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व्यवस्थाविवरण का सारांश

      • आज्ञा मानने का बढ़ावा (1-14)

        • परमेश्‍वर के काम न भूलना (9)

      • यहोवा माँग करता है कि सिर्फ उसी की भक्‍ति की जाए (15-31)

      • यहोवा के सिवा कोई परमेश्‍वर नहीं (32-40)

      • यरदन के पूरब में शरण नगर (41-43)

      • कानून देने के बारे में जानकारी (44-49)

व्यवस्थाविवरण 4:1

संबंधित आयतें

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  • +भज 119:98, 100
  • +1रा 4:34; 10:4-7; दान 1:19, 20

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 5/2021, पेज 9

व्यवस्थाविवरण 4:7

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  • +निर्ग 25:8; लैव 26:12; व्य 5:26; 2शम 7:23

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  • +भज 147:19, 20

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/2002, पेज 14-15

    10/1/1992, पेज 11-12

व्यवस्थाविवरण 4:9

संबंधित आयतें

  • +उत 18:19; व्य 6:6, 7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/2006, पेज 29-30

    सेवा स्कूल, पेज 20

व्यवस्थाविवरण 4:10

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 19:9
  • +निर्ग 20:20; व्य 5:29
  • +नीत 22:6; इफ 6:4

व्यवस्थाविवरण 4:11

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  • +निर्ग 19:18; इब्र 12:18, 19

व्यवस्थाविवरण 4:12

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  • +व्य 9:10
  • +यश 40:18; यूह 1:18; 4:24
  • +निर्ग 20:22

व्यवस्थाविवरण 4:13

फुटनोट

  • *

    शा., “दस वचन।”

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  • +निर्ग 19:5; व्य 5:2; 9:9; इब्र 9:19, 20
  • +निर्ग 20:1; 34:28; व्य 10:4
  • +निर्ग 24:12; 31:18; 32:19; 34:1

व्यवस्थाविवरण 4:16

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  • +निर्ग 20:4; व्य 27:15; यश 40:18; प्रेष 17:29; 1कुर 10:14

व्यवस्थाविवरण 4:17

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  • +व्य 5:8; रोम 1:22, 23

व्यवस्थाविवरण 4:18

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  • +व्य 17:2, 3; 2रा 17:16; यहे 8:16

व्यवस्थाविवरण 4:20

फुटनोट

  • *

    या “विरासत।”

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  • +व्य 30:1-3, 8-10; 1रा 8:48, 49; यिर्म 29:13; योए 2:12
  • +2इत 15:4, 15

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 7/2021, पेज 1

व्यवस्थाविवरण 4:30

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  • +2इत 33:13; नहे 1:9

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व्यवस्थाविवरण 4:39

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 4

व्यवस्थाविवरण 4:40

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व्यवस्थाविवरण 4:49

फुटनोट

  • *

    यानी लवण सागर या मृत सागर।

संबंधित आयतें

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दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

