क्षेत्र सेवा में तन-मन से कार्य करें भाग १: यहोवा के प्रति क़दरदानी का मूल्य
क्षेत्र सेवा में तन-मन से कार्य करना यहोवा के प्रति और, उन्होंने हमारे लिए जितना कुछ किया है, उसके लिए गहरी क़दर के भाव से उत्पन्न होता है। (२ शमू. २२:२, ३) परमेश्वर से विमुख समस्त मनुष्यजाति के प्रति एक समानुभूतिशील विचार से हमें सेवा में प्रयास करने के लिए प्रेरित होना चाहिए। (मत्ती ९:३६; २ कुरि. ५:१४, १५) हम यहोवा के प्रति जितने अधिक निष्ठावान् होंगे और लोगों के बारे में जितने अधिक चिन्तित होंगे, हम क्षेत्र सेवा में उत्साह से भाग लेने के लिए उतने ही अधिक प्रेरित होंगे। (मत्ती २२:३७-३९) हमारी सेवकाई फिर एक ऐसा खज़ाना बन जाती है, जिसे बहुमूल्य समझा जाना चाहिए। (२ कुरि. ४:७) लेकिन सेवकाई के लिए ऐसी क़दरदानी कैसे विकसित की जा सकती है?
क़दरदानी विकसित करने की कुंजियाँ
२ वैयक्तिक और मण्डली के साथ बाइबल अध्ययन, और साथ ही प्रार्थनापूर्ण मनन से हमें यहोवा के साथ एक निजी संबंध विकसित करने में मदद होगी। हम उनके गुणों और व्यक्तित्व की खुबसूरती को पहचानने लगते हैं। क्या आपने साप्ताहिक बाइबल पठन की एक तालिका अपनायी है? क्या आप सोसाइटी के प्रकाशनों का अध्ययन करने के लिए नियमित रूप से समय निकालते हैं? क्या आप मण्डली की सभी सभाओं के लिए तैयारी करके, उन में उपस्थित होते हैं और हिस्सा लेते हैं? (इब्रा. १०:२४, २५) प्रत्येक वैयक्तिक अध्ययन अवधि के दौरान और उसके बाद, अर्थपूर्ण मनन करने से हमारे स्नेही परमेश्वर तथा सच्ची उपासना से संबंधित उन के द्वारा किए प्रबंधों की सुखकारिता के लिए दिली क़दर विकसित होगी।—भजन २७:४.
३ हमारी क़दरदानी के स्तर को बढ़ाने का एक और तरीक़ा यह है कि हम परमेश्वर के अन्य तन-मन से सेवा करनेवाले सेवकों की मिसाल पर ध्यानपूर्वक विचार कर सकते हैं। भविष्यवक्ता यिर्मयाह उसे सौंपे गए काम के लिए जोश से पूर्ण था। (यिर्म. २०:९) यीशु ने एक प्रतिमान छोड़ा, और एक क़दरदान आत्मा और उत्साह दर्शायी। (यूहन्ना ४:३४) सेवकाई में अपनी मेहनतों से, पौलुस ने उसको दिखायी गयी ईश्वरीय करुणा के लिए अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित की। (१ तीमु. १:१२, १३, १७) जब हम ऐसी मिसालों पर, और साथ ही आधुनिक समय की मिसालों पर मनन करते हैं, हम ऐसी क़दरदानी विकसित कर सकते हैं जिस से हम तन-मन से सेवकाई में कार्य करेंगे।
४ जब हम यहोवा के गौरव की भव्य शान के बारे में सीखते और उनके आश्चर्यजनक कर्मों पर ध्यान करते हैं, हम उनकी बड़ाई घोषित करने और हर्ष के साथ उनकी स्तुति करने के लिए प्रेरित होते हैं। (भजन १४५:५-७) राज्य संदेश को फैलाने के तरीक़ों को सक्रिय रूप से खोजने के द्वारा हम दर्शाते हैं कि ईश्वरीय नाम के बारे में गवाही देने के लिए हमें जो सुअवसर मिलते हैं, उन को हम मूल्यवान समझते हैं।—लूका ६:४५.
५ लेकिन क्या और भी अन्य बातें हैं जिन से हम तन-मन से सेवकाई में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित होंगे? अगर हैं, तो वे क्या हैं? प्राचीन, सेवकाई सेवक, पायनियर, और अन्य अनुभवी प्रचारक किस तरह मदद कर सकते हैं? उत्साह को विकसित करने में लक्ष्यों की क्या भूमिका है? कौनसे फ़ायदे मिलने की आशा की जा सकती है? इन और अन्य सवालों के जवाब इस पाँच-भाग वाली लेख-श्रृंखला में दिए जाएँगे, जिसके शेष भाग हमारी राज्य सेव के परवर्ती अंकों में प्रकाशित होंगे।