पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! अप्रै.-जून
“हम सभी की यह तमन्ना होती है कि हमारे बच्चे बड़े होकर, कामयाब और खुशहाल ज़िंदगी बिताएँ। लेकिन आज जहाँ देखो वहाँ तनाव है। आपको क्या लगता है कि इस हालात का सामना करने के लिए बच्चों को खासकर किस चीज़ की ज़रूरत है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर नीतिवचन 22:6 पढ़िए।] सजग होइए! के इस अंक में बताया गया है कि बच्चों की ज़रूरतें क्या हैं, और माता-पिता कैसे उन ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं।”
प्रहरीदुर्ग अप्रै. 15
“कुछ लोगों को लगता है कि ज़िंदगी में जो कुछ घटता है, यहाँ तक कि जो हादसे होते हैं, वे सब परमेश्वर की मरज़ी से होते हैं। क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है? [जवाब के लिए रुकिए।] बहुत-से लोग यह प्रार्थना जानते हैं। [मत्ती 6:10ख पढ़िए।] इस धरती के लिए परमेश्वर की मरज़ी क्या है, और वह उसे कब पूरा करेगा? इस पत्रिका में बाइबल से जवाब दिया गया है।”
सजग होइए! अप्रै.-जून
“बहुत-से लोगों का मानना है कि बातचीत के ज़रिए पूरी दुनिया में सच्ची शांति लायी जा सकती है। तो फिर शांति के लिए की जानेवाली बातचीत ज़्यादातर नाकाम क्यों होती है? [जवाब के लिए रुकिए।] इस नाकामी की असली वजहें इस पत्रिका में बतायी गयी हैं। इसमें बाइबल के इस वादे के बारे में भी बताया गया कि एक ऐसी दुनिया कायम होगी जहाँ सच्ची शांति के लिए हमारी मुराद पूरी होगी, जी हाँ ऐसी शांति जो हमेशा-हमेशा के लिए रहेगी!” भजन 37:11, 29 पढ़िए।
प्रहरीदुर्ग मई 1
“कई धर्म-गुरु, समाज को सुधारने के लिए राजनीति में हिस्सा लेते हैं। लेकिन गौर कीजिए कि जब लोगों ने यीशु को ज़बरदस्ती राजा बनाना चाहा, तो उसने क्या किया। [यूहन्ना 6:15 पढ़िए।] यीशु ने खासकर एक ऐसे काम पर ध्यान दिया जिससे हमेशा के लिए दूसरों की भलाई होती। वह काम क्या था, यह पत्रिका उस बारे में बताती है।”