पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग अग. 15
“जब किसी का कोई अपना मर जाता है, तो उसे गहरा सदमा पहुँचता है और वह अकसर मन में सोचता है कि आखिर मरने पर इंसान का क्या होता होगा। आपको क्या लगता है, क्या मौत के बारे में हकीकत जानना मुमकिन है? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका समझाती है कि मरे हुए किस दशा में हैं, इस बारे में बाइबल क्या कहती है। यह परमेश्वर के इस वादे के बारे में भी समझाती है कि हमारे जो अपने मौत की नींद सो रहे हैं, उन्हें वह दोबारा ज़िंदा करेगा।” यूहन्ना 5:28, 29 पढ़िए।
सजग होइए! जुला.–सितं.
“आजकल हमारे देश में भी ज़्यादा-से-ज़्यादा जवानों को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जो पहले सिर्फ दूसरे देशों में हुआ करती थी, है ना? [जवाब के लिए रुकिए।] मिसाल के लिए, इस समस्या पर गौर कीजिए। [पेज 18 पर दिया लेख दिखाइए।] देखिए कि यहाँ जवानों के लिए कितनी अच्छी सलाह दी गयी है। [नीतिवचन 18:13 पढ़िए और लेख की तरफ ध्यान खींचिए।] यह लेख ऐसी कुछ बातों पर रोशनी डालता है जिन पर हमें ध्यान देना चाहिए।”
प्रहरीदुर्ग सितं. 1
“आज के ज़माने में, वफादारी के उसूल की तारीफ तो बहुत की जाती है, मगर ऐसे लोग बहुत कम हैं जो सचमुच वफादारी निभाते हैं। ज़रा इस आयत पर गौर कीजिए, अगर हर कोई यहाँ बताए मित्र की तरह हो, तो कितना बढ़िया होगा, है ना? [नीतिवचन 17:17 पढ़िए। फिर जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका समझाती है कि अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ वफादारी निभाने से क्या फायदे मिलते हैं।”
सजग होइए! जुला.–सितं.
“ज़्यादातर माता-पिता सोच-समझकर तय करते हैं कि उनके बच्चे कौन-सी फिल्म देख सकते हैं और कौन-सी नहीं। क्या आपको लगता है कि आजकल अपने परिवार के लिए अच्छी फिल्मों का चुनाव करना मुश्किल हो गया है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर इफिसियों 4:17 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि माता-पिता कैसे अपने बच्चों को अच्छे मनोरंजन का चुनाव करने में मदद दे सकते हैं।”