पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! जुला.-सितं.
“हम सभी मलेरिया, डेंगू और पीत ज्वर से बचना चाहते हैं। क्या आप जानते हैं कि कीड़े-मकोड़ों से फैलनेवाली बीमारियों से अपना बचाव करने के लिए कुछ तरीके मौजूद हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका, एहतियात बरतने के कुछ तरीकों के बारे में बताने के साथ-साथ परमेश्वर के इस वादे के बारे में भी बताती है कि ऐसा समय आएगा जब कोई बीमारी नहीं रहेगी।” आखिर में यशायाह 33:24 पढ़िए।
प्रहरीदुर्ग अग. 15
“ज़्यादातर लोगों की नज़र में अच्छे नाम का बहुत मोल होता है। कुछ लोग तो यहाँ तक सोचते हैं कि उनकी मौत के बाद उन्हें कैसे याद किया जाएगा? क्या आपने कभी ऐसा सोचा है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर सभोपदेशक 7:1 पढ़िए।] यह प्रहरीदुर्ग पत्रिका बताती है कि हम इंसानों और परमेश्वर की नज़र में कैसे एक अच्छा नाम कमा सकते हैं।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“आप शायद इस बात से सहमत हों कि रूखे लहज़े में बात करने से पति-पत्नी के रिश्ते में दरार आ सकती है। [जवाब के लिए रुकिए।] यह लेख, ‘ऐसा मत बोलिए जिससे दिल को गहरी चोट पहुँचे’ बताता है कि हमें ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे पारिवार में एक-दूसरे के साथ हमारा रिश्ता मज़बूत हो।” इफिसियो 4:29 पढ़कर अपनी बात खत्म कीजिए।
प्रहरीदुर्ग सितं. 1
“बहुत-से लोग मानते हैं कि दुनिया में अलग-अलग धर्म, अलग-अलग रास्तों की तरह हैं जो एक ही मंज़िल की ओर ले जाते हैं। दूसरे विश्वास करते हैं कि सिर्फ एक ही सच्चा धर्म है। क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है? [जवाब के लिए रुकिए।] इस विषय को और भी अच्छी तरह समझने के लिए यह पत्रिका, पुराने ज़माने के एक दृष्टांत के बारे में बताती है।” मत्ती 13:24-30 से चंद बातें बताइए।