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  • 1 कुरिंथियों 9
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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1 कुरिंथियों का सारांश

      • पौलुस, प्रेषित होने की अच्छी मिसाल (1-27)

        • “अनाज की दँवरी करते बैल का मुँह न बाँधना” (9)

        • “धिक्कार है मुझ पर अगर मैं खुशखबरी न सुनाऊँ!” (16)

        • सब लोगों के लिए सबकुछ बना (19-23)

        • जीवन की दौड़ में संयम (24-27)

1 कुरिंथियों 9:1

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 9:3-5; 1कुर 15:7, 8

1 कुरिंथियों 9:4

फुटनोट

  • *

    शा., “अधिकार।”

1 कुरिंथियों 9:5

फुटनोट

  • *

    या “किसी मसीही बहन से शादी करके।”

  • *

    पतरस भी कहलाता था।

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    सबके लिए किताब, पेज 16

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/1996, पेज 20

1 कुरिंथियों 9:6

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1 कुरिंथियों 9:7

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1 कुरिंथियों 9:9

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/1990, पेज 29

1 कुरिंथियों 9:11

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  • +रोम 15:26, 27; गल 6:6; फिल 4:15-17

1 कुरिंथियों 9:12

फुटनोट

  • *

    शा., “अधिकार।”

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  • +प्रेष 18:3; 20:34; 2थि 3:7, 8
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1 कुरिंथियों 9:13

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1 कुरिंथियों 9:14

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  • खोजबीन गाइड

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 22-23

1 कुरिंथियों 9:15

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  • +प्रेष 18:3; 20:34; 1कुर 4:11, 12; 2थि 3:8
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1 कुरिंथियों 9:16

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  • +यहे 3:18

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    9/15/1996, पेज 17-19

1 कुरिंथियों 9:17

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  • +गल 2:7; इफ 3:1, 2; कुल 1:25

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    3/2024, पेज 11-12

1 कुरिंथियों 9:18

फुटनोट

  • *

    या “हक।”

1 कुरिंथियों 9:20

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  • +प्रेष 16:3; 18:18
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1 कुरिंथियों 9:21

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  • +यूह 13:34; गल 6:2

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    9/1/1996, पेज 14-19

1 कुरिंथियों 9:22

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  • +रोम 14:1; 15:1; 2कुर 11:29

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/2005, पेज 27-31

1 कुरिंथियों 9:23

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1 कुरिंथियों 9:24

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    प्रहरीदुर्ग,

    9/15/2011, पेज 16, 24

    5/1/2004, पेज 29

    10/1/1999, पेज 18

    11/1/1992, पेज 13-14

    9/1/1990, पेज 29

1 कुरिंथियों 9:25

फुटनोट

  • *

    या “हर खिलाड़ी।”

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  • +2ती 2:5
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  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 149

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/2004, पेज 29-30

    10/15/2003, पेज 18-20

    10/1/2002, पेज 30

    1/1/2001, पेज 30-31

    10/1/1999, पेज 18, 20-21

    11/1/1992, पेज 15-17

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1 कुरिंथियों 9:26

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    9/2016, पेज 9

    राज-सेवा,

    1/2012, पेज 1

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2002, पेज 31

    11/1/1992, पेज 17-18

    9/1/1990, पेज 29

1 कुरिंथियों 9:27

फुटनोट

  • *

    या “सज़ा देता; सख्ती बरतता।”