व्यव. 4:1लैव 18:5
व्यव. 4:2व्य 12:32; नीत 30:5, 6; प्रक 22:18, 19
व्यव. 4:3गि 25:5, 9; भज 106:28; हो 9:10; 1कुर 10:7, 8
व्यव. 4:5लैव 26:46; गि 30:16; 36:13; व्य 6:1
व्यव. 4:61रा 2:3
व्यव. 4:6भज 111:10
व्यव. 4:6भज 119:98, 100
व्यव. 4:61रा 4:34; 10:4-7; दान 1:19, 20
व्यव. 4:7निर्ग 25:8; लैव 26:12; व्य 5:26; 2शम 7:23
व्यव. 4:8भज 147:19, 20
व्यव. 4:9उत 18:19; व्य 6:6, 7
व्यव. 4:10निर्ग 19:9
व्यव. 4:10निर्ग 20:20; व्य 5:29
व्यव. 4:10नीत 22:6; इफ 6:4
व्यव. 4:11निर्ग 19:18; इब्र 12:18, 19
व्यव. 4:12व्य 9:10
व्यव. 4:12यश 40:18; यूह 1:18; 4:24
व्यव. 4:12निर्ग 20:22
व्यव. 4:13निर्ग 19:5; व्य 5:2; 9:9; इब्र 9:19, 20
व्यव. 4:13निर्ग 20:1; 34:28; व्य 10:4
व्यव. 4:13निर्ग 24:12; 31:18; 32:19; 34:1
व्यव. 4:16निर्ग 20:4; व्य 27:15; यश 40:18; प्रेष 17:29; 1कुर 10:14
व्यव. 4:17व्य 5:8; रोम 1:22, 23
व्यव. 4:181शम 5:4
व्यव. 4:19व्य 17:2, 3; 2रा 17:16; यहे 8:16
व्यव. 4:20निर्ग 19:5
व्यव. 4:21भज 106:32
व्यव. 4:21गि 20:12; व्य 31:1, 2
व्यव. 4:22व्य 3:27
व्यव. 4:23निर्ग 24:3
व्यव. 4:23निर्ग 20:4
व्यव. 4:24निर्ग 24:17; व्य 9:3; इब्र 12:29
व्यव. 4:24निर्ग 20:5; 34:14; गि 25:11; लूक 10:27
व्यव. 4:25न्या 18:30; 2रा 21:1, 7
व्यव. 4:252रा 17:16, 17
व्यव. 4:26लैव 18:24, 28; 26:27, 32
व्यव. 4:27व्य 28:64; नहे 1:8
व्यव. 4:27व्य 28:62
व्यव. 4:28व्य 28:15, 36; यिर्म 16:13; यहे 20:39
व्यव. 4:29व्य 30:1-3, 8-10; 1रा 8:48, 49; यिर्म 29:13; योए 2:12
व्यव. 4:292इत 15:4, 15
व्यव. 4:302इत 33:13; नहे 1:9
व्यव. 4:31निर्ग 34:6; व्य 30:3; 2इत 30:9; नहे 9:31; यश 54:7; 55:7
व्यव. 4:31लैव 26:42
व्यव. 4:32भज 44:1
व्यव. 4:33व्य 5:26
व्यव. 4:34निर्ग 7:3
व्यव. 4:34निर्ग 15:3
व्यव. 4:34व्य 26:8; भज 78:43-51
व्यव. 4:34निर्ग 13:3
व्यव. 4:35निर्ग 6:7
व्यव. 4:35निर्ग 15:11; व्य 32:39; 1शम 2:2; यश 45:18; मर 12:32
व्यव. 4:36निर्ग 19:18; 20:22
व्यव. 4:37व्य 10:15; भज 105:6
व्यव. 4:38निर्ग 23:28; व्य 7:1; 9:1; यह 3:10
व्यव. 4:392इत 20:6
व्यव. 4:39यश 44:6
व्यव. 4:40उत 48:3, 4
व्यव. 4:41गि 35:14
व्यव. 4:42गि 35:22-24
व्यव. 4:42गि 35:11, 25; व्य 19:4, 5
व्यव. 4:43यह 21:8, 36
व्यव. 4:43यह 21:8, 38
व्यव. 4:43यह 21:27
व्यव. 4:43यह 20:8, 9
व्यव. 4:44व्य 17:18; 27:2, 3; गल 3:24
व्यव. 4:45लैव 26:46; व्य 4:1
व्यव. 4:46व्य 1:5; 3:29
व्यव. 4:46गि 21:26
व्यव. 4:46गि 21:23, 24
व्यव. 4:47गि 21:33; व्य 3:4
व्यव. 4:48व्य 2:36; 3:12
व्यव. 4:48व्य 3:8, 9
व्यव. 4:49व्य 3:16, 17; 34:1
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
व्यवस्थाविवरण 4:1-49

व्यवस्थाविवरण

4 अब हे इसराएल, मैं तुम्हें जो कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत सिखाता हूँ उन्हें तुम ध्यान से सुनना और उनका पालन करना ताकि तुम जीते रहो+ और उस देश में जाकर उसे अपने अधिकार में कर लो जो तुम्हारे पुरखों का परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देने जा रहा है। 2 मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ सुनाता हूँ, उनमें न तो तुम कुछ जोड़ना और न ही उनसे कुछ निकालना+ ताकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की सभी आज्ञाओं का पालन करते रहो।

