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  • यही वक्‍त है प्रचार करने का!
  • हमारी राज-सेवा—2005
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हमारी राज-सेवा—2005
km 8/05 पेज 3

यही वक्‍त है प्रचार करने का!

“परमेश्‍वर से डरो; और उस की महिमा करो।” आज यह संदेश स्वर्गदूतों की देखरेख में “हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को” सुनाया जा रहा है। मगर क्यों? “क्योंकि [परमेश्‍वर के] न्याय करने का समय आ पहुंचा है।” (तिरछे टाइप हमारे।) आज हम उस ‘न्याय के समय’ में जी रहे हैं, जिसके आखिर में यह दुष्ट संसार मिटा दिया जाएगा। इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि लोग ‘उस परमेश्‍वर का भजन करें, जिस ने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए हैं।’ लोगों को “सनातन सुसमाचार” सुनाने का काम दुनिया का सबसे ज़रूरी काम है, और इसे जल्द-से-जल्द पूरा किया जाना है। जी हाँ, यही वक्‍त है प्रचार करने का!—प्रका. 14:6, 7.

2 पिछले दस सालों के दौरान, यहोवा के सेवकों ने राज्य का प्रचार करने और चेला बनाने में तकरीबन 12 अरब घंटे बिताए हैं। इनमें से कइयों ने आध्यात्मिक कटनी के काम में और ज़्यादा हिस्सा लेने के लिए अपनी ज़िंदगी में काफी फेरबदल किए हैं। (मत्ती 9:37, 38) मिसाल के लिए, पिछले साल हर महीने औसतन 8,50,000 प्रचारकों ने पायनियर सेवा की। जो रेग्युलर पायनियर हैं, वे हर महीने प्रचार में औसतन 70 घंटे बिताते हैं। और सहयोगी पायनियरों को प्रचार में 50 घंटे बिताने की माँग पूरी करनी होती है।

3 पायनियर सेवा के लिए क्या ज़रूरी है: पायनियर इस बात को हमेशा ध्यान में रखते हैं कि “समय कम किया गया है,” इसलिए वे एक सादगी भरा जीवन जीने की कोशिश करते हैं। (1 कुरि. 7:29, 31) वे कम-से-कम खर्च में गुज़ारा चलाने की कोशिश करते हैं ताकि नौकरी-पेशे में उन्हें ज़्यादा वक्‍त बिताने की ज़रूरत न पड़े। जैसे, कुछ लोग अपना घर बदलकर छोटे घरों में रहने लगे हैं। दूसरों ने ऐसी चीज़ों से पीछा छुड़ा लिया है जो उनके जीने के लिए ज़रूरी नहीं हैं। (मत्ती 6:19-21) अपने कुछ शौक पूरे करने या दूसरे निजी काम करने में उनका जो समय लगता था, उसमें भी उन्होंने कटौती की है। ये सारे त्याग वे इसलिए करते हैं ताकि प्रचार काम पर ज़्यादा ध्यान दे सकें, उसमें ज़्यादा वक्‍त बिता सकें। (इफि. 5:15, 16) कई प्रचारक लगन से काम करने, त्याग की भावना दिखाने और प्रार्थना करके यहोवा पर भरोसा रखने की वजह से एक कारगर शेड्‌यूल बना सके हैं, जिससे वे पायनियर सेवा कर पाते हैं।

4 क्या आप भी पायनियर सेवा कर सकते हैं? अगर हाँ, तो क्यों न आप कुछ कामयाब पायनियरों से बात करके देखें कि वे यह सेवा कैसे कर पाते हैं? उनके साथ प्रचार में जाइए और पायनियर सेवा में मिलनेवाली खुशी खुद महसूस करके देखिए। हमारे साहित्य में पायनियर सेवा के बारे में छपे लेखों का अध्ययन कीजिए। अपने लिए कुछ कारगर लक्ष्य रखिए, जो आपको पायनियर सेवा के मुकाम तक पहुँचने में मदद दे सकते हैं। अगर आपके सामने कुछ रुकावटें हैं जिनकी वजह से आप फिलहाल पायनियर सेवा नहीं कर पा रहे हैं, तो उनके बारे में यहोवा से प्रार्थना कीजिए और उन्हें दूर करने के लिए उससे मदद माँगिए।—नीति. 16:3.

