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यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए संगठित
od अध्या. 8 पेज 71-86

अध्याय 8

खुशखबरी सुनानेवाले सेवक

यहोवा ने अपने बेटे यीशु मसीह को भेजकर हमें एक बढ़िया आदर्श दिया है। (1 पत. 2:21) जब एक इंसान यीशु का चेला बनता है, तो वह परमेश्‍वर का सेवक होने के नाते राज की खुशखबरी दूसरों को सुनाता है। यीशु ने बताया कि यह काम करने से एक इंसान अंदर से तरो-ताज़ा महसूस करेगा। उसने कहा, “हे कड़ी मज़दूरी करनेवालो और बोझ से दबे लोगो, तुम सब मेरे पास आओ, मैं तुम्हें तरो-ताज़ा करूँगा। मेरा जुआ उठाओ और मुझसे सीखो  क्योंकि मैं कोमल स्वभाव का और दिल से दीन हूँ और तुम ताज़गी पाओगे।” (मत्ती 11:28, 29) जिस किसी ने यीशु के इस बुलावे को स्वीकार किया है, उसे ताज़गी मिली है!

2 यीशु परमेश्‍वर का प्रधान सेवक है। उसने कुछ लोगों को न्यौता दिया कि वे उसके चेले बन जाएँ। (मत्ती 9:9; यूह. 1:43) वह खुद प्रचार करता था और उसने अपने चेलों को भी प्रचार करना सिखाया। इसके बाद उसने उन्हें प्रचार करने के लिए भेजा। (मत्ती 10:1–11:1; 20:28; लूका 4:43) बाद में उसने 70 और चेलों को प्रचार करने भेजा। (लूका 10:1, 8-11) इन चेलों को प्रचार में भेजने से पहले यीशु ने उनसे कहा, “जो तुम्हारी सुनता है, वह मेरी भी सुनता है। जो तुम्हें ठुकराता है, वह मुझे भी ठुकराता है। जो मुझे ठुकराता है, वह उस परमेश्‍वर को भी ठुकराता है जिसने मुझे भेजा है।” (लूका 10:16) इस तरह यीशु ने इस बात पर ज़ोर दिया कि चेलों को जो ज़िम्मेदारी दी गयी है, वह कितनी गंभीर है। जब वे प्रचार में जाते, तो वे परम-प्रधान परमेश्‍वर और यीशु की तरफ से संदेश सुनाते। आज भी यीशु लोगों को न्यौता दे रहा है: ‘आकर मेरा चेला बन जाओ।’ जो लोग यह न्यौता कबूल करते हैं, उन पर भी यह गंभीर ज़िम्मेदारी आती है। (लूका 18:22; 2 कुरिं. 2:17) उन्हें भी राज की खुशखबरी सुनानी चाहिए और चेला बनाने का काम करना चाहिए।​—मत्ती 24:14; 28:19, 20.

3 यीशु का न्यौता कबूल करके उसके चेले बनने से हमें यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह को ‘जानने’ का मौका मिला है। (यूह. 17:3) हमें यहोवा के काम करने का तरीका सिखाया गया है। उसकी मदद से हम एक नयी सोच पैदा कर पाए हैं, नयी शख्सियत पहन पाए हैं और उसके नेक स्तरों के मुताबिक अपनी रोज़मर्रा ज़िंदगी को ढाल पाए हैं। (रोमि. 12:1, 2; इफि. 4:22-24; कुलु. 3:9, 10) हम दिल से यहोवा के एहसानमंद हैं, इसलिए हमने अपनी ज़िंदगी उसे समर्पित की है और समर्पण को सबके सामने ज़ाहिर करने के लिए पानी में बपतिस्मा लिया है। बपतिस्मा लेने पर हम परमेश्‍वर के ठहराए सेवक बनते हैं।

4 हमेशा याद रखिए कि हमें परमेश्‍वर की सेवा एक शुद्ध मन से करनी चाहिए और हमारा चालचलन सही होना चाहिए। (भज. 24:3, 4; यशा. 52:11; 2 कुरिं. 6:14–7:1) यीशु मसीह पर विश्‍वास करने से हमने साफ ज़मीर पाया है। (इब्रा. 10:19-23, 35, 36; प्रका. 7:9, 10, 14) प्रेषित पौलुस ने मसीहियों को सलाह दी कि वे सबकुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए करें ताकि किसी के लिए भी ठोकर का कारण न बनें। प्रेषित पतरस ने बताया कि अगर हमारा चालचलन सही होगा, तो अविश्‍वासी लोग हमें देखकर सच्चाई की तरफ आकर्षित हो सकते हैं। (1 कुरिं. 10:31, 33; 1 पत. 3:1) आप खुशखबरी के सेवक बनने में दूसरों की कैसे मदद कर सकते हैं?

