पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग दिसं. 15
“साल के इस समय में दुनिया-भर के लोग, अलग-अलग तरीके से यीशु का जन्म याद करते हैं। क्या आप जानते हैं कि बाइबल की भविष्यवाणी कहती है कि यीशु के जन्म और हमेशा की शांति के बीच गहरा ताल्लुक है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर यशायाह 9:6, 7 पढ़िए।] यह पत्रिका समझाती है कि ऐसी शांति कैसे आएगी।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“हममें से कइयों का मानना है कि हम भेदभाव नहीं करते। मगर क्या आपको लगता है कि सचमुच में ऐसा कोई है जो सबको बराबर नज़र से देखता हो? [जवाब के लिए रुकिए। फिर पेज 11 खोलिए और दिए गए बक्स से कुछ मुद्दे बताइए। इसके बाद उसी पेज के दूसरे पैराग्राफ पर ध्यान दिलाइए।] सजग होइए! का यह अंक बताता है कि भेदभाव की जड़ें क्या हैं और इन्हें कैसे मिटाया जा सकता है।”
प्रहरीदुर्ग जन. 1
“ज़्यादातर धर्म यही सिखाते हैं कि हमें अपने पड़ोसियों से प्यार करना चाहिए। [मत्ती 22:39 पढ़िए।] तो फिर आज क्यों धर्म के नाम पर ही ज़्यादातर लड़ाइयाँ और झगड़े होते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] प्रहरीदुर्ग का यह अंक इस सवाल की जाँच करता है कि क्या धर्म, दुनिया को एक कर सकता है?”
सजग होइए! जन.-मार्च
“कई लोग समझते हैं कि बच्चों को छोटी उम्र से ही ट्रेनिंग देना बहुत ज़रूरी है। क्या आपको लगता है कि आज के ज़माने में ऐसी ट्रेनिंग देना ज़रूरी है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर नीतिवचन 22:6 पढ़िए।] सजग होइए! का यह अंक ऐसी खास बातों की चर्चा करता है जिन पर अमल करने से माँ-बाप अपने बच्चों को नेक और कामयाब इंसान बनने में मदद दे सकेंगे।”