पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग नवं. 1
“कई लोगों को लगता है कि कल का कोई भरोसा नहीं। इसलिए वे बस आज ही के लिए जीते हैं। इस बारे में आपकी क्या राय है? [जवाब के लिए रुकिए।] यीशु ने इस बारे में एक बड़ी दिलचस्प बात कही थी। [मत्ती 6:34 पढ़िए।] यह पत्रिका समझाती है कि हम आनेवाले कल के लिए कैसे योजना बना सकते हैं। मगर साथ ही, इसमें यह भी बताया गया है कि हम हद-से-ज़्यादा चिंता करने से कैसे दूर रह सकते हैं।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
एक जवान से बात करते वक्त, आप कह सकते हैं: “बहुत-से जवान कभी-कभी खुद को बड़ा अकेला महसूस करते हैं या फिर उन्हें लगता है जैसे उन्हें छोड़ दिया गया है। क्या आपने भी कभी ऐसा महसूस किया है? [जवाब के लिए रुकिए और फिर नीतिवचन 15:13 पढ़िए।] अकेलेपन से वाकई एक इंसान अंदर-ही-अंदर घुटने लग सकता है। इस लेख में अकेलेपन की भावना से लड़ने के बारे में बढ़िया सुझाव दिए गए हैं।” पेज 12 पर दिया लेख दिखाइए।
प्रहरीदुर्ग दिसं. 1
“हम सभी एक खुशहाल और मकसद-भरी ज़िंदगी जीना चाहते हैं। ध्यान दीजिए कि यीशु ने इस आयत में खुशी पाने के बारे में क्या बताया था। [मत्ती 5:3 पढ़िए।] क्या आप यीशु की इस बात से सहमत हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि कैसे परमेश्वर की उपासना करने की हमारी पैदाइशी और बुनियादी ज़रूरत को पूरा करने से ही हमारी ज़िंदगी को एक मकसद मिलता है।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“हममें से ज़्यादातर लोग अच्छी सेहत और लंबी उम्र पाना चाहते हैं। क्या आपको लगता है कि ज़िंदगी में सही नज़रिया रखने से हमारी सेहत बेहतर हो सकती है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर नीतिवचन 17:22 पढ़िए।] इस लेख में समझाया गया है कि आशावादी होना क्यों फायदेमंद है।” पेज 22 पर दिया लेख दिखाइए।