नए प्रचारक

5 जब आप किसी के साथ बाइबल अध्ययन करते हैं, तो शुरू से ही उसे बढ़ावा दीजिए कि वह सीखी बातें दूसरों को भी बताए। उसे बताइए कि मौका मिलने पर वह रिश्‍तेदारों, दोस्तों, साथ काम करनेवालों और दूसरों से सच्चाई के बारे में बात करे। उसे समझाइए कि ऐसा करना बेहद ज़रूरी है, तभी वह आगे चलकर खुशखबरी का सेवक और यीशु का चेला बन पाएगा। (मत्ती 9:9; लूका 6:40) जब बाइबल विद्यार्थी तरक्की करेगा और मौका मिलने पर लोगों को गवाही देगा, तो वह खुद कहेगा कि वह घर-घर प्रचार भी करना चाहता है।

प्रचारक बनने के लिए योग्यताएँ

6 अपने विद्यार्थी से घर-घर के प्रचार में आने की बात करने से पहले आपको पक्का करना चाहिए कि वह कुछ माँगें पूरी करता है या नहीं। यह इसलिए कि जब एक व्यक्‍ति हमारे साथ प्रचार के लिए निकलता है, तो वह यह ज़ाहिर करता है कि वह साक्षियों के साथ जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि उसे प्रचार में आने से पहले यहोवा के नेक स्तरों को मानना चाहिए और बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने के योग्य होना चाहिए।

7 जब आप किसी के साथ अध्ययन करते हैं और बाइबल के सिद्धांतों पर उससे चर्चा करते हैं, तो आप उसकी ज़िंदगी और हालात से वाकिफ हो जाते हैं। आप शायद देखें कि वह बाइबल से जो सीख रहा है, उसके मुताबिक ज़िंदगी जी रहा है। फिर भी विद्यार्थी की ज़िंदगी से जुड़ी कुछ बातों के बारे में प्राचीन आपसे और विद्यार्थी से एक-साथ मिलकर बात करना चाहेंगे।

8 प्राचीनों के निकाय का संयोजक दो प्राचीनों से (जिनमें से एक सेवा-समिति का सदस्य होगा) कहेगा कि वे आप दोनों के साथ मिलकर इन मामलों पर बात करें। जिन मंडलियों में प्राचीन कम हैं वहाँ एक प्राचीन अपने साथ एक काबिल सहायक सेवक को ले सकता है। जिन भाइयों को इसके लिए चुना जाता है उन्हें यह चर्चा करने में देर नहीं करनी चाहिए। अगर किसी सभा में प्राचीनों को बताया जाता है कि एक विद्यार्थी प्रचार में जाना चाहता है, तो उन्हें उसी सभा के बाद यह चर्चा करने की कोशिश करनी चाहिए। बातचीत के दौरान माहौल गंभीर नहीं बल्कि अच्छा होना चाहिए। एक विद्यार्थी को बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने की मंज़ूरी देने से पहले प्राचीनों को आगे दी गयी बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. (1) विद्यार्थी मानता हो कि बाइबल परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी गयी है और यह उसका वचन है।​—2 तीमु. 3:16.

  2. (2) वह बाइबल की बुनियादी शिक्षाएँ जानता हो और उन पर विश्‍वास करता हो। अगर कोई उससे सवाल पूछे, तो वह झूठे धर्म की शिक्षाओं या अपने विचारों के मुताबिक नहीं बल्कि बाइबल के मुताबिक जवाब देता हो।​—मत्ती 7:21-23; 2 तीमु. 2:15.

  3. (3) अगर हालात साथ देते हैं, तो वह बाइबल की आज्ञा के मुताबिक सभाओं में आकर यहोवा के लोगों की संगति करता हो।​—भज. 122:1; इब्रा. 10:24, 25.

  4. (4) वह जानता हो कि नाजायज़ यौन-संबंधों के बारे में यानी व्यभिचार, एक-से-ज़्यादा पति/पत्नी रखने और समान लिंग के व्यक्‍ति के साथ लैंगिक संबंध रखने के बारे में बाइबल में क्या बताया गया है। साथ ही, वह बाइबल की इन शिक्षाओं के मुताबिक ज़िंदगी जीता हो। अगर एक आदमी और औरत साथ रह रहे हैं और वे एक-दूसरे के रिश्‍तेदार नहीं हैं, तो उन दोनों का कानूनी तौर पर शादीशुदा होना ज़रूरी है।​—मत्ती 19:9; 1 कुरिं. 6:9, 10; 1 तीमु. 3:2, 12; इब्रा. 13:4.

  5. (5) वह पियक्कड़ न हो। वह नशीली दवाइयाँ और दिमाग पर असर करनेवाली चीज़ें न लेता हो, फिर चाहे ये कुदरती हों या इंसान की बनायी।​—2 कुरिं. 7:1; इफि. 5:18; 1 पत. 4:3, 4.

