पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जुला. 1
“क्या हम आज सचमुच खुश रह सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए और फिर पेज 8 पर दिया लेख खोलिए।] इस लेख में कुछ सुझाव दिए गए हैं जिन्हें मानने से हम आज सच्ची खुशी पा सकते हैं।” भजन 40:4 पढ़िए।
सजग होइए! जुला.-सितं.
“कुछ लोग मानते हैं कि दुनिया में कामयाब होने के लिए गुस्सा करना या मार-पीट करना ज़रूरी है। मगर गौर कीजिए कि इसके उलट, यीशु ने क्या कहा था। [मत्ती 5:5,9 पढ़िए।] क्या आप इस बात से सहमत हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि शांति के काम करने के तीन फायदे क्या हैं।” पेज 28 पर दिया लेख दिखाइए।
प्रहरीदुर्ग अग. 1
“हम निराशा की भावना से कैसे लड़ सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए और फिर पेज 17 पर दिया लेख खोलिए।] इस लेख में कारगर सुझाव दिए गए हैं जो हमें ऐसी भावनाओं से लड़ने में मदद दे सकते हैं।” पहला पतरस 5:6,7 पढ़िए।
सजग होइए! जुला.-सितं.
“हालाँकि पढ़ना एक ज़रूरी कला माना जाता है, फिर भी बहुत-से नौजवान इससे जी चुराते हैं। आपको क्या लगता है, इस कला को सीखने में क्या बात उनकी मदद कर सकती है? [जवाब के लिए रुकिए और फिर पेज 21 पर दिया लेख खोलिए।] इस लेख में बताया गया है कि पढ़ना क्यों ज़रूरी है। साथ ही, इसमें कुछ बढ़िया सुझाव भी दिए गए हैं जिनकी मदद से जवान लोग, पढ़ने की कला को सीखने की चुनौतियों को पार कर सकते हैं।”