5 आशीषें और खुशियाँ: पायनियर सेवा, परमेश्‍वर के वचन का इस्तेमाल करने में हमारे हुनर को और भी निखार देती है। इसलिए सेवा में हमारी खुशी और भी बढ़ जाती है। एक जवान पायनियर बहन कहती है: “परमेश्‍वर के वचन को ठीक रीति से काम में लाने का हुनर होना एक बहुत बड़ी आशीष है। पायनियर सेवा में हमें बाइबल का ज़्यादा-से-ज़्यादा इस्तेमाल करने का मौका मिलता है। इसलिए घर-घर के प्रचार में मुझे पता रहता है कि किस घर-मालिक को कौन-सी आयतें पढ़कर सुनाना सही होगा।”—2 तीमु. 2:15.

6 इसके अलावा, पायनियर सेवा हमारे अंदर ऐसी कई काबिलीयतें बढ़ाती है जो ज़िंदगी में हमारे काम आती हैं। यह सेवा जवानों को, वक्‍त का सही इस्तेमाल करना, पैसा सोच-समझकर खर्च करना और दूसरों के साथ अच्छा रिश्‍ता बनाए रखना सिखाती है। पायनियर सेवा करने की वजह से कई लोग ज़िंदगी के बारे में परमेश्‍वर का नज़रिया बनाए रखना और भी अच्छी तरह सीखते हैं। (इफि. 4:13) इतना ही नहीं, पायनियर खुद महसूस कर पाते हैं कि किस तरह यहोवा उनकी मदद करता और उन्हें आशीषें देता है।—प्रेरि. 11:21; फिलि. 4:11-13.

7 शायद पायनियर सेवा की सबसे बड़ी आशीषों में से एक यह है कि हम यहोवा के और भी करीब आते हैं। यह नज़दीकी रिश्‍ता हमें ज़िंदगी की मुश्‍किलों का सामना करने की हिम्मत देता है। एक बहन जिसने पहाड़ जैसी मुश्‍किलों का सामना किया है, वह कहती है: “पायनियर सेवा करके मैंने यहोवा के साथ जो करीबी रिश्‍ता बढ़ाया है, उसी की बदौलत मैं सारी तकलीफों को सह पायी हूँ।” वह आगे कहती है: “यह सोचकर मुझे बहुत खुशी होती है कि मैंने एक बालिग के नाते अपनी ज़िंदगी पूरे समय यहोवा की सेवा करने में लगायी। पायनियर सेवा की बदौलत दूसरों की खातिर खुद को देने के मुझे ऐसे कई मौके मिले, जिनके बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था।” (प्रेरि. 20:35) ऐसा हो कि हम भी इस बहन की तरह प्रचार के ज़रूरी काम में अपना भरसक करें और ढेरों आशीषें पाएँ।—नीति. 10:22.

[अध्ययन के लिए सवाल]

1. आज प्रचार करना क्यों बेहद ज़रूरी है?

2. यहोवा के सेवक किस तरह दिखा रहे हैं कि वे वक्‍त की नज़ाकत को समझते हैं?

3. कई प्रचारकों को पायनियर सेवा करने के लिए ज़िंदगी में कैसे फेरबदल करने की ज़रूरत पड़ती है?

4. पायनियर सेवा के मुकाम तक पहुँचने के लिए कौन-से कारगर कदम आपकी मदद कर सकते हैं?

5. पायनियर सेवा, प्रचार में अपने हुनर को निखारने में कैसे हमारी मदद करती है?

6. पायनियर सेवा में क्या-क्या सीखने को मिलता है?

7. पायनियर सेवा, यहोवा के करीब आने में किस तरह हमारी मदद करती है?

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