संबंधित आयतें

  • +रोम 8:13; कुल 3:5

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    5/2023, पेज 29

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2013, पेज 14

    11/1/1992, पेज 18

    9/1/1990, पेज 29

    सर्वदा जीवित रहिए, पेज 223

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

1 कुरिं. 9:1प्रेष 9:3-5; 1कुर 15:7, 8
1 कुरिं. 9:5मत 19:11
1 कुरिं. 9:5मत 13:55; गल 1:19
1 कुरिं. 9:5यूह 1:42
1 कुरिं. 9:6प्रेष 13:2
1 कुरिं. 9:7व्य 20:6; नीत 27:18
1 कुरिं. 9:9व्य 25:4; 1ती 5:18
1 कुरिं. 9:11रोम 15:26, 27; गल 6:6; फिल 4:15-17
1 कुरिं. 9:12प्रेष 18:3; 20:34; 2थि 3:7, 8
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1 कुरिं. 9:13लैव 6:14, 16; गि 18:30, 31; व्य 18:1
1 कुरिं. 9:14मत 10:9, 10; लूक 10:7, 8
1 कुरिं. 9:15प्रेष 18:3; 20:34; 1कुर 4:11, 12; 2थि 3:8
1 कुरिं. 9:152कुर 11:8-10
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1 कुरिं. 9:20प्रेष 21:24, 26
1 कुरिं. 9:21यूह 13:34; गल 6:2
1 कुरिं. 9:22रोम 14:1; 15:1; 2कुर 11:29
1 कुरिं. 9:23प्रेष 19:26; 1थि 2:8
1 कुरिं. 9:24मत 10:22; फिल 3:14; 2ती 4:7, 8
1 कुरिं. 9:252ती 2:5
1 कुरिं. 9:25याकू 1:12
1 कुरिं. 9:26गल 2:2; फिल 2:16; इब्र 12:1
1 कुरिं. 9:27रोम 8:13; कुल 3:5
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  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
1 कुरिंथियों 9:1-27

कुरिंथियों के नाम पहली चिट्ठी

9 क्या मैं आज़ाद नहीं कि जो चाहे वह करूँ? क्या मैं एक प्रेषित नहीं? क्या मैंने हमारे प्रभु यीशु को नहीं देखा?+ क्या तुम प्रभु में मेरी मेहनत का फल नहीं हो? 2 चाहे मैं दूसरों के लिए प्रेषित न सही, फिर भी तुम्हारे लिए बेशक हूँ! इसलिए कि तुम वह मुहर हो जो प्रभु में मेरे प्रेषित-पद का सबूत देती है।

3 जो मेरी जाँच-पड़ताल करते हैं, उनके सामने मेरी सफाई यह है: 4 क्या हमें खाने-पीने का हक* नहीं? 5 क्या हमें यह हक नहीं कि हम शादी करें और अपनी विश्‍वासी पत्नी को* अपने साथ-साथ ले जाएँ,+ जैसा कि बाकी प्रेषित, प्रभु के भाई+ और कैफा*+ भी करते हैं? 6 या क्या सिर्फ बरनबास+ और मुझे ही गुज़ारे के लिए काम करना ज़रूरी है? क्या हमारे पास यह हक नहीं कि हम बिना काम किए रह सकें? 7 ऐसा कौन-सा सैनिक है जो अपना खर्च खुद उठाता है? कौन है जो अंगूरों का बाग लगाकर भी उसका फल नहीं खाता?+ या ऐसा कौन-सा चरवाहा है जो झुंड की देखभाल तो करता है मगर उसके दूध में से कुछ हिस्सा नहीं लेता?

8 क्या मैं ये बातें सिर्फ इंसानी नज़रिए से कह रहा हूँ? क्या कानून भी यही बातें नहीं कहता? 9 इसलिए कि मूसा के कानून में लिखा है, “तुम अनाज की दँवरी करते बैल का मुँह न बाँधना।”+ क्या परमेश्‍वर सिर्फ बैलों की परवाह करता है? 10 क्या उसने यह बात असल में हमारे लिए नहीं कही? सच तो यह है कि यह बात हमारी खातिर लिखी गयी थी, क्योंकि जो आदमी हल चलाता है उसका अनाज पाने की आशा रखना गलत नहीं है और जो आदमी अनाज दाँवता है उसका अनाज में से हिस्सा पाने की आशा रखना गलत नहीं है।

11 हमने तुम्हारे बीच परमेश्‍वर की बातें बोयी हैं, तो क्या बदले में तुमसे खाने-पहनने की चीज़ों की फसल पाना गलत होगा?+ 12 अगर दूसरे तुम पर यह हक जता सकते हैं, तो क्या हमारा और भी ज़्यादा हक नहीं बनता? फिर भी, हमने अपना हक* नहीं जताया।+ मगर हम सबकुछ सह रहे हैं ताकि हमारी वजह से मसीह की खुशखबरी फैलने में कोई रुकावट न आए।+ 13 क्या तुम नहीं जानते कि जो आदमी मंदिर में पवित्र सेवा से जुड़े काम करते हैं, वे मंदिर से मिली चीज़ें खाते हैं? और जो वेदी के पास सेवा में लगे रहते हैं वे वेदी के साथ बलिदान का हिस्सा पाते हैं?+ 14 उसी तरह, प्रभु ने खुशखबरी सुनानेवालों के लिए भी यह आज्ञा दी कि खुशखबरी से उनका गुज़र-बसर हो।+

