पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग अग. 1
“मैं जानना चाहता हूँ कि यीशु ने जो कहा था, उस बारे में आपकी क्या राय है। [मत्ती 5:3 पढ़िए।] क्या आपको लगता है कि खुशी पाने के लिए आध्यात्मिक बातों को अहमियत देना ज़रूरी है? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका दिखाती है कि बाइबल, सच्ची आध्यात्मिकता के बारे में क्या कहती है और हम इसे कैसे हासिल कर सकते हैं।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“आज दुनिया के ज़्यादातर लोगों को लगता है कि नैतिक मूल्य दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं। क्या आपको भी ऐसा ही लगता है? [जवाब के लिए रुकिए।] हम अपने चारों तरफ जो हालात देख रहे हैं, वे दरअसल सदियों पहले लिखी एक भविष्यवाणी को पूरा करते हैं। [2 तीमुथियुस 3:2-4 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि नैतिकता का पतन, किस बात की तरफ इशारा करता है और यह दुनिया किधर जा रही है।”
प्रहरीदुर्ग सितं. 1
“मैं यह जानना चाहता हूँ कि यहाँ जो लिखा है, उसके बारे में आपकी क्या राय है। [इब्रानियों 3:4 पढ़िए।] क्या आप मानते हैं कि पूरे विश्व को एक बुद्धिमान रचनाकार ने बनाया है? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका दलीलें देकर समझाती है कि क्या एक रचनाकार पर विश्वास करना, सच्चे विज्ञान से मेल खाता है।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“हम सभी को गुज़र-बसर करने के लिए पैसों की ज़रूरत होती है। क्या आपको लगता है कि हम पैसा कमाने के पीछे अंधाधुंध भागने लग सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] ध्यान दीजिए, धन-दौलत के पीछे भागने का क्या नतीजा हो सकता है, इस बारे में यहाँ क्या कहा गया है। [1 तीमुथियुस 6:10 पढ़िए।] यह पत्रिका, कुछ कारगर सुझाव देती है कि एक इंसान अपना जीवन सादा कैसे बना सकता है और कम पैसों में भी अपना गुज़ारा कैसे कर सकता है।”