3 तुमने खुद अपनी आँखों से देखा है कि यहोवा ने पोर के बाल देवता के मामले में क्या किया था। तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हारे बीच से ऐसे हर आदमी को मिटा दिया जिसने पोर के बाल की पूजा की थी।+ 4 मगर तुम सब आज इसलिए ज़िंदा हो क्योंकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा को मज़बूती से थामे हुए हो। 5 देखो, जैसे मेरे परमेश्‍वर यहोवा ने मुझे आज्ञा दी है, मैंने तुम्हें उसके सारे कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत सिखाए हैं+ ताकि तुम उस देश में उनका पालन करो जिसे तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो। 6 तुम इन सभी कायदे-कानूनों को सख्ती से मानना+ क्योंकि ऐसा करने से सभी राष्ट्रों के सामने तुम्हारी बुद्धि+ और समझ+ ज़ाहिर होगी। और वे इन कायदे-कानूनों के बारे में सुनकर कहेंगे, ‘इस बड़े राष्ट्र के लोग वाकई बुद्धिमान और समझदार हैं।’+ 7 ऐसा कौन-सा बड़ा राष्ट्र है जिसके देवता उसके इतने करीब रहते हैं जितना हमारा परमेश्‍वर यहोवा हमारे करीब रहता है? हम जब भी उसकी दुहाई देते हैं, वह फौरन हमारी सुनता है।+ 8 ऐसा कौन-सा बड़ा राष्ट्र है जिसके कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत इतने सच्चे हैं जितना कि यह पूरा कानून है जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ?+

9 सावधान रहो और खुद पर कड़ी नज़र रखो ताकि जो कुछ तुमने अपनी आँखों से देखा है, उसे कभी भूल न जाओ और यह जीते-जी तुम्हारे दिल से उतरने न पाए। तुम ये सारी बातें अपने बेटों और पोतों को भी बताना।+ 10 जिस दिन तुम होरेब में अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने खड़े हुए उस दिन यहोवा ने मुझसे कहा था, ‘सब लोगों को मेरे सामने इकट्ठा कर ताकि मैं उन्हें अपनी आज्ञाएँ सुनाऊँ+ जिससे वे सारी ज़िंदगी मेरा डर मानना सीखें+ और अपने बेटों को भी सिखाएँ।’+

11 तब तुम सब पहाड़ के पास आए और उसके नीचे खड़े हुए। वह पहाड़ आग से धधकने लगा और उसकी ज्वाला आसमान तक उठने लगी। चारों तरफ घोर अँधेरा और काले घने बादल छा गए।+ 12 फिर यहोवा ने आग में से तुमसे बात करनी शुरू की।+ तुमने सिर्फ उसकी बातें सुनीं, मगर कोई रूप नहीं देखा।+ वहाँ सिर्फ एक आवाज़ सुनायी दे रही थी।+ 13 परमेश्‍वर ने तुम्हें अपना करार+ यानी दस आज्ञाएँ*+ सुनायीं और तुम्हें आदेश दिया कि तुम उनका पालन करना। इसके बाद उसने पत्थर की दो पटियाओं पर वे आज्ञाएँ लिखकर दीं।+ 14 उस वक्‍त यहोवा ने मुझे आज्ञा दी कि मैं तुम्हें उसके कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत सिखाऊँ ताकि तुम उस देश में उनका पालन करो जिसे तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो।

15 होरेब में जब यहोवा ने तुमसे आग के बीच से बात की, तो उस वक्‍त तुमने उसका कोई रूप नहीं देखा था। इसलिए तुम खुद पर कड़ी नज़र रखो 16 कि तुम पूजा के लिए कोई मूरत बनाकर भ्रष्ट न हो जाओ। तुम किसी के भी रूप की मूरत नहीं बनाओगे, न आदमी की न औरत की,+ 17 न धरती के किसी जानवर की, न आसमान में उड़नेवाले किसी पंछी की,+ 18 न ज़मीन पर रेंगनेवाले किसी जीव की और न ही धरती के पानी में रहनेवाली किसी मछली की।+ 19 जब तुम आँखें उठाकर आसमान की तरफ देखोगे और तुम्हें सूरज, चाँद और तारे नज़र आएँगे, तो तुम आकाश की सारी सेना के आगे दंडवत करने के लिए, उसकी पूजा करने के लिए बहक मत जाना।+ तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने यह सब आकाश के नीचे रहनेवाले सभी लोगों के लिए दिया है। 20 तुम ही वे लोग हो जिन्हें यहोवा ने लोहा पिघलानेवाले भट्ठे से, मिस्र से बाहर निकाला है ताकि तुम उसकी जागीर* बनो,+ जैसा कि आज तुम हो।

21 तुम लोगों की वजह से यहोवा मुझ पर भड़क गया+ और उसने शपथ खाकर कहा कि वह मुझे यरदन पार करने नहीं देगा और उस बढ़िया देश में नहीं जाने देगा जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें विरासत में देनेवाला है।+ 22 अब इसी देश में मेरी मौत हो जाएगी। मैं यरदन पार नहीं करूँगा,+ मगर तुम लोग यरदन पार करोगे और उस बढ़िया देश को अपने अधिकार में कर लोगे। 23 तुम इस बात का पूरा ध्यान रखना कि तुम उस करार को कभी नहीं भूलोगे जो तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हारे साथ किया है+ और पूजा के लिए कोई भी मूरत नहीं तराशोगे, किसी के भी रूप की प्रतिमा नहीं बनाओगे जैसा कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें मना किया है।+ 24 क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा भस्म करनेवाली आग है।+ वह ऐसा परमेश्‍वर है जो माँग करता है कि सिर्फ उसी की भक्‍ति की जाए।+

25 जब तुम्हारे बच्चे और नाती-पोते होंगे और तुम्हें उस देश में रहते बहुत समय बीत जाएगा, तब अगर तुम दुष्ट काम करोगे और किसी तरह की मूरत तराशोगे+ और इस तरह अपने परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में बुरा काम करके उसका गुस्सा भड़काओगे,+ 26 तो यह तय है कि तुम उस देश से फौरन मिट जाओगे जिसे तुम यरदन पार करके अपने अधिकार में करनेवाले हो। आज मैं आकाश और धरती को गवाह ठहराकर तुमसे यह बात कह रहा हूँ। तुम उस देश में ज़्यादा दिन नहीं रह पाओगे बल्कि पूरी तरह तबाह हो जाओगे।+ 27 यहोवा तुम्हें दूसरे देशों में बिखरा देगा।+ जिन राष्ट्रों में यहोवा तुम्हें भगाएगा वहाँ तुममें से मुट्ठी-भर लोग ही ज़िंदा बचेंगे।+ 28 वहाँ तुम्हें इंसान के हाथ के बनाए लकड़ी और पत्थर के देवताओं की सेवा करनी होगी,+ जो न देख सकते हैं, न सुन सकते हैं, न खा सकते हैं और न ही सूँघ सकते हैं।

29 अगर तुम वहाँ रहते अपने परमेश्‍वर यहोवा की खोज करोगे और पूरे दिल और पूरी जान से उसे ढूँढ़ोगे+ तो उसे ज़रूर पाओगे।+ 30 भविष्य में जब तुम पर ये सारी मुसीबतें टूट पड़ेंगी और तुम बड़े संकट में होगे, तब तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास लौट आओगे और उसकी बात मानोगे।+ 31 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा एक दयालु परमेश्‍वर है।+ वह तुम्हें कभी नहीं त्यागेगा, न ही तुम्हें मिटने देगा। उसने शपथ खाकर तुम्हारे पुरखों के साथ जो करार किया था, उसे वह हरगिज़ नहीं भूलेगा।+

