अध्ययन ९
श्रोतागण सम्पर्क और नोट्स का इस्तेमाल
१. श्रोतागण सम्पर्क के महत्त्व को समझाइए और बताइए कि नोट्स का इस्तेमाल इसमें क्या भूमिका निभाता है।
आपका श्रोतागण के साथ अच्छा सम्पर्क रखना सिखाने में बहुत बड़ा सहायक है। यह उनका आदर प्राप्त करता है और आपको अधिक प्रभावकारिता से सिखाने में मदद देता है। उनके साथ आपके सम्पर्क से आपको उनके इतने नज़दीकी सम्बन्ध में आना चाहिए कि उनकी हरेक प्रतिक्रिया वक्ता के तौर पर आप तुरन्त महसूस करें। नोट्स का आपका इस्तेमाल यह निर्धारित करने में एक अहम भूमिका निभाता है कि आपको इस प्रकार का श्रोतागण सम्पर्क है या नहीं। विस्तृत नोट्स एक बाधा हो सकता है; परन्तु चाहे परिस्थितियाँ इसकी माँग करें कि वे सामान्य से ज़्यादा लम्बे हों, नोट्स का कुशल इस्तेमाल एक बाधा नहीं है। यह इसलिए है क्योंकि एक कुशल वक्ता बहुत ज़्यादा या ग़लत समय पर नोट्स देखने से श्रोतागण के साथ अपना सम्पर्क खो नहीं देता है। आपकी भाषण सलाह परची पर इस पर ध्यान दिया गया है और इसे “श्रोतागण सम्पर्क, नोट्स का इस्तेमाल” के तौर पर सूचीबद्ध किया गया है।
२-५. श्रोतागण के साथ प्रभावकारी दृष्टि-सम्पर्क के लिए क्या ज़रूरी है?
२ श्रोतागण के साथ दृष्टि-सम्पर्क। दृष्टि-सम्पर्क का अर्थ है अपने श्रोतागण को देखना। इसका अर्थ मात्र श्रोतागण की ओर देखना ही नहीं, परन्तु श्रोतागण में व्यक्तियों की ओर देखना है। इसका अर्थ है उनके मुख की भावनाओं को देखना और उसके अनुसार प्रतिक्रिया दिखाना।
३ आपके श्रोतागण की ओर देखने का अर्थ मात्र एक कोने से दूसरे कोने तक निरन्तर दृष्टि दौड़ाते रहना ही नहीं है ताकि कोई न छूटे। श्रोतागण में किसी एक व्यक्ति की ओर देखिए और उनसे एक या दो वाक्य कहिए। फिर दूसरे व्यक्ति की ओर देखिए और उनसे कुछ और वाक्य कहिए। किसी एक व्यक्ति को इतनी देर तक मत घूरिए कि वह शर्मिन्दा हो जाए और पूरे श्रोतागण में मात्र कुछ लोगों पर ही ध्यान मत दीजिए। इस तरह पूरे श्रोतागण को देखते रहिए, लेकिन जब आप एक व्यक्ति से बात करते हैं, तो वास्तव में उससे वार्तालाप कीजिए और अगले व्यक्ति की ओर जाने से पहले उसकी प्रतिक्रिया पर ध्यान दीजिए। आपके नोट्स वक्ता के स्टैंड पर, या आपके हाथ में, या बाइबल में रखे जाने चाहिए, ताकि आप मात्र नज़र डालने से उन्हें जल्दी से देख सकें। यदि अपने नोट्स को देखने के लिए आपके पूरे सर को हिलाना ज़रूरी है तो श्रