पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जुला. 1
“क्या आपको लगता है कि अलग-अलग संस्कृति और भाषा के लोगों का एकता में रहना मुमकिन है? [जवाब के लिए रुकिए।] मैं आपको एक प्राचीन किताब से दिखाना चाहता हूँ कि इस बारे में परमेश्वर का क्या नज़रिया है। [प्रेरितों 10:34,35 पढ़िए और फिर पेज 3 पर दिया लेख दिखाइए।] यह लेख बताता है कि ऐसी एकता कैसे हासिल होगी।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“हम सभी को गुज़र-बसर करने के लिए पैसों की ज़रूरत होती है। क्या आपको लगता है कि हम पैसा कमाने के पीछे अंधाधुंध भागने लग सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] ध्यान दीजिए, धन-दौलत के पीछे भागने का क्या नतीजा हो सकता है, इस बारे में यहाँ क्या कहा गया है। [1 तीमुथियुस 6:10 पढ़िए।] यह पत्रिका, कुछ कारगर सुझाव देती है कि एक इंसान अपना जीवन सादा कैसे बना सकता है और कम पैसों में भी अपना गुज़ारा कैसे कर सकता है।”
प्रहरीदुर्ग अग. 1
“मैं जानना चाहता हूँ कि यीशु ने जो कहा था, उस बारे में आपकी क्या राय है। [मत्ती 5:3 पढ़िए।] क्या आपको लगता है कि खुशी पाने के लिए आध्यात्मिक बातों को अहमियत देना ज़रूरी है? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका दिखाती है कि बाइबल, सच्ची आध्यात्मिकता के बारे में क्या कहती है और हम इसे कैसे हासिल कर सकते हैं।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“आज हम देखते हैं कि ज़्यादा-से-ज़्यादा शादियाँ टूट रही हैं, इसलिए जब एक इंसान जीवन-साथी चुनता है, तो उसे समझदारी से काम लेना ज़रूरी है। इस बारे में सही चुनाव करने में, क्या बात हमारी मदद कर सकती है? [जवाब के लिए रुकिए।] इस प्राचीन कहावत पर ध्यान दीजिए, जो बहुतों के लिए मददगार साबित हुई है। [नीतिवचन 22:3 पढ़िए और पेज 16 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में ऐसी फायदेमंद जानकारी दी गयी है, जिस पर गहराई से सोचने से एक इंसान को सही जीवन-साथी चुनने में मदद मिलेगी।”