सेवकाई में सहनशील और अध्यवसायी रहें
प्रेरित पौलुस ने यहोवा के सामने सहनशील और अध्यवसायी रहने के लिए ज़िम्मेदारी की एक तीव्र भावना को बनाए रखा, जैसे वह हर सुननेवाले को सुसमाचार सुनाता गया। उसने इफिसुस के एकत्रित प्राचीनों से आत्मविश्वासपर्णू रूप से कहा: “मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता: कि उसे प्रिय जानूँ, बरन यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवकाई को पूरी करूँ जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिए प्रभु यीशु से पाई है।” (प्रेरितों २०:२४) क्या समान रीति से करने की जो आवश्यकता हम पर है, उसे हम महसूस करते हैं?—१ कुरि. ९:१६.
उस क्षेत्र में जहाँ कार्य अक्सर किया जाता है
२ जब हमारे क्षेत्र में प्रचार कार्य काफ़ी अक्सर किया जाता है, तब सहनशीलता ख़ास तौर से आवश्यक होती है। सीमित क्षेत्र होने के बावजूद, हमें बार-बार भेंट करने के लिए प्रेरित होना चाहिए। हर घर के सभी रहनेवालों से मुलाक़ात करने की कोशिश करें, और प्रगतिशील रूप से निष्कपट लोगों को परमेश्वर के राज्य की बाइबल आधारित आशा का मूल्य आँकने की मदद करें।
३ जब हमारे क्षेत्र में कार्य बारम्बार किया जाता है, तब सहनशील रहने का एक और फ़ायदा यह है कि हम गृहस्थों के साथ वैयक्तिक रूप से परिचित हो सकते हैं। अपना दरवाज़ा खोलने में वे ज़्यादा निश्चिन्त होंगे। रीज़निंग पुस्तक में बहुत ही बढ़िया सुझाव दिए गए हैं जिन्हें हम अपनी प्रस्तावनाओं को थोड़ा-बहुत बदल देने के लिए उस क्षेत्र में प्रयोग में ला सकते हैं, जहाँ कार्य बारम्बार किया जाता हो।—रीज़निंग पुस्तक, पृष्ठ ९-१५ देखें।
४ ऐसे भी कुछ अवसर होंगे जब हम ऐसे लोगों से मुलाक़ात करते हैं, जो हालाँकि वे कुछ दिलचस्पी दिखाते हैं, फिर भी हमारा साहित्य स्वीकार नहीं करते। हमने कैसी प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए? अध्यवसायी होने के हमारे प्रयास से हम उस दिलचस्पी को विकसित करते रहने के लिए प्रेरित होंगे। उनके दिलों में जो बीज बोया गया है, उसका पोषण करने से शायद वे आख़िरकार एक बाइबल अध्ययन स्वीकार करने के लिए प्रेरित होंगे। एक भाई पाँच क्रमिक सप्ताहों के लिए एक दिलचस्पी रखनेवाले गृहस्थ से मिला, लेकिन उसने कोई साहित्य नहीं लिया। छठी मुलाक़ात में, गृहस्थ ने साहित्य स्वीकार कर लिया, और आख़िरकार एक बाइबल अध्ययन शुरु कर दिया गया।
ब्रोशुअरों को पेश करते हुए
५ अगस्त और सितम्बर के दौरान, हमारा वार्तालाप का विषय होगा “एक नयी दुनिया—किस के ज़रिए?” यह विषय निम्नलिखित किसी एक ब्रोशुअर को पेश करते समय प्रयोग में लाए जाने के लिए पर्याप्त मात्रा में अनुकूलनीय है: अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिए!, “देख! मैं सब कुछ नया कर देता हूँ,” क्या आपको त्रियेक में विश्वास करना चाहिए?, वह ईश्वरीय नाम जो सदा बना रहेगा, और वह शासन जो प्रमोदवन लाएगा। अगर हम इन ब्रोशुअरों से वाक़िफ़ होने के लिए समय लेंगे, तो हमें वार्तालाप के विषय के साथ इस्तेमाल करने के लिए कई बातचीत के विषय मिल जाएँगे।
६ उदाहरण के लिए, हम अपना परिचय दे सकते हैं और फिर कह सकते हैं: “विश्व शान्ति को लाने के लिए मनुष्य के वादे के बारे में आपके क्या विचार हैं? [प्रतिक्रिया के लिए समय दें।] इस संबंध में मनुष्य की क्षमताओं पर बाइबल की टिप्पणियों पर ग़ौर करें। [यिर्मयाह १०:२३ पढ़ें।] इन सारी सदियों में, मनुष्य ने साबित किया है कि वह दरअसल खुद को शासित करने के क़ाबिल नहीं है। परन्तु, परमेश्वर के भरोसेयोग्य वादे पर ग़ौर करें। [२ पतरस ३:१३ पढ़ें।] इसलिए एक नयी दुनिया लाने के विषय में परमेश्वर का पक्का वादा सच होगा।” फिर हम गृहस्थ को किसी एक ब्रोशुअर को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। अगर हम “देख!” ब्रोशुअर इस्तेमाल कर रहे हैं, तो हम गृहस्थ का ध्यान उन बातों की ओर आकर्षित कर सकते हैं, जो पृष्ठ ३०, परिच्छेद ५८ में कही गयी हैं। जब शासन ब्रोशुअर को पेश कर रहे होते हैं, हम तीसरे पृष्ठ पर पहले परिच्छेद में दी गयी बातों को विशिष्ट कर सकते हैं। पृथ्वी पर जीवन ब्रोशुअर के आवरण पृष्ठ पर दी गयी तस्वीर काफ़ी आकर्षक है और वार्तालाप के विषय से मेल खाती है। और, ईश्वरीय नाम ब्रोशुअर के पृष्ठ ३१ का तीसरा परिच्छेद भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
सहनशीलता और अध्यवसाय से हमारे क्षेत्र में सुसमाचार सुनाने का परिणाम उन लोगों का उद्धार होगा जो हमारी सुनते हैं। (१ तीमु. ४:१६) समय गुज़रता जा रहा है! इसलिए, जैसे-जैसे हम इस उद्धार का संदेश प्रचार करने में पूरा-पूरा हिस्सा लेते हैं, वैसे-वैसे ऐसा हो कि हम सहनशीलता दिखाए और अध्यवसाय से प्रचार कार्य को पूरा करें।