  6. (6) वह बुरी संगति नहीं करता हो।​—1 कुरिं. 15:33.

  7. (7) झूठे धर्म की जिन संस्थाओं से वह पहले जुड़ा था, उनसे उसने पूरी तरह नाता तोड़ लिया हो, उनकी सभाओं में जाना बंद कर दिया हो और उनके कामों में साथ देना या शामिल होना छोड़ दिया हो।​—2 कुरिं. 6:14-18; प्रका. 18:4.

  8. (8) वह दुनिया की राजनीति से पूरी तरह नाता तोड़ चुका हो।​—यूह. 6:15; 15:19; याकू. 1:27.

  9. (9) वह यशायाह 2:4 में दिए सिद्धांत को मानता हो और सेना में या युद्ध से जुड़े किसी काम में हिस्सा न लेता हो।

  10. (10) वह सचमुच यहोवा का एक साक्षी बनना चाहता हो।​—भज. 110:3.

9 अगर प्राचीन ठीक-ठीक जान नहीं पा रहे हैं  कि विद्यार्थी ऊपर बताए किसी एक मुद्दे के बारे में कैसा महसूस करता है, तो उन्हें उस मुद्दे के आगे दी गयी आयतें दिखाकर विद्यार्थी से सवाल करना चाहिए। विद्यार्थी को यह समझ में आना चाहिए कि जो लोग यहोवा के साक्षियों के साथ प्रचार में जाते हैं, उन्हें बाइबल की इन माँगों के मुताबिक जीना चाहिए। उसके जवाबों से प्राचीनों को पता चल जाएगा कि उससे जो उम्मीद की जाती है उसे वह सही-सही समझ पाया है या नहीं। तब वे तय कर पाएँगे कि प्रचारक बनने की योग्यताएँ एक हद तक उसमें हैं या नहीं।

10 प्राचीनों को उसे फौरन बताना चाहिए कि वह प्रचार में जा सकता है या नहीं। कई विद्यार्थियों को यह बात चर्चा के आखिर में ही बतायी जा सकती है। अगर विद्यार्थी योग्य है, तो प्राचीन उसका एक प्रचारक के तौर पर स्वागत कर सकते हैं। (रोमि. 15:7) उन्हें विद्यार्थी को बढ़ावा देना चाहिए कि वह जल्द-से-जल्द प्रचार में जाए और महीने के आखिर में प्रचार की रिपोर्ट डाले। प्राचीन उसे बता सकते हैं कि जब एक बाइबल विद्यार्थी बपतिस्मा-रहित प्रचारक बन जाता है और पहली बार प्रचार की रिपोर्ट देता है, तब उसके नाम से एक कॉन्ग्रीगेशन्स पब्लिशर रेकॉर्ड कार्ड  बनाया जाता है और इसे मंडली की फाइल में रखा जाता है। इस कार्ड को भरने के लिए प्राचीन उससे कुछ निजी जानकारी लेते हैं। इस जानकारी से यहोवा के संगठन को पूरी दुनिया में साक्षियों के काम की निगरानी करने में मदद मिलती है। साथ ही हर प्रचारक यहोवा की सेवा से जुड़े काम कर पाता है और उपासना के मामले में ज़रूरत पड़ने पर उसकी मदद की जाती है। प्राचीन नए प्रचारक को यह भी बता सकते हैं कि उसकी निजी जानकारी का इस्तेमाल यहोवा के साक्षियों की विश्‍वव्यापी डेटा सुरक्षा नीतियों के मुताबिक किया जाएगा जो jw.org पर दी गयी हैं।

11 अगर हम नए प्रचारक को अच्छी तरह जानेंगे और वह प्रचार में जो भी मेहनत करता है उसकी सराहना करेंगे, तो उस पर अच्छा असर होगा। वह हर महीने रिपोर्ट डालेगा और यहोवा की सेवा ज़्यादा करने के लिए आगे बढ़ेगा।​—फिलि. 2:4; इब्रा. 13:2.

12 एक बार जब प्राचीन तय कर लेते हैं कि बाइबल विद्यार्थी प्रचार में जाने के योग्य है, तो वे उसे यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए संगठित  किताब दे सकते हैं। जब वह पहली बार प्रचार की रिपोर्ट डालेगा, तो मंडली में घोषणा की जाएगी कि वह बपतिस्मा-रहित प्रचारक बन गया है।

बच्चों की मदद कीजिए

13 बच्चे भी राज के प्रचारक बनने के योग्य हो सकते हैं। यीशु बच्चों को अपने पास आने देता था और उन्हें आशीष देता था। (मत्ती 19:13-15; 21:15, 16) हालाँकि बच्चों की ज़िम्मेदारी खासकर माता-पिता पर होती है, फिर भी दूसरे भाई-बहन उन बच्चों की मदद कर सकते हैं जो प्रचार करना चाहते हैं। अगर आप एक माँ या पिता हैं, तो आपको प्रचार करने में अच्छी मिसाल रखनी चाहिए ताकि आपको देखकर आपके बच्चों में भी वही जोश पैदा हो। अगर एक बच्चे का चालचलन अच्छा है और वह अपने विश्‍वास के बारे में दूसरों को बताना चाहता है, तो उसकी और कैसे मदद की जा सकती है?

