पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग दिसं. 1
“आज हम दुनिया में चारों तरफ नफरत और फूट देखते हैं। ऐसे माहौल में शांति बनाए रखने के लिए क्या बात हमारी मदद करेगी? [जवाब के लिए रुकिए, फिर मत्ती 22:39 पढ़िए। पेज 26 पर दिया लेख दिखाइए।] यह लेख समझाता है कि हमारे पड़ोसी कौन हैं और उन्हें प्रेम दिखाने का क्या मतलब है।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“बहुत-से लोग मानते हैं कि हमें सिरजा गया है। मगर कुछ लोग कहते हैं कि हमारा विकास हुआ है। इस बारे में आपकी क्या राय है? [जवाब के लिए रुकिए।] इस मामले में सही नतीजे पर पहुँचने के लिए गौर कीजिए, यहाँ क्या लिखा है। [अय्यूब 12:7,8 पढ़िए।] सजग होइए! का यह खास अंक बताता है कि कुदरत में पायी जानेवाली बुद्धि और बेजोड़ कारीगरी हमें क्या सिखाती है।”
प्रहरीदुर्ग जन. 1
“क्या आपको लगता है कि एक इंसान की कामयाबी उसकी दौलत से आँकी जा सकती है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर 1 तीमुथियुस 6:9,10 पढ़िए।] बाइबल यह नहीं कहती कि पैसे का होना बुरी बात है, मगर यह ज़रूर कहती है कि सच्ची कामयाबी धन-दौलत से नहीं मिलती। यह पत्रिका इसी बात को समझाती है।”
सजग होइए! जन.-मार्च
“क्या आपने कभी सोचा है कि अगर परमेश्वर हमसे प्यार करता है, और वह न्यायी और शक्तिशाली है, तो आज दुनिया में इतनी दुःख-तकलीफें क्यों हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] गौर कीजिए कि हमारे दुःखों के लिए कौन ज़िम्मेदार है, इस बारे में यह आयत क्या बताती है। [1 यूहन्ना 5:19 पढ़िए।] यह पत्रिका बाइबल से समझाती है कि परमेश्वर दुःख-तकलीफों को मिटाने के लिए क्या कर रहा है।”