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व्यवस्थाविवरण का सारांश

      • होरेब में यहोवा का करार (1-5)

      • दस आज्ञाएँ दोहरायी गयीं (6-22)

      • सीनै पहाड़ के पास लोग डर गए (23-33)

व्यवस्थाविवरण 5:2

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  • +निर्ग 19:5; इब्र 9:19, 20

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व्यवस्थाविवरण 5:7

फुटनोट

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    या “तुम मेरे खिलाफ जाकर किसी और ईश्‍वर को न मानना।”

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व्यवस्थाविवरण 5:10

फुटनोट

  • *

    या “अटल प्यार।”

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फुटनोट

  • *

    शा., “फाटकों के अंदर।”

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फुटनोट

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    या “और तुम्हारा भला होगा।”

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  • +उत 9:6; निर्ग 20:13; गि 35:20, 21; मत 5:21; रोम 13:9

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फुटनोट

  • *

    शब्दावली देखें।

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इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2019, पेज 21-22

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2012, पेज 7

व्यवस्थाविवरण 5:22

फुटनोट

  • *

    शा., “वचन।”

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व्यवस्थाविवरण 5:33

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दूसरें अनुवाद

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दूसरी

व्यव. 5:2निर्ग 19:5; इब्र 9:19, 20
व्यव. 5:4निर्ग 19:9, 18; प्रेष 7:38
व्यव. 5:5निर्ग 20:19; गल 3:19
व्यव. 5:5निर्ग 19:16
व्यव. 5:6निर्ग 20:2
व्यव. 5:7निर्ग 20:3-6; 2रा 17:35
व्यव. 5:8लैव 26:1; व्य 4:15, 16; 27:15; प्रेष 17:29
व्यव. 5:9निर्ग 23:24; 1कुर 10:14
व्यव. 5:9निर्ग 34:14; व्य 4:24; यश 42:8; मत 4:10
व्यव. 5:9निर्ग 34:6, 7
व्यव. 5:11निर्ग 22:28; लैव 19:12
व्यव. 5:11निर्ग 20:7; लैव 24:16
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व्यव. 5:13निर्ग 34:21
व्यव. 5:14निर्ग 16:29
व्यव. 5:14निर्ग 23:12; नहे 13:15
व्यव. 5:14व्य 10:17; इफ 6:9
व्यव. 5:15निर्ग 6:6; व्य 4:34
व्यव. 5:16निर्ग 21:15; व्य 27:16; नीत 1:8; मर 7:10
व्यव. 5:16निर्ग 20:12; इफ 6:2, 3
व्यव. 5:17उत 9:6; निर्ग 20:13; गि 35:20, 21; मत 5:21; रोम 13:9
व्यव. 5:18निर्ग 20:14; 1कुर 6:18; इब्र 13:4
व्यव. 5:19निर्ग 20:15; लैव 19:11; नीत 30:8, 9; 1कुर 6:10; इफ 4:28
व्यव. 5:20निर्ग 20:16; 23:1; लैव 19:16; व्य 19:16-19; नीत 6:16, 19
व्यव. 5:21मत 5:28
व्यव. 5:21निर्ग 20:17; लूक 12:15; रोम 7:7
व्यव. 5:22निर्ग 19:9, 18
व्यव. 5:22निर्ग 24:12; 31:18; व्य 4:12, 13
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व्यव. 5:27निर्ग 20:19; इब्र 12:18, 19
व्यव. 5:28व्य 18:16, 17
व्यव. 5:29व्य 10:12; अय 28:28; नीत 1:7; मत 10:28; 1पत 2:17
व्यव. 5:29नीत 4:4; 7:2; सभ 12:13; यश 48:18; 1यूह 5:3
व्यव. 5:29भज 19:8, 11; याकू 1:25
व्यव. 5:32व्य 6:3, 25; 8:1
व्यव. 5:32व्य 12:32; यह 1:7, 8
व्यव. 5:33व्य 10:12
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  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
व्यवस्थाविवरण 5:1-33

व्यवस्थाविवरण

5 मूसा ने सभी इसराएलियों को बुलाया और उनसे कहा, “इसराएलियो, आज मैं तुम्हें जो कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत सुनाता हूँ उन्हें तुम ध्यान से सुनना। तुम उनके बारे में सीखना और सख्ती से उनका पालन करना। 2 हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने होरेब में हमारे साथ एक करार किया था।+ 3 यहोवा ने यह करार हमारे पुरखों के साथ नहीं बल्कि हम सबके साथ किया जो आज ज़िंदा हैं। 4 यहोवा ने उस पहाड़ पर आग में से तुमसे आमने-सामने बात की थी।+ 5 उस वक्‍त मैं यहोवा और तुम्हारे बीच खड़ा था+ ताकि यहोवा का संदेश तुम तक पहुँचा सकूँ क्योंकि तुम पहाड़ पर आग देखकर डर गए थे और पहाड़ के ऊपर नहीं गए।+ तब परमेश्‍वर ने कहा था,

6 ‘मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ जो तुम्हें गुलामी के घर, मिस्र से बाहर निकाल लाया।+ 7 मेरे सिवा तुम्हारा कोई और ईश्‍वर न हो।*+

8 तुम अपने लिए कोई मूरत न तराशना।+ ऊपर आसमान में, नीचे ज़मीन पर और पानी में जो कुछ है, उनमें से किसी के भी आकार की कोई चीज़ न बनाना। 9 तुम उनके आगे दंडवत न करना और न ही बहकावे में आकर उनकी पूजा करना,+ क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा माँग करता हूँ कि सिर्फ मेरी भक्‍ति की जाए, मुझे छोड़ किसी और की नहीं।+ जो मुझसे नफरत करते हैं उनके गुनाह की सज़ा मैं उनके बेटों, पोतों और परपोतों को भी देता हूँ।+ 10 मगर जो मुझसे प्यार करते हैं और मेरी आज्ञाएँ मानते हैं, उनकी हज़ारों पीढ़ियों से मैं प्यार* करता हूँ।