14 अच्छा होगा कि बच्चे की माँ या उसका पिता मंडली सेवा-समिति के एक प्राचीन से बात करे। वे इस बारे में चर्चा कर सकते हैं कि बच्चा प्रचारक बनने के योग्य है या नहीं। फिर प्राचीनों के निकाय का संयोजक दो प्राचीनों से (जिनमें से एक सेवा-समिति का सदस्य होगा) कहेगा कि वे बच्चे के साथ चर्चा करें। चर्चा के दौरान उसके माता-पिता में से एक को (जो सच्चाई में है) या फिर बच्चा जिसकी निगरानी में रहता है, उसे साथ होना चाहिए। अगर बच्चे को बाइबल की बुनियादी सच्चाइयाँ पता हैं और यह साफ दिखता है कि वह प्रचार करना चाहता है,  तो इसका मतलब है कि वह अच्छी तरक्की कर रहा है। प्राचीन इन बातों पर और इस तरह की दूसरी बातों पर चर्चा करेंगे जिन पर बड़ों के साथ भी चर्चा की जाती है। इसके बाद प्राचीन तय कर सकते हैं कि बच्चा बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने के योग्य है या नहीं। (लूका 6:45; रोमि. 10:10) एक बच्चे के साथ ऐसे मुद्दों पर चर्चा करने की ज़रूरत नहीं है जिन पर सिर्फ बड़ों के साथ चर्चा की जाती है। जैसे यह कि क्या वह किसी धार्मिक संगठन का सदस्य है।

15 चर्चा के दौरान प्राचीनों को बच्चे की तारीफ करनी चाहिए कि वह अच्छी तरक्की कर रहा है और उसे बढ़ावा देना चाहिए कि वह बपतिस्मा लेने का लक्ष्य रखे। माता-पिता की भी तारीफ करनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने बच्चे के दिल में सच्चाई बिठाने के लिए बहुत मेहनत की होगी। प्राचीन माता-पिता को इस किताब के पेज 179-181 पढ़ने के लिए कह सकते हैं। वहाँ इस शीर्षक के तहत कुछ जानकारी दी गयी है: “मसीही माता-पिताओं के लिए संदेश।” तब माता-पिता आगे भी बच्चे की मदद कर सकेंगे।

समर्पण और बपतिस्मा

16 यह बहुत अच्छी बात है कि आपने यहोवा को जाना है और आप उससे प्यार करते हैं। आप उसके स्तरों के मुताबिक जी रहे हैं और प्रचार भी कर रहे हैं। मगर आपको यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करते रहना चाहिए। यह आप कैसे कर सकते हैं? अपना जीवन उसे समर्पित कीजिए और इसे ज़ाहिर करने के लिए पानी में बपतिस्मा लीजिए।​—मत्ती 28:19, 20.

17 परमेश्‍वर को अपना जीवन समर्पित करने का मतलब है, पूरी गंभीरता के साथ प्रार्थना में उससे वादा करना कि अब से आप अपनी ज़िंदगी उसकी सेवा में लगाएँगे और उसकी राह पर चलेंगे। अब से आप हमेशा के लिए सिर्फ उसी की उपासना करेंगे। (व्यव. 5:9) आपको अकेले में यहोवा से प्रार्थना करके समर्पण करना चाहिए। कोई दूसरा आपके लिए यह काम नहीं कर सकता।

18 लेकिन यह काफी नहीं कि आप अकेले में यहोवा को अपना जीवन समर्पित कर दें। दूसरों को भी यह पता होना चाहिए कि आपने समर्पण किया है, इसलिए आपको बपतिस्मा लेना चाहिए जैसे यीशु ने भी लिया था। (1 पत. 2:21; 3:21) अगर आपने यहोवा की सेवा करने का फैसला कर लिया है और बपतिस्मा लेना चाहते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए? प्राचीनों के निकाय के संयोजक को बताइए कि आप बपतिस्मा लेना चाहते हैं। वह भाई कुछ प्राचीनों से कहेगा कि वे आपके साथ चर्चा करे और पक्का करे कि आप बपतिस्मा पाने के लिए परमेश्‍वर की माँगें पूरी कर रहे हैं या नहीं। ज़्यादा जानकारी के लिए इस किताब के पेज 182-184 पर “बपतिस्मा-रहित प्रचारक के लिए संदेश” और पेज 185-207 पर “बपतिस्मा लेनेवालों के लिए सवाल” देखिए।

प्रचार काम में होनेवाली बढ़ोतरी की रिपोर्ट

19 सालों से पूरी दुनिया में शुद्ध उपासना किस तरह फैल रही है, इसकी रिपोर्ट सुनकर यहोवा के लोगों का हौसला बढ़ा है। जब यीशु मसीह ने पहली बार बताया था कि पूरी दुनिया में खुशखबरी सुनायी जाएगी, तब से सच्चे मसीहियों को यह जानने में दिलचस्पी रही है कि यह काम कैसे पूरा होगा।​—मत्ती 28:19, 20; मर. 13:10; प्रेषि. 1:8.

