क्या मैं खुशखबरी सुनाने के योग्य हूँ?
1. हमें क्यों ऐसा सोचना नहीं करना चाहिए कि हम खुशखबरी सुनाने के योग्य नहीं हैं?
क्या कभी आपके मन में यह सवाल उठा है? अगर हाँ, तो हिम्मत रखिए! न तो ऊँची पढ़ाई-लिखाई, न ही हमारी कोई पैदाइशी काबिलीयत हमें प्रचारक बनने के योग्य बनाती है। पहली सदी के कुछ चेलों को लोग “कम पढ़े-लिखे, मामूली आदमी” समझते थे। लेकिन वे खुशखबरी के असरदार प्रचारक साबित हुए, क्योंकि उन्होंने यीशु की मिसाल पर चलने की ठान ली थी।—प्रेषि. 4:13; 1 पत. 2:21.
2. यीशु के सिखाने की कुछ खासियतें क्या थीं?
2 यीशु ने कैसे सिखाया: यीशु बहुत ही सरल तरीके से सिखाता था। उसकी बातें समझने में आसान और ऐसी होती थीं जिन्हें आम लोग लागू कर सकते थे। उसके सवाल, मिसालें और अपनी बात शुरू करने के लिए वह जो सीधे-सरल तरीके अपनाता था, उनसे सुननेवालों का ध्यान उसकी तरफ खिंच जाता था। (मत्ती 6:26) वह लोगों के लिए सच्ची परवाह दिखाता था। (मत्ती 14:14) इससे भी बढ़कर, यीशु पूरे यकीन और अधिकार के साथ बात करता था, क्योंकि वह जानता था कि लोगों को सिखाने की आज्ञा उसे यहोवा ने दी है और वही उसे यह काम पूरा करने की ताकत भी देता है।—लूका 4:18.
3. प्रचार करने की अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने में यहोवा हमारी कैसे मदद करता है?
3 यहोवा हमारी मदद करता है: हमारा महान उपदेशक अपने वचन और संगठन के ज़रिए हमें वह तालीम देता है, जो खुशखबरी का कामयाबी से ऐलान करने में हमारे लिए ज़रूरी है। (यशा. 54:13) यहोवा ने यीशु के सिखाने के तरीके को दर्ज़ करवाया और उसे सुरक्षित रखा, इसलिए हम उसके तरीकों की जाँच कर सकते हैं और उन्हें अपना सकते हैं। यहोवा हमें अपनी पवित्र शक्ति देता है और मंडली की सभाओं के ज़रिए हमें तालीम देता है। (यूह. 14:26) इसके अलावा, वह हमें तजुरबेकार प्रचारकों के ज़रिए भी सिखाता है कि हम कैसे और ज़्यादा असरदार तरीके से प्रचार कर सकते हैं।
4. हम क्यों यह भरोसा रख सकते हैं कि हम दूसरों को खुशखबरी सुनाने के योग्य हैं?
4 हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि हम प्रचार करने के योग्य हैं, क्योंकि “हमें ज़रूरत के हिसाब से योग्यता परमेश्वर की तरफ से मिली है।” (2 कुरिं. 3:5) जब हम यहोवा पर निर्भर रहेंगे और उसने प्यार से हमारे लिए जो इंतज़ाम किए हैं, उनका अच्छा फायदा उठाएँगे, तो हम “हर अच्छे काम के लिए पूरी तरह से योग्य और हर तरह से तैयार हो” सकेंगे।—2 तीमु. 3:17.