पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जुला. 15
“हज़ारों साल के दौरान इंसान तरह-तरह की धार्मिक शिक्षाएँ मानते आए हैं। क्या आपको लगता है कि हमारे लिए यह पता लगाना मुमकिन है कि कौन-सी शिक्षाएँ सही हैं और कौन-सी गलत? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि आप वे सच्ची शिक्षाएँ कहाँ पा सकते हैं, जो परमेश्वर को भाती हैं।” दूसरा तीमुथियुस 3:16 पढ़िए।
सजग होइए! जुला.–सितं.
“क्या बड़ा आदमी बनने के ख्वाब देखना गलत है? [जवाब के लिए रुकिए।] ज़्यादातर लोगों की नज़रों में यह गलत नहीं है, मगर बाइबल कुछ और कहती है। यह हमें नम्र होने का बढ़ावा देती है। [याकूब 4:6 पढ़िए और फिर पेज 16 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में बताया है कि बड़ा आदमी बनने की ख्वाहिश के बारे में बाइबल क्या कहती है और हमें इस बारे में कैसा महसूस करना चाहिए।”
प्रहरीदुर्ग अग. 1
“कई लोग इन भावनाओं से लड़ते रहते हैं कि उनकी ज़िंदगी बेकार है और वे किसी काम के नहीं। आपके हिसाब से, ऐसे लोगों की मदद करने के लिए क्या किया जा सकता है? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि कैसे बाइबल ऐसे लोगों को सच्ची खुशी पाने में मदद दे सकती है।” लेख “बाइबल आपको खुशी पाने में मदद दे सकती है” में बड़े अक्षरों में दिए वचनों पर ध्यान दिलाइए।
सजग होइए! जुला.–सितं.
“अपने घर को साफ-सुथरा रखना अकसर बहुत मुश्किल होता है क्योंकि हम अपने-अपने कामों में उलझे रहते हैं और सारे काम करने का वक्त नहीं मिलता। मगर, शास्त्र हमें बढ़ावा देता है कि साफ-सफाई करने में हम अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी निभाएँ। [यशायाह 1:16 पढ़िए।] अपने घरों को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए क्या आप कुछ कारगर सुझाव पाना चाहते हैं?” जवाब के लिए रुकिए और फिर पेज 21 पर दिया लेख दिखाइए और इस बक्स की तरफ ध्यान दिलाइए, ‘घर की साफ-सफाई का एक कारगर कार्यक्रम।’