पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जून 1
“परमेश्वर ने हमें ज़िंदगी में अपनी मरज़ी से चुनाव करने की आज़ादी दी है, मगर हम सही चुनाव कैसे कर सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए। व्यवस्थाविवरण 30:20 पढ़िए और फिर पेज 26 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में ऐसे तीन कदम बताए गए हैं जो सही फैसले लेने में हमारी मदद कर सकते हैं।”
सजग होइए! अप्रै.-जून
“आज स्कूलों में अनैतिक काम बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में हमारे बच्चे सही चालचलन कैसे बनाए रख सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए। नीतिवचन 22:3 पढ़िए। फिर पेज 16 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में कुछ व्यवहारिक सलाहें दी गयी हैं जो स्कूल में जानेवाले बच्चों को सही चालचलन बनाए रखने में मदद करेंगी।”
प्रहरीदुर्ग जुला. 1
“क्या आपको लगता है कि आज इतनी समस्याओं के रहते हुए भी हम खुश हो सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका मार्गदर्शन देनेवाली एक ऐसी किताब के बारे में बताती है जो हमें ज़िंदगी की चुनौतियों का सामना करने में मदद देती है। साथ ही, यह एक सच्ची आशा के बारे में बताती है जिससे हम अपनी खुशी को बरकरार रख सकते हैं।” प्रकाशितवाक्य 21:3,4 पढ़िए।
सजग होइए! जुला.-सितं.
“आतंकवाद कोई नयी बात नहीं है, बल्कि आज यह बढ़कर पूरी दुनिया में फैल गया है और लगभग हर इंसान की ज़िंदगी पर इसका असर पड़ रहा है। आपकी राय में ऐसा क्यों हो रहा है? [जवाब के लिए रुकिए।] सजग होइए! का यह अंक, बाइबल से बताता है कि आतंकवाद कब खत्म होगा और परमेश्वर कैसे इस धरती पर सच्ची शांति लाएगा।” मीका 4:4 पढ़िए।