पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग अक्टू. 15
“कई लोगों का मानना है कि कामयाब ज़िंदगी का राज़ है, अच्छी शिक्षा। आपकी क्या राय है, क्या ऐसी कोई शिक्षा है जो लोगों को अच्छे इंसान बना सके और ज़िंदगी की समस्याओं का सामना करने में उनकी मदद कर सके? [जवाब के लिए रुकिए। फिर रोमियों 12:2 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि आज मिलनेवाली सबसे बेहतरीन शिक्षा से हम कैसे फायदा उठा सकते हैं।”
सजग होइए! अक्टू.–दिसं.
“क्या आपको यह जानकर ताज्जुब होता है कि आजकल चाँद और मंगल ग्रह पर कॉलोनियाँ बनाने के खूब चर्चे हो रहे हैं, जबकि बहुत-से गरीब लोगों के पास इसी ज़मीन पर रहने के लिए ढंग का घर नहीं है? [जवाब के लिए रुकिए, फिर यशायाह 65:21, 22 पढ़िए।] सजग होइए! का यह अंक समझाता है कि हम क्यों अपने सिरजनहार के इस वादे पर भरोसा कर सकते हैं।”
प्रहरीदुर्ग नवं. 1
“आज दुनिया में हो रही नाइंसाफी से कई लोग परेशान हैं। आपकी राय में, क्या ऐसा कोई है जो इस दुनिया को बदल सके? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि बदलाव लाने में क्या-क्या रुकावटें हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि कौन है जो इन सारी रुकावटों को दूर करेगा और वह किस तरह एक ऐसी दुनिया लाएगा जहाँ सच्ची शांति होगी और लोग महफूज़ रहेंगे।” भजन 72:12-14 पढ़िए।
सजग होइए! अक्टू.–दिसं.
“दुनिया-भर में सोने के ज़ेवरातों को बहुत कीमती माना जाता है। क्या आप जानना चाहते हैं कि सोना कहाँ पाया जाता है? [पेज 26 पर दिया बक्स दिखाइए।] इस लेख में न सिर्फ यह बताया गया है कि सोना कहाँ पाया जाता है, बल्कि यह भी कि आज किन अलग-अलग तरीकों से सोने का इस्तेमाल किया जाता है।”