32 अब ज़रा गुज़रा ज़माना याद करो। जिस दिन परमेश्‍वर ने धरती पर इंसान की सृष्टि की थी तब से लेकर तुम्हारे वजूद में आने से पहले का समय याद करो। आसमान के एक छोर से दूसरे छोर तक पता लगाओ। क्या पहले कभी ऐसी महान घटना हुई या किसी ने ऐसी घटना के बारे में सुना है?+ 33 क्या किसी और राष्ट्र के लोगों ने कभी आग में से परमेश्‍वर को बोलते हुए सुना फिर भी ज़िंदा बचे, जैसे तुम उसकी आवाज़ सुनकर भी ज़िंदा हो?+ 34 तुमने खुद अपनी आँखों से देखा कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें मिस्र से निकालकर अपनी प्रजा बनाने के लिए क्या-क्या किया। उसने मिस्र पर एक-के-बाद-एक कहर ढाए, वहाँ चिन्ह और चमत्कार किए,+ युद्ध किया,+ दिल दहलानेवाले काम किए+ और अपना शक्‍तिशाली हाथ+ बढ़ाकर तुम्हें वहाँ से बाहर निकाला। क्या उसने इससे पहले कभी किसी राष्ट्र में से दूसरे राष्ट्र को निकालने के लिए ऐसा किया? 35 यह सब तुम्हें इसलिए दिखाया गया ताकि तुम जान लो कि यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है।+ उसके सिवा और कोई परमेश्‍वर नहीं।+ 36 उसने तुम्हें सुधारने के लिए स्वर्ग से तुमसे बात की। और धरती पर तुम्हें अपनी बड़ी आग दिखायी और तुमने उसे आग में से बात करते सुना।+

37 परमेश्‍वर तुम्हारे पुरखों से बहुत प्यार करता था और उसने उनके बाद उनके वंश को चुना।+ इसीलिए उसने तुम्हारे साथ रहकर अपनी महाशक्‍ति से तुम्हें मिस्र से बाहर निकाला। 38 उसने तुम्हारे सामने से ऐसे राष्ट्रों को खदेड़ा जो तुमसे कहीं ज़्यादा बड़े और ताकतवर थे ताकि तुम्हें उनके देश में ले जाए और उनकी ज़मीन तुम्हें विरासत में दे, जैसा कि आज हो रहा है।+ 39 इसलिए आज यह बात जान लो और अपने दिल में बिठा लो कि ऊपर आसमान में और नीचे धरती पर सिर्फ यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है।+ उसके सिवा और कोई परमेश्‍वर नहीं।+ 40 और आज मैं तुम्हें जो कायदे-कानून और आज्ञाएँ देता हूँ उनका तुम ज़रूर पालन किया करना ताकि तुम्हारा और तुम्हारे बाद तुम्हारे बच्चों का भला हो और तुम उस देश में लंबी ज़िंदगी जीओ जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है।”+

41 उस वक्‍त मूसा ने यरदन के पूरब में तीन शहर अलग ठहराए।+ 42 अगर कोई आदमी अनजाने में, न कि नफरत की वजह से, किसी का खून कर देता है+ तो उसे इनमें से किसी शहर में भाग जाना चाहिए और वहीं रहना चाहिए।+ 43 ये तीन शहर हैं, पठारी इलाके के वीराने का बेसेर,+ जो रूबेनियों के लिए है, गिलाद का रामोत+ जो गादियों के लिए है और बाशान का गोलान+ जो मनश्‍शे के वंशजों के लिए है।+

44 यह वह कानून है+ जो मूसा ने इसराएल के लोगों को दिया। 45 जब इसराएली मिस्र से निकले तो उसके बाद मूसा ने उन्हें ये कायदे-कानून, न्याय-सिद्धांत और याद दिलाने के लिए हिदायतें दीं।+ 46 मूसा ने लोगों को यह सब उस वक्‍त बताया जब वे यरदन के पास बेतपोर के सामनेवाली घाटी में थे।+ बेतपोर, हेशबोन में रहनेवाले एमोरियों के राजा सीहोन के देश में है।+ मूसा और इसराएलियों ने मिस्र से निकलने के बाद इस राजा को हराया था।+ 47 उन्होंने उसका देश और बाशान के राजा ओग का देश अपने कब्ज़े में कर लिया।+ ये दोनों एमोरी राजा यरदन के पूरब के प्रांत में रहते थे। 48 इसराएलियों ने अरनोन घाटी के पास अरोएर+ से लेकर सीओन यानी हेरमोन पहाड़ तक का पूरा इलाका+ और 49 यरदन के पूरब में पूरा अराबा और दूर पिसगा की ढलानों के नीचे अराबा के सागर* तक का इलाका ले लिया।+

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