब मुंह खोलूंगी, तब उस से सीधी बातें निकलेंगी; उत्तम युक्ति, और खरी बुद्धि मेरी ही है, . . . मेरी सुनो; क्या ही धन्य हैं वे जो मेरे मार्ग को पकड़े रहते हैं। क्योंकि जो मुझे पाता है, वह जीवन को पाता है, और यहोवा उस से प्रसन्न होता है।” (नीति. 8:6, 14, 32, 35) ये शब्द उन हिदायतों के लिए बिलकुल सही बैठते हैं जो हमें बहुत जल्द “परमेश्वर के वचन के सिखानेवाले” ज़िला अधिवेशन, में दिए जाएँगे।
2 पूरी दुनिया के भाई-बहनों की ज़रूरतों का मुआयना किया गया है और उन्हीं ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए इस अधिवेशन का कार्यक्रम तैयार किया गया है। इस अधिवेशन में जो आध्यात्मिक हिदायतें और कारगर सुझाव दिए जाएंगे, उन्हें अगर हम अपने जीवन में लागू करेंगे तो हम खुश रह सकेंगे, परमेश्वर के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाए रख सकेंगे और अनंत जीवन के मार्ग पर चलते रहेंगे। हमारे पास वाकई बहुत-से कारण है कि हम ‘सुनकर अपनी विद्या बढ़ाएँ।’—नीति. 1:5.
3 कार्यक्रम से पहले: कार्यक्रम का पूरा फायदा उठाने के लिए, हमें उसके शुरू होने से पहले ही अपनी सीट पर होना चाहिए और मन लगाकर सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके लिए ज़रूरी है कि हम निजी तौर पर अच्छी तरह व्यवस्थित हों। एक अहम बात यह है कि हम अपने काम जल्दी शुरू करें। अधिवेशन से पहली रात जल्दी सोइए। सुबह जल्दी उठिए जिससे कि आपके ग्रूप में हर किसी को तैयार होने और कुछ खाने-पीने के लिए काफी समय मिल सके। अधिवेशन की जगह जल्दी पहुँचिए जिससे कि आप सीट ढूँढ़ सकें और कार्यक्रम शुरू होने से पहले बाकी ज़रूरी काम निपटा सकें। हर दिन सवेरे 8 बजे हॉल का दरवाज़ा खुलेगा और कार्यक्रम 9:30 बजे शुरू होगा।
4 हमारे इकट्ठा होने का खास मकसद है, “सभाओं में” यहोवा की स्तुति करना। इसलिए सुबह और दोपहर के कार्यक्रम की शुरूआत ऐसी होनी चाहिए जिससे परमेश्वर की महिमा हो। (भज. 26:12) इसी बात को ध्यान में रखते हुए सभी को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे कार्यक्रम के शुरूआती गीत की घोषणा होने से पहले अपनी-अपनी सीटों पर बैठ जाएं। यह बाइबल की इस हिदायत के मुताबिक है: “सारी बातें सभ्यता और क्रमानुसार की जाएं।” (1 कुरि. 14:40) हम सबके लिए इसका क्या मतलब है? जब आप देखेंगे कि संगीत शुरू होने पर चेयरमैन अपनी सीट पर बैठ चुका है तो आपको भी तुरंत अपनी सीट पर बैठ जाना चाहिए। ऐसा करने से आप हर सुबह और दोपहर के कार्यक्रम की शुरूआत का गीत बुलंद आवाज़ में गाकर यहोवा की स्तुति कर सकेंगे।—भज. 149:1.
