शांति और सुरक्षा—एक पक्की आशा
आज अधिकांश लोग शांति और सुरक्षा चाहते हैं। लेकिन असली शांति, और साथ ही सुरक्षा, इस दुनिया के लिए दुर्ग्राह्य रही हैं। करोड़ों लोग ऐसे इलाकों में रहते हैं जो युद्ध के कारण उजड़ गए हैं। अनगिनत और लोगों को लगता है कि आतंकवादी गतिविधियों और गुरिल्ला संघर्ष के कारण शांति और सुरक्षा का प्राप्त होना आशाहीन है। अनेक लोग अँधेरा होने के बाद अपने बहुत अधिक सुरक्षित किए गए घरों से बाहर निकलने को घबराते हैं, जब लगता है कि अपराधी राज करने लगते हैं। ऐसे बहुत कम लोग हैं जिनका जीवन शान्तिमय है।
२ जो लोग बेहतर परिस्थितियों के लिए तरसते हैं, उनके लिए शांति का संदेश एक सुखद बात है। मसीही होने के नाते, हम यीशु की आज्ञा का पालन करते हैं: “जिस किसी घर में जाओ, पहिले कहो, कि इस घर पर कल्याण हो। यदि वहाँ कोई कल्याण के योग्य होगा; तो तुम्हारा कल्याण उस पर ठहरेगा, नहीं तो तुम्हारे पास लौट आएगा।” (लूका १०:५, ६) शांति के परमेश्वर के प्रतिनिधि होने के नाते, हम लोगों के पास शांतिपूर्ण रीति से जाते हैं। हमारे पाँवों पर “शांति के सुसमाचार के साधन के जूते” हैं।—इफि. ६:१५, न्यू.व.
शांति के खोजनेवालों के तौर से मिसाल
३ यह ज़ाहिर है कि यहोवा के लोगों को अपनी समुदायों और मण्डलियों में शांतिपूर्ण रूप से रहना चाहिए ताकि वे एक शांतिमय संदेश के पक्ष में बोल सकें। हम शांति-खोजनेवाले लोग होने के तौर से मिसाल होना चाहिए। पतरस ने संगी मसीहियों को लिखा कि वे ‘शांति से उसके साम्हने निष्कलंक और निर्दोष ठहरें।’ (२ पत. ३:१४) हम शांति-खोजनेवाले मसीहियों के तौर से मिसाल कैसे बन सकते हैं?
४ पहले, हम शांति के परमेश्वर, यहोवा के साथ शांतिमय संबंध बनाए रखते हैं। सर्वश्रेष्ठ सम्राट् की हैसियत से हम उनके अधिकार को मानते हैं, और हम उनकी आज्ञाओं के प्रति आज्ञाकारी हैं। (भजन ३४:१४) शांति, उनकी आत्मा का एक फल, हमारे जीवन में सुस्पष्ट होनी चाहिए।—गल. ५:२२.
५ शांति-खोजनेवाले मसीहियों के तौर से हमारी मिसाल में मानवीय अधिकारों के लिए आदर का भी समावेश होना चाहिए। इस में सरकारी अधिकारों, शिक्षकों, मालिकों, माता-पिताओं और प्राचीनों का समावेश होगा। (रोमियों १३:१, २; कुलु. ३:२२; इफि. ६:१; इब्रा. १३:१७) चैन और शांति के साथ जीवन बिताने के द्वारा हम अपने संदेश को शोभा देते हैं। हम यह दर्शाते हैं कि “हम उन बातों का प्रयत्न” करना चाहते हैं “जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे की उन्नति” होती है। (रोम. १४:१९, न्यू.व.) हमारे लिए, एक नयी रीति-व्यवस्था में शांति और सुरक्षा एक पक्की आशा है।
चालू साहित्य-भेंट शांति को आगे बढ़ाती है
६ जुलाई के दौरान हम १२ रुपये के अंशदान के लिए ट्रू पीस ॲन्ड सिक्यॉरिटी—हाउ कॅन यू फाइन्ड इट? किताब पेश करके लोगों को अपनी आशा देंगे। चूँकि आज की इस परेशान दुनिया में शांति और सुरक्षा के बारे में करोड़ों लोग चिन्तित हैं, यह साहित्य-भेंट बहुत ही समयोचित है।
७ इस किताब के पहले दो अध्यायों में उत्कृष्ट बातचीत करने के लिए विषय हैं। आप शायद पृष्ठ ५ के पहले दो परिच्छेद गृहस्थ को पढ़कर सुनाना चाहेंगे। या आप पृष्ठ ८ पर परिच्छेद ११ का ज़िक्र कर सकते हैं, जहाँ परमेश्वर के पक्के वादों और मानव नेताओं द्वारा किए वादों के बीच वैषम्य दिखलाया गया है। पृष्ठ २०-१ पर परिच्छेद २८ और २९ में देखें। यह निश्चित करें कि एक बाइबल अध्ययन शुरु करने की कोशिश में आप उन सभी को पुनःभेंट करेंगे जिन्होंने दिलचस्पी दिखाई या साहित्य-भेंट ली है।
८ हम शांति और सुरक्षा खोजनेवालों को इस सचमुच ही पक्की आशा के बारे में सतत बताते रहें, जिसकी गारंटी शांति के परमेश्वर, यहोवा ने दी है, और उन्हें यह सिखाते रहें कि किस तरह यह शांति के राजकुमार, यीशु के अधिकार में उनके राज्य के ज़रिए पूरा किया जाएगा। (यशा. ९:६, ७) शांतिमय जीवन बिताने में हमारी मिसाल हमारी सिफ़ारिश करती रहे, कि हम ऐसे मसीही हैं जो ‘मेल मिलाप ढूँढ़ते हैं, और उसके यत्न में रहते हैं।’—१ पत. ३:१०, ११.