11 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के नाम का गलत इस्तेमाल न करना+ क्योंकि जो उसके नाम का गलत इस्तेमाल करता है उसे यहोवा सज़ा दिए बिना नहीं छोड़ेगा।+

12 तुम सब्त का दिन मनाया करना और इसे पवित्र मानना, ठीक जैसे तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें आज्ञा दी है।+ 13 घर-बाहर का जो भी काम या मज़दूरी हो, तुम छ: दिन तक करना।+ 14 मगर सातवाँ दिन तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के लिए अलग ठहराया गया सब्त है।+ इस दिन न तुम, न तुम्हारे बेटे-बेटियाँ और न ही तुम्हारे शहरों में* रहनेवाले परदेसी कोई काम करें। तुम अपने बैल, गधे और दूसरे पालतू जानवरों से भी कोई काम न लेना।+ तुम अपने दास-दासियों से भी कोई काम न करवाना ताकि इस दिन वे भी तुम्हारी तरह विश्राम कर सकें।+ 15 मत भूलना कि मिस्र में तुम भी गुलाम थे और तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने अपना शक्‍तिशाली हाथ बढ़ाकर तुम्हें वहाँ से बाहर निकाला।+ इसीलिए तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें सब्त का दिन मानने की आज्ञा दी है।

16 अपने पिता और अपनी माँ का आदर करना,+ ठीक जैसे तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें आज्ञा दी है। तब तुम उस देश में लंबी ज़िंदगी जीओगे और खुशहाल रहोगे* जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है।+

17 तुम खून न करना।+

18 तुम व्यभिचार* न करना।+

19 तुम चोरी न करना।+

20 तुम अपने संगी-साथी के खिलाफ झूठी गवाही न देना।+

21 तुम अपने संगी-साथी की पत्नी का लालच न करना।+ तुम उसके घर या खेत या दास-दासी या उसके बैल या गधे या उसकी किसी भी चीज़ का लालच न करना।’+

22 यहोवा ने तुम लोगों की पूरी मंडली को ये आज्ञाएँ* उस वक्‍त सुनायी थीं जब उसने पहाड़ पर आग में से बात की थी। उस वक्‍त वहाँ बादल और घोर अंधकार छा गया+ और उसने बुलंद आवाज़ में तुमसे बात की। इन आज्ञाओं के साथ उसने कुछ और नहीं जोड़ा। फिर उसने ये आज्ञाएँ पत्थर की दो पटियाओं पर लिखकर मुझे दीं।+

23 जब वह पहाड़ आग से धधक रहा था तब जैसे ही घोर अंधकार में से तुम्हें आवाज़ सुनायी पड़ी,+ तुम्हारे गोत्रों के प्रधान और मुखिया फौरन मेरे पास आए। 24 फिर तुमने मुझसे कहा, ‘आज हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने अपनी महिमा और महानता हम पर प्रकट की है और हमने आग में से उसकी आवाज़ सुनी है।+ आज हम जान गए कि परमेश्‍वर इंसान से बात कर सकता है और इंसान उसकी आवाज़ सुनने के बाद भी ज़िंदा रह सकता है।+ 25 लेकिन हमें डर है कि यह आग हमें भस्म न कर दे और हम मर न जाएँ। अगर हमने यहोवा की आवाज़ और सुनी तो ज़रूर मर जाएँगे। 26 भला आज तक ऐसा हुआ है कि किसी इंसान ने हमारी तरह जीवित परमेश्‍वर को आग में से बात करते सुना हो और फिर भी ज़िंदा बचा हो? 27 इसलिए हमारा परमेश्‍वर यहोवा जो कहता है उसे सुनने के लिए अब तू ही उसके पास जा। फिर तू आकर हमें बताना कि हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुझे क्या-क्या बताया है। हम तुझसे सुन लेंगे और उसके मुताबिक करेंगे।’+

28 जब तुम मुझसे यह बात कह रहे थे तो यहोवा ने यह सब सुना। यहोवा ने मुझसे कहा, ‘इन सब लोगों ने तुझसे जो कहा है वह मैंने सुना है। ये लोग ठीक कह रहे हैं।+ 29 अगर वे अपने दिल में हमेशा मेरे लिए डर बनाए रखेंगे+ और मेरी सभी आज्ञाओं का पालन किया करेंगे,+ तो ही उनका और उनकी संतान का सदा भला होगा।+ 30 अब तू जा और उनसे कह, “तुम सब अपने-अपने तंबू में लौट जाओ।” 31 मगर तू यहाँ मेरे पास ही रह। मैं तुझे अपनी सभी आज्ञाएँ, कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत बताऊँगा। इसके बाद तू जाकर यह सब उन्हें सिखाना ताकि वे उस देश में इनका पालन करें जो मैं उनके अधिकार में करनेवाला हूँ।’ 32 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें जो-जो आज्ञा दी है, उसका तुम सख्ती से पालन करना।+ तुम न दाएँ मुड़ना न बाएँ।+ 33 तुम उसी राह पर चलना जिस पर चलने की आज्ञा तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें दी है।+ तब तुम उस देश में लंबी और खुशहाल ज़िंदगी जीओगे जिसे तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो।+

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