20 यीशु मसीह के शुरू के चेलों को प्रचार काम में मिल रही कामयाबी की खबरें सुनकर बहुत खुशी होती थी। (मर. 6:30) प्रेषितों की किताब हमें बताती है कि ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त के दिन जब चेलों पर पवित्र शक्‍ति उँडेली गयी, तब करीब 120 लोग मौजूद थे। कुछ ही समय बाद उनकी गिनती बढ़कर करीब 3,000 और फिर करीब 5,000 हो गयी। बाइबल बताती है, “यहोवा हर दिन ऐसे और भी लोगों को उनमें शामिल करता गया, जिन्हें वह उद्धार दिला रहा था,” और “बड़ी तादाद में याजक भी विश्‍वासी बन गए।” (प्रेषि. 1:15; 2:5-11, 41, 47; 4:4; 6:7) इस बढ़ोतरी की खबरें सुनकर चेलों का हौसला कितना बुलंद हुआ होगा! प्रचार काम में इसी तरह आगे बढ़ने के लिए उनके अंदर जोश भर आया होगा। इसलिए जब यहूदी धर्म गुरुओं ने उन पर बहुत ज़ुल्म किए, तो भी वे इस काम में लगे रहे।

21 ईसवी सन्‌ 60-61 के आस-पास पौलुस ने कुलुस्सियों के नाम चिट्ठी में बताया कि राज की खुशखबरी “सारी दुनिया में फल ला रही है और बढ़ती जा रही है” और इसका “प्रचार पूरी दुनिया में किया जा चुका है।” (कुलु. 1:5, 6, 23) पहली सदी के मसीहियों ने परमेश्‍वर के वचन में दी गयी आज्ञा मानी और पवित्र शक्‍ति ने उन्हें बड़े पैमाने पर खुशखबरी सुनाने के लिए ताकत दी। इस वजह से ईसवी सन्‌ 70 में यहूदी व्यवस्था का अंत होने से पहले दूर-दूर तक प्रचार काम पूरा हो गया था। उस ज़माने में जब मसीहियों ने सुना कि अलग-अलग जगहों में यह काम कैसे चल रहा है, तो उन्हें बहुत खुशी हुई होगी।

क्या आप पूरे जोश से प्रचार करते हैं?

22 आज यहोवा का संगठन भी प्रचार काम का रिकॉर्ड रखता है। मत्ती 24:14 में भविष्यवाणी की गयी थी कि “राज की इस खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाएगा ताकि सब राष्ट्रों को गवाही दी जाए और इसके बाद अंत आ जाएगा।” परमेश्‍वर के समर्पित सेवकों के नाते हमें जल्द-से-जल्द यह काम पूरा करना है। हम में से हर एक को अंत आने से पहले यह काम पूरे जोश से करना चाहिए। यहोवा इस काम को हर हाल में पूरा करेगा और अगर हमने इस काम में हिस्सा लिया है, तो बेशक वह हमसे खुश होगा।​—यहे. 3:18-21.

आपकी प्रचार रिपोर्ट

23 प्रचार की रिपोर्ट में हमें क्या लिखना चाहिए? प्रचार सेवा रिपोर्ट  फॉर्म पर ही लिखा होता है कि हमें उसमें क्या-क्या भरना है। फिर भी आगे दी जानकारी से आप और अच्छी तरह जान पाएँगे कि रिपोर्ट में क्या लिखना है।

24 फॉर्म में “वितरण (प्रिंटेड और इलेक्ट्रॉनिक)” के आगे आप लिख सकते हैं कि आपने कितने छपे हुए प्रकाशन या उनकी इलेक्ट्रॉनिक कॉपियाँ ऐसे लोगों को दी हैं जो बपतिस्मा पाए हुए साक्षी नहीं हैं। “वीडियो दिखाना” के आगे आप लिख सकते हैं कि आपने कितनी बार लोगों को हमारा कोई वीडियो दिखाया है।

