पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! जुला.–सितं.
“आजकल हमारे शहरों में ज़्यादा-से-ज़्यादा अस्पताल और मेडिकल सॆंटर खोले जा रहे हैं। लेकिन आपको क्या लगता है कि आज लोग पहले से ज़्यादा सेहतमंद हैं? [जवाब मिलने के बाद यशायाह 33:24 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि चिकित्सा क्षेत्र ने अब तक कितनी तरक्की की है और सभी लोगों को अच्छी सेहत देने के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए अभी और क्या करना बाकी है।”
प्रहरीदुर्ग सितं. 15
“लगभग सभी धर्मों में ऐसे लोग हैं जो सच्चाई के रास्ते पर चलना पसंद करते हैं। लेकिन देखा गया है कि धर्म ही लोगों में फूट पैदा करता है। तो सवाल यह है कि क्या चीज़ सच्चे मन के लोगों को एकता के बंधन में बाँध सकती है? [जवाब मिलने के बाद, सपन्याह 3:9 पढ़िए।] इस पत्रिका से आपको जानकारी मिलेगी कि सच्चे परमेश्वर का ज्ञान कैसे हर जगह रहनेवाले लोगों को एक कर रहा है।”
सजग होइए! जुला.–सितं.
“हममें से ज़्यादातर लोग अपने जीवन में कभी-न-कभी तो प्रार्थना करते ही हैं, लेकिन क्या आपको लगता है कि परमेश्वर हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है? [जवाब के लिए रुकिए।] लेख “क्या परमेश्वर मेरी प्रार्थनाओं को सुनेगा” यह समझने में हमारी मदद करता है कि अगर हम अपनी प्रार्थनाओं का जवाब चाहते हैं तो हमें क्या करने की ज़रूरत है। मुझे यकीन है कि आप और आपका परिवार इसे ज़रूर पढ़ना चाहेगा।”
प्रहरीदुर्ग अक्टू. 1
“आप शायद इस बात से सहमत होंगे कि आज लोग विश्वास जैसे विषय में कोई खास दिलचस्पी नहीं लेते और गिने-चुने लोग ही इस बारे में बात करना पसंद करते हैं। लेकिन ऐसा क्यों है? [जवाब मिलने के बाद इब्रानियों 11:1 पढ़िए।] इस पत्रिका में बताया गया है कि सच्चा विश्वास क्या है और हमारे विश्वास करने या न करने से हम पर क्या असर पड़ता है।”