पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग अक्टू. 1
“क्या आपको लगता है कि ज़िंदगी में एक मकसद होने से हम खुशहाल होंगे? [जवाब के लिए रुकिए, फिर 1 यूहन्ना 2:15-17 पढ़िए। इसके बाद पेज 19 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में और अगले लेख में समझाया गया है कि कैसे परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने से हम ज़िंदगी में कामयाबी और खुशहाली पा सकते हैं।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“हममें से ज़्यादातर लोग अच्छी सेहत और लंबी उम्र पाना चाहते हैं। क्या आपको लगता है कि ज़िंदगी में सही नज़रिया रखने से हमारी सेहत बेहतर हो सकती है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर नीतिवचन 17:22 पढ़िए।] इस लेख में समझाया गया है कि आशावादी होना क्यों फायदेमंद है।” फिर पेज 22 पर दिया लेख दिखाइए।
प्रहरीदुर्ग नवं. 1
“कई लोगों को लगता है कि कल का कोई भरोसा नहीं। इसलिए वे बस आज ही के लिए जीते हैं। इस बारे में आपकी क्या राय है? [जवाब के लिए रुकिए।] यीशु ने इस बारे में एक बड़ी दिलचस्प बात कही थी। [मत्ती 6:34 पढ़िए।] यह पत्रिका समझाती है कि हम आनेवाले कल की तैयारी कैसे कर सकते हैं। मगर साथ ही, इसमें यह भी बताया गया है कि हम हद-से-ज़्यादा चिंता करने से कैसे दूर रह सकते हैं।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“बच्चों की परवरिश करने में माता-पिता को सबसे बढ़िया सलाह कहाँ से मिल सकती है? आपका क्या खयाल है? [जवाब के लिए रुकिए।] बाइबल में दिए इस वादे पर ध्यान दीजिए। [2 तीमुथियुस 3:16 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि बाइबल कैसे माता-पिताओं को अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करने और उन्हें खुश रखने में कारगर मदद दे सकती है।”