15 मगर मैंने इनमें से एक भी इंतज़ाम का फायदा नहीं उठाया।+ दरअसल, मैंने ये बातें इसलिए नहीं लिखीं कि मेरे लिए यह सब किया जाए, क्योंकि इससे तो अच्छा होगा कि मैं मर जाऊँ। मेरे पास शेखी मारने की यह जो वजह है, इसे मैं किसी भी इंसान को छीनने नहीं दूँगा।+ 16 अब अगर मैं खुशखबरी सुनाता हूँ, तो यह मेरे लिए शेखी मारने की कोई वजह नहीं क्योंकि ऐसा करना तो मेरा फर्ज़ है। धिक्कार है मुझ पर अगर मैं खुशखबरी न सुनाऊँ!+ 17 अगर मैं यह काम अपनी मरज़ी से करता हूँ, तो मुझे इनाम मिलेगा। और अगर मैं यह काम न चाहते हुए करता हूँ, तो भी मैं प्रबंधक का काम ही कर रहा हूँ जो मुझे प्रभु ने सौंपा है।+ 18 यह इनाम क्या है जो मुझे मिलेगा? यही कि जब मैं खुशखबरी सुनाऊँ तो मैं बिना कीमत के खुशखबरी दूँ ताकि मैं खुशखबरी के मामले में अपने अधिकार* का गलत इस्तेमाल न करूँ।

19 हालाँकि मैं किसी इंसान का दास नहीं हूँ फिर भी मैंने खुद को सबका दास बनाया है ताकि मैं ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को मसीह की राह पर ला सकूँ। 20 मैं यहूदियों के लिए यहूदी जैसा बना ताकि यहूदियों को ला सकूँ।+ जो कानून के अधीन हैं उनके लिए मैं कानून के अधीन रहनेवालों जैसा बना ताकि जो कानून के अधीन हैं उन्हें ला सकूँ, हालाँकि मैं खुद कानून के अधीन नहीं।+ 21 जिनके पास कानून नहीं है, उनके लिए मैं उन्हीं के जैसा बना, इसके बावजूद कि मैं परमेश्‍वर के सामने बिना कानून का नहीं हूँ बल्कि मसीह के कानून के अधीन हूँ+ ताकि मैं उन्हें ला सकूँ जिनके पास कानून नहीं है। 22 मैं कमज़ोरों के लिए कमज़ोर बना ताकि कमज़ोरों को ला सकूँ।+ मैं सब किस्म के लोगों के लिए सबकुछ बना ताकि मैं हर मुमकिन तरीके से कुछ लोगों का उद्धार करा सकूँ। 23 मैं सबकुछ खुशखबरी की खातिर करता हूँ ताकि यह खबर मैं दूसरों को सुना सकूँ।+

24 क्या तुम नहीं जानते कि दौड़ में हिस्सा लेनेवाले सभी दौड़ते हैं, मगर इनाम एक ही को मिलता है? इस तरह से दौड़ो कि तुम इनाम जीत सको।+ 25 प्रतियोगिता में हिस्सा लेनेवाला* हर बात में संयम बरतता है। बेशक, वे एक ऐसा ताज पाने के लिए यह सब करते हैं जो नाश हो सकता है,+ मगर हम उस ताज के लिए करते हैं जो कभी नाश नहीं होगा।+ 26 इसलिए मैं अंधाधुंध यहाँ-वहाँ नहीं दौड़ता,+ मैं इस तरह मुक्के नहीं चलाता मानो हवा को पीट रहा हूँ। 27 बल्कि मैं अपने शरीर को मारता-कूटता* हूँ+ और उसे एक दास बनाकर काबू में रखता हूँ ताकि दूसरों को प्रचार करने के बाद मैं खुद किसी वजह से अयोग्य न ठहरूँ।

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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