पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! जन.- मार्च
“लोगों की जान लेने में सभी संक्रामक बीमारियों में आज एड्स संसार भर में सबसे आगे है। लेकिन क्या इसके शिकार हुए लोगों को कोई आशा है? [जवाब के लिए रुकिए।] हमारे सिरजनहार ने वादा किया है कि वह वक्त आ रहा है जब कोई नहीं कहेगा: ‘मैं रोगी हूं।’ [यशायाह 33:24 पढ़िए।] सजग होइए! का यह अंक इस सवाल का जवाब देता है कि क्या एड्स का प्रकोप कभी खत्म होगा?”
प्रहरीदुर्ग मार्च 15
“क्या आपको लगता है कि यीशु की शिक्षाएँ हमारे ज़माने के लिए कारगर हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] यीशु ने धरती पर अपनी ज़िंदगी के आखिरी दिन यह आज्ञा दी जिससे बेशक आप भी सहमत होंगे। [यूहन्ना 15:12 पढ़िए।] उस दिन यीशु ने और भी कई अनमोल सबक सिखाए थे। प्रहरीदुर्ग का यह अंक दिखाता है कि उनसे हमें कैसे फायदा हो सकता है।”
सजग होइए! जन.- मार्च
“हम में से बहुत-से लोगों में कुछ बुरी आदते हैं। क्या आपको लगता है इन पर काबू पाया जा सकता है? [जवाब के लिए रूकिए, और रोमियों 7:18, 19 पढ़िए।]” सजग होइए! का यह अंक [पेज 26 दिखाते हुए] बुरी आदतों के बारे में परमेश्वर का नज़रिया बताता है, और यह हमारी बुरी आदतों पर जीत पाने में हमारी मदद कर सकता है।”
प्रहरीदुर्ग अप्रै. 1
“इस तसवीर में वह भोज दिखाया गया है जिसे परंपरा के मुताबिक आखिरी भोज कहा जाता है। [पत्रिका का पहला और आखिरी पन्ना दिखाइए।] क्या आप जानते हैं कि मसीहियों को सिर्फ यही समारोह मनाने की आज्ञा दी गयी थी? [जवाब के लिए रुकिए। और फिर लूका 22:19 पढ़िए।] इस पत्रिका में बताया है कि यह समारोह क्यों इतनी अहमियत रखता है और यह आप पर कैसे असर करता है।”