25 प्रचार में दिलचस्पी दिखानेवालों से जब हम दोबारा मिलते हैं, तो उसे “वापसी भेंट” गिन सकते हैं। जब भी आप किसी ऐसे व्यक्‍ति की दिलचस्पी बढ़ाते हैं जो बपतिस्मा पाया हुआ साक्षी नहीं है, तो आप एक वापसी भेंट गिन सकते हैं। आप चाहे तो उससे खुद मिलकर, खत लिखकर, फोन पर बात करके, फोन या इंटरनेट से मैसेज भेजकर उससे वापसी भेंट कर सकते हैं। अगर आपने उसे कोई साहित्य दिया है या जब वह घर पर नहीं था तब उसके घर पर साहित्य छोड़ा है, तो वह भी एक वापसी भेंट होगा। हर बार जब आप किसी के साथ बाइबल अध्ययन करते हैं, तो उसे वापसी भेंट गिनना चाहिए। जब एक माँ या पिता पारिवारिक उपासना में सिखाता है और उसमें एक ऐसा बच्चा भी होता है जिसका बपतिस्मा नहीं हुआ है, तो वह माँ या पिता एक वापसी भेंट गिन सकता है।

26 हालाँकि एक बाइबल अध्ययन आम तौर पर हर हफ्ते किया जाता है, मगर महीने के आखिर में उसे सिर्फ एक अध्ययन गिना जाएगा। प्रचारकों को फॉर्म पर लिखना चाहिए कि एक महीने में उन्होंने कुल मिलाकर कितने अलग-अलग  बाइबल अध्ययन कराए हैं। अगर आप किसी ऐसे व्यक्‍ति के साथ बाइबल अध्ययन करते हैं जो समर्पित और बपतिस्मा पाया हुआ साक्षी नहीं है, तो उसे एक अध्ययन गिन सकते हैं। अगर मंडली सेवा-समिति आपको किसी ऐसे व्यक्‍ति के साथ अध्ययन करने के लिए कहती है जो निष्क्रिय हो चुका है, तो वह भी एक बाइबल अध्ययन गिना जाएगा। साथ ही, जिनका अभी-अभी बपतिस्मा हुआ है, उन्होंने अगर खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!  किताब से अध्ययन खत्म नहीं किया है, तो उनके साथ अध्ययन करने पर भी आप एक बाइबल अध्ययन गिन सकते हैं।

27 प्रचार के घंटों की सही-सही रिपोर्ट देना बहुत ज़रूरी है। जब हम घर-घर प्रचार करते हैं, वापसी भेंट करते हैं, बाइबल अध्ययन कराते हैं या पहले से तय किए इंतज़ाम के मुताबिक किसी और तरीके से गवाही देते हैं या फिर मौका ढूँढ़कर गवाही देते हैं, तो उस समय को रिपोर्ट कर सकते हैं। इन सभी तरीकों से जब हम ऐसे लोगों को प्रचार करते हैं जो समर्पित और बपतिस्मा पाए हुए साक्षी नहीं हैं, तो उस समय की रिपोर्ट की जानी चाहिए। अगर दो प्रचारक साथ-साथ प्रचार करते हैं, तो वे दोनों समय की रिपोर्ट दे सकते हैं। लेकिन वापसी भेंट करने पर या बाइबल अध्ययन कराने पर दोनों में से एक ही प्रचारक वापसी भेंट गिनेगा। जब माता-पिता पारिवारिक उपासना में अपने बच्चों को सिखाते हैं, तो वे दोनों उस समय की रिपोर्ट कर सकते हैं। मगर वे हर हफ्ते एक घंटे से ज़्यादा समय नहीं लिख सकते। जब कोई भाई जन भाषण देता है, तो वह जितने मिनट भाषण देता है वह उसकी रिपोर्ट कर सकता है। भाषण का अनुवाद करनेवाला भी घंटे गिन सकता है। मगर कुछ ऐसे काम भी हैं जिनमें लगनेवाले समय को रिपोर्ट में शामिल नहीं करना चाहिए। जैसे, प्रचार के लिए तैयार होने, प्रचार की सभा में हाज़िर होने या प्रचार के दौरान खरीदारी में लगनेवाला समय।

28 हर प्रचारक को बाइबल से तालीम पाए हुए ज़मीर के मुताबिक फैसला करना चाहिए कि वह कितना समय प्रचार के घंटों में गिनेगा। उसे सोच-समझकर फैसला करना चाहिए। क्यों? क्योंकि कुछ प्रचारक भीड़वाले इलाकों में प्रचार करते हैं, तो कुछ प्रचारक ऐसे इलाकों में जहाँ कम लोग रहते हैं। वहाँ एक व्यक्‍ति को गवाही देने के बाद दूसरे व्यक्‍ति तक पहुँचने में ज़्यादा वक्‍त लगता है। इलाके अलग-अलग होते हैं, यहाँ तक कि हर प्रचारक इस बारे में अलग राय रखता है कि वह किस समय को प्रचार का समय मानेगा। शासी निकाय दुनिया-भर की मंडलियों के भाई-बहनों पर अपने ज़मीर के हिसाब से कोई राय नहीं थोपता कि उन्हें घंटे कैसे गिनने चाहिए। न ही शासी निकाय ने किसी को नियुक्‍त किया है जो तय करे कि इस मामले में क्या सही है और क्या गलत।​—मत्ती 6:1; 7:1; 1 तीमु. 1:5.

