पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“जब हम सुनते हैं कि बच्चों का किस तरह नाजायज़ फायदा उठाया जाता है, तो हम सभी को बहुत दुःख होता है। शायद आपने सोचा होगा, ‘क्या परमेश्वर को इसकी कोई परवाह है?’ [जवाब के लिए रुकिए। इसके बाद भजन 72:12-14 पढ़िए।] इस लेख में समझाया गया है कि परमेश्वर बच्चों के बारे में कैसा महसूस करता है और किस तरह वह बहुत जल्द उन सभी को हमेशा के लिए राहत दिलाएगा जो ज़ुल्म सह रहे हैं।”
प्रहरीदुर्ग अक्टू. 15
“कुछ लोग मानते हैं कि उनके पास जितना ज़्यादा पैसा होगा, उन्हें उतनी ही खुशी मिलेगी। आपके खयाल से क्या यह सच है? [जवाब के लिए रुकिए।] ध्यान दीजिए कि एक ऐसे आदमी ने क्या लिखा जो एक ज़माने में दुनिया का सबसे बड़ा रईस था। [सभोपदेशक 5:10 पढ़िए।] इस पत्रिका में ऐसे आदर्शों पर चर्चा की गयी है जो धन-दौलत से कहीं बढ़कर हैं।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“जब हम सुनते हैं कि दूसरे देशों में खासकर नौजवानों में अनैतिकता बढ़ रही है, तो हमें बहुत चिंता होती है। क्या आपको लगता है कि हमारे देश में भी ऐसा हो रहा है? [जवाब के लिए रुकिए।] ध्यान दीजिए कि इस मामले में परमेश्वर क्या सलाह देता है। [1 थिस्सलुनीकियों 4:3-5 पढ़िए।] यह पत्रिका समझाती है कि अनैतिकता के खतरे क्या हैं और अगर खुद को काबू में रखा जाए तो कैसे इन खतरों से बचा जा सकता है।”
प्रहरीदुर्ग नवं. 1
“आज कई लोगों को अब नेताओं पर भरोसा नहीं रहा कि वे हमारी समस्याओं का हल कर पाएँगे। आपकी राय में, इस भविष्यवाणी में बताए हालात लाना किसके बस में है? [भजन 72:7, 12, 16 पढ़िए। फिर जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका समझाती है कि यहाँ भविष्यवाणी में बताया अगुवा कौन है और वह क्या करेगा।”