5 कार्यक्रम के दौरान: “यहोवा की व्यवस्था का अर्थ बूझ लेने, और उसके अनुसार चलने . . . के लिये [एज्रा ने] अपना मन लगाया था।” (एज्रा 7:10) अधिवेशन में हम कैसे यहोवा की तरफ से मिलनेवाली हिदायतों को लेने के लिए अपना मन तैयार कर सकते हैं? जब आप कार्यक्रम की पर्ची में दिए गए भाषणों के शीर्षक देखते हैं तो अपने आप से पूछिए, ‘इस कार्यक्रम के ज़रिए यहोवा मुझसे क्या कह रहा है? इस जानकारी को मैं अपने और अपने परिवार के लाभ के लिए कैसे लागू कर सकता हूँ?’ (यशा. 30:21; इफि. 5:17) पूरे अधिवेशन के दौरान अपने आप से ऐसे सवाल पूछते रहिए। ऐसे मुद्दों को लिख लीजिए जिन्हें आप इस्तेमाल करना चाहते हैं। फिर उन मुद्दों पर हर दिन के कार्यक्रम के अंत में चर्चा करने के लिए समय निकालिए। इस तरह से आप सीखी हुई बातों को याद रख सकेंगे और उन्हें अपने जीवन में लागू करने में भी आपको मदद मिलेगी।
6 एक-साथ कई घंटों तक ध्यान लगाकर सुनना एक चुनौती हो सकती है। तो फिर मन को भटकने से रोकने के लिए क्या किया जा सकता है? अपनी देखने की काबिलियत का फायदा उठाइए। जिस चीज़ पर हमारी नज़र गढ़ी रहती है, उसी पर काफी हद तक हमारा ध्यान लगा रहता है। (मत्ती 6:22) इसलिए हर आवाज़ या आहट की तरफ देखने से अपने आपको रोकिए। अपनी आँखों को वक्ता पर टिकाए रखिए। जब कोई आयत पढ़ी जाती है तो आप भी बाइबल खोलकर देखिए और जब उस आयत पर चर्चा की जाती है तो उसे खुला ही रखिए।
7 मसीही प्रेम हमें कार्यक्रम के दौरान दूसरों का ध्यान भंग करने से भी रोकेगा। (1 कुरि. 13:5) अधिवेशन “चुप रहने” और सुनने का “समय” है। (सभो. 3:7) इसलिए फिज़ूल की बातें करने और और इधर-उधर आने-जाने से अपने आपको रोकिए। पहले से अच्छी योजना बनाइए ताकि आपको कार्यक्रम के दौरान बार-बार टॉयलॆट जाने की ज़रूरत न पड़े। अगर आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई गंभीर समस्या नहीं है, तो निर्धारित समय तक कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए। जो लोग अपने साथ सेल्यूलर फोन, पेजर, वीडियो कैमरा और फोटो कैमरा लाते हैं, उन्हें इन चीज़ों का इस्तेमाल कार्यक्रम के दौरान इस तरह नहीं करना चाहिए कि दूसरों को ध्यान देने में परेशानी हो। माता-पिताओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पूरा परिवार, जिसमें किशोर भी शामिल हैं, एकसाथ बैठे, जिससे माता-पिता अपने बच्चों पर बराबर नज़र रख सकें।—नीति. 29:15.
8 पिछले साल एक प्राचीन ने, जो कई दशकों से अधिवेशनों में हाज़िर होता आया है कहा: “मुझे यह अधिवेशन बहुत अनोखा लगा और इसकी एक वजह भी है। श्रोताओं में लगभग सभी नोट्स ले रहे थे, यहाँ तक कि छोटे-छोटे बच्चे भी। यह देखकर मुझे बेहद खुशी हुई। वे बाइबल का अच्छा इस्तेमाल कर रहे थे, क्योंकि जब भी वक्ता उन्हें बाइबल से कोई आयत खोलने के लिए कहता तो वे अपनी बाइबल खोलकर देखते थे।” इस तरह से ध्यान लगाकर सुनना वाकई तारीफ के काबिल है। इससे ना सिर्फ हमें बल्कि हमारे साथ हाज़िर बाकी लोगों को भी फायदा होता है। मगर उससे कहीं ज़्यादा हमारे महान उपदेशक, यहोवा परमेश्वर की महिमा होती है।—यशा. 30:20, NW.