पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग दिसं. 1
“हम सभी एक खुशहाल और मकसद-भरी ज़िंदगी जीना चाहते हैं। ध्यान दीजिए कि यीशु ने इस आयत में खुशी पाने के बारे में क्या बताया था। [मत्ती 5:3 पढ़िए।] क्या आप यीशु की इस बात से सहमत हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि कैसे परमेश्वर की उपासना करने की हमारी पैदाइशी और बुनियादी ज़रूरत को पूरा करने से ही हमारी ज़िंदगी को एक मकसद मिलता है।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
एक जवान से बात करते वक्त, आप कह सकते हैं: “बहुत-से जवान कभी-कभी खुद को बड़ा अकेला महसूस करते हैं या फिर उन्हें लगता है जैसे उन्हें छोड़ दिया गया है। क्या आपने भी कभी ऐसा महसूस किया है? [जवाब के लिए रुकिए और फिर नीतिवचन 15:13 पढ़िए।] अकेलेपन से वाकई एक इंसान अंदर-ही-अंदर घुटने लग सकता है। इस लेख में अकेलेपन की भावना से लड़ने के बारे में बढ़िया सुझाव दिए गए हैं।” पेज 12 पर दिया लेख दिखाइए।
प्रहरीदुर्ग जन.-मार्च
“बहुत-से लोग प्रार्थना करते हैं कि परमेश्वर का राज्य आए। मिसाल के लिए, इस मशहूर प्रार्थना पर गौर कीजिए, जो यीशु ने अपने चेलों को सिखायी थी। [मत्ती 6:9, 10 पढ़िए।] क्या आपने कभी सोचा है कि यह राज्य क्या है और यह कब आएगा? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि बाइबल इस बारे में क्या कहती है।”
सजग होइए! जन.-मार्च
“इंसान की शुरूआत से लेकर आज तक, औरतें भेदभाव और हिंसा की शिकार बनती आयी हैं। आपको क्या लगता, ऐसा क्यों होता है? [जवाब के लिए रुकिए।] गौर कीजिए कि पतियों को अपनी-अपनी पत्नी के साथ कैसे पेश आना चाहिए, इस बारे में बाइबल उन्हें क्या हिदायत देती है। [1 पतरस 3:7 पढ़िए।] यह पत्रिका बाइबल से बताती है कि परमेश्वर और मसीह, स्त्रियों के बारे में कैसा नज़रिया रखते हैं।”