पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! जुला.-सितं.
“जब ज़िंदगी में कोई हादसा होता है, तो कुछ लोग परमेश्वर से नाराज़ हो जाते हैं। क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया या क्या आप किसी को जानते हैं जिसने ऐसा महसूस किया हो? [जवाब के लिए रुकिए।] ऐसी भावना, परमेश्वर के प्यार और उसकी बुद्धि को नज़रअंदाज़ करती है। [याकूब 1:13, 17 पढ़िए।] सजग होइए का यह लेख समझाता है कि परमेश्वर क्यों हमें दुःख-तकलीफों से गुज़रने देता है।”
प्रहरीदुर्ग सितं. 15
“शायद आपने एक जानी-मानी प्रार्थना के ये शब्द सुने होंगे या फिर आप खुद अपनी प्रार्थनाओं में इन्हें दोहराते होंगे। [मत्ती 6:10 पढ़िए।] आपको क्या लगता है, जब धरती पर परमेश्वर की इच्छा हर मायने में पूरी होगी, तब ज़िंदगी कैसी होगी? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका समझाती है कि जानी-मानी प्रभु की प्रार्थना के एक-एक हिस्से में कितना गहरा अर्थ छिपा है। अभी हमने उस प्रार्थना का जो हिस्सा पढ़ा, उसका मतलब भी इसमें समझाया गया है।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“ऐसा लगता है कि चिकित्सा क्षेत्र की बेहतरीन खोजों के बावजूद, आज भी संक्रामक बीमारियों से अरबों लोगों की सेहत को खतरा हो रहा है। आपकी राय में क्या परमेश्वर, इंसानों की सेहत में दिलचस्पी रखता है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर यशायाह 25:8 पढ़िए।] यह पत्रिका इस बारे में सबूत देकर समझाती है कि परमेश्वर हमारी परवाह करता है और उसने बीमारी, साथ ही ऐसे हालात को मिटाने का पक्का वादा किया है जिनसे बीमारियाँ फैलती हैं, जैसे अकाल, गरीबी और युद्ध।”
प्रहरीदुर्ग अक्टू. 1
“क्या आपने कभी सोचा है कि आज तक हम अपराध, हिंसा और युद्ध का अंत क्यों नहीं देख पाए? आपकी राय में क्या हम कभी इन शब्दों को सच होते देखेंगे? [भजन 37:11 पढ़िए और जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका इस बारे में बढ़िया जानकारी देती है कि परमेश्वर का यह वादा, कैसे उस मकसद से जुड़ा है जो उसने शुरू में इंसानों के लिए ठहराया था। इसमें यह भी बताया गया है कि परमेश्वर का वह मकसद पूरा होने पर, आशीष पाने के लिए हमें क्या करना होगा।”