29 प्रचार में बिताए गए समय की रिपोर्ट पूरे-पूरे घंटों में दी जानी चाहिए, मिनटों में नहीं। मगर जो प्रचारक बुढ़ापे या बीमारी की वजह से कहीं आ-जा नहीं सकते, किसी नर्सिंग होम में हैं या चल-फिर नहीं सकते, वे 15 मिनट या आधे घंटे या 45 मिनट भी रिपोर्ट कर सकते हैं। अगर वे महीने में सिर्फ 15 मिनट भी गवाही देते हैं, तो वे उसे अपनी रिपोर्ट में लिख सकते हैं। वे भी सक्रिय प्रचारकों में गिने जाएँगे। जो प्रचारक गंभीर बीमारी या चोट लगने की वजह से एक-दो महीने तक बाहर नहीं जा सकते, वे भी 15 मिनट की रिपोर्ट डाल सकते हैं। गौर कीजिए, यह इंतज़ाम सिर्फ उन लोगों के लिए है जो ज़्यादा-कुछ करने की हालत में नहीं हैं।  कौन-सा प्रचारक 15 मिनट की किश्‍तों में रिपोर्ट दे सकता है, इसका फैसला सेवा-समिति करती है।

कॉन्ग्रीगेशन्स पब्लिशर रेकॉर्ड  कार्ड

30 आप हर महीने प्रचार की जो रिपोर्ट देते हैं, उसे कॉन्ग्रीगेशन्स पब्लिशर रेकॉर्ड  कार्ड पर लिखा जाता है। आपके कार्ड को सँभालने की ज़िम्मेदारी आपकी मंडली के प्राचीन की है। अगर आप किसी और मंडली में जाने की सोच रहे हैं, तो अपनी मंडली के प्राचीनों को ज़रूर बताइए। आपकी मंडली का सचिव आपका पब्लिशर  कार्ड नयी मंडली में भेजेगा। तब नयी मंडली के प्राचीन खुशी-खुशी आपका स्वागत करेंगे और चरवाहों के नाते आपकी देखभाल करेंगे। अगर आप तीन महीने से कम समय के लिए अपनी मंडली से दूर जा रहे हैं, तो आप हर महीने अपनी मंडली को रिपोर्ट भेजते रहिए।

हम प्रचार की रिपोर्ट क्यों देते हैं?

31 क्या आप कभी-कभी प्रचार की रिपोर्ट देना भूल जाते हैं? हम सब भूल जाते हैं, इसलिए कभी-कभी भाई हमें याद दिलाते हैं। लेकिन अगर हम यह बात अच्छी तरह समझें कि रिपोर्ट देना क्यों ज़रूरी है, तो रिपोर्ट देना हमें याद रहेगा।

32 कुछ लोगों ने पूछा है, “यहोवा तो जानता है कि मैं कितनी सेवा करता हूँ, फिर मुझे रिपोर्ट देने की क्या ज़रूरत है?” बेशक यहोवा जानता है कि हम कितनी सेवा करते हैं और तन-मन से करते हैं या सिर्फ खानापूर्ति के लिए करते हैं। मगर याद कीजिए कि यहोवा ने बाइबल में कई बातों का सही-सही रिकॉर्ड लिखवाया था। जैसे, नूह ने जहाज़ में कितने दिन बिताए थे और वीराने में इसराएली कितने साल तक भटके थे। यहोवा ने इसका भी हिसाब रखा कि कितने लोग उसके वफादार रहे और कितनों ने उसकी आज्ञा नहीं मानी। इसराएलियों ने कनान देश पर किस तरह धीरे-धीरे अपना कब्ज़ा जमाया और इसराएल के वफादार न्यायियों ने क्या कदम उठाए, इन सबका ब्यौरा भी यहोवा ने लिखवाया। जी हाँ, उसने अपने सेवकों के कामों और कुछ घटनाओं की बारीक-से-बारीक जानकारी लिखवायी। बेशक, यहोवा चाहता है कि उसके काम का सही-सही रिकॉर्ड रखा जाए।

33 बाइबल में दर्ज़ घटनाओं के ब्यौरे से पता चलता है कि बीते ज़माने में यहोवा के लोग सही-सही रिकॉर्ड रखते थे और उनमें बताए आँकड़े भी बिलकुल सही थे। अगर ऐसी सटीक जानकारी नहीं दी गयी होती, तो हम उन घटनाओं के मायने पूरी तरह नहीं समझ पाते। इन मिसालों पर गौर कीजिए: उत्पत्ति 46:27; निर्गमन 12:37; न्यायियों 7:7; 2 राजा 19:35; 2 इतिहास 14:9-13; यूहन्‍ना 6:10; 21:11; प्रेषितों 2:41; 19:19.

34 यह सच है कि यहोवा की उपासना में हम जितने भी काम करते हैं, वह सब हम रिपोर्ट में नहीं लिखते। लेकिन हम प्रचार की जो रिपोर्ट देते हैं उससे यहोवा के संगठन को काफी मदद मिलती है। पहली सदी में जब प्रेषित प्रचार अभियान से लौटकर आए, तो उन्होंने ‘जो-जो काम किए थे और जो-जो सिखाया था वह सब’ यीशु को बताया। (मर. 6:30) आज प्रचारकों की रिपोर्ट से काफी कुछ पता चलता है। रिपोर्ट के आँकड़ों से पता चलता है कि किस मामले में तरक्की हुई है और किस मामले में सुधार करने की ज़रूरत है। मिसाल के लिए, यह पता चलता है कि प्रचारकों की गिनती बढ़ रही है या नहीं। शायद भाई-बहनों का जोश बढ़ाने की ज़रूरत है या किसी समस्या को सुलझाने की ज़रूरत है। निगरानी करनेवाले भाई जब रिपोर्ट पर गौर करते हैं, तो वे समझ पाते हैं कि क्या किसी प्रचारक या मंडली के सामने कोई रुकावट है। तब वे उसकी अच्छी तरह प्रचार करने में मदद कर पाते हैं।

35 यही नहीं, जब हम रिपोर्ट देते हैं तो संगठन तय कर पाता है कि कहाँ पर प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। किन इलाकों में अच्छी बढ़ोतरी हो रही है? कहाँ बहुत कम तरक्की हो रही है? लोगों को सच्चाई सिखाने के लिए किन प्रकाशनों की ज़रूरत है? रिपोर्ट देखकर संगठन को यह भी पता चलता है कि दुनिया-भर में होनेवाले प्रचार काम के लिए कितने साहित्य की ज़रूरत पड़ सकती है। तब ये साहित्य उपलब्ध कराने के लिए संगठन काफी पहले से इंतज़ाम कर सकता है।

36 प्रचार काम की रिपोर्ट देखकर हम सबका जोश बढ़ता है। जब हम सुनते हैं कि दुनिया-भर में हमारे भाई-बहन कितनी मेहनत कर रहे हैं, तो हमारे अंदर खुशी की लहर दौड़ जाती है। बढ़ोतरी की रिपोर्ट से पता चलता है कि यहोवा का संगठन कितनी तरक्की कर रहा है। भाई-बहनों का अनुभव सुनकर हमें प्रचार काम और ज़्यादा करने की प्रेरणा मिलती है। (प्रेषि. 15:3) इस वजह से हममें से हर किसी को प्रचार की रिपोर्ट देनी चाहिए। रिपोर्ट देकर हम पूरी दुनिया के भाई-बहनों की हिम्मत बढ़ाते हैं। हालाँकि रिपोर्ट देना हमें एक छोटी बात लगे, मगर ऐसा करके हम यहोवा के संगठन के निर्देशों को मान रहे होते हैं।​—लूका 16:10; इब्रा. 13:17.

एक लक्ष्य रखिए

37 हमें यह नहीं देखना चाहिए कि दूसरे भाई-बहन हमसे ज़्यादा सेवा कर रहे हैं या कम कर रहे हैं। (गला. 5:26; 6:4) सभी भाई-बहनों के हालात अलग-अलग होते हैं। लेकिन अगर हम अपने लिए कुछ लक्ष्य रखेंगे, तो हमें बहुत फायदा होगा। मगर हमें ऐसे लक्ष्य रखने चाहिए जिन्हें हम हासिल कर सकें। तब हम खुद देख पाएँगे कि प्रचार काम में हम कितनी तरक्की कर रहे हैं। इन लक्ष्यों को हासिल करने से हमें खुशी होती है कि हमने कुछ किया है।

38 यह साफ ज़ाहिर है कि यहोवा उन लोगों को इकट्ठा करने के काम में तेज़ी ला रहा है जिन्हें वह “महा-संकट” से बचाएगा। हमारे दिनों में यशायाह की यह भविष्यवाणी पूरी हो रही है: “थोड़े-से-थोड़ा, एक हज़ार हो जाएगा और छोटे-से-छोटा, ताकतवर राष्ट्र बन जाएगा। मैं यहोवा, ठीक समय पर इस काम में तेज़ी लाऊँगा।” (प्रका. 7:9, 14; यशा. 60:22) आज के इस आखिरी दौर में खुशखबरी के प्रचारक होना वाकई बहुत बड़ा सम्मान है!​—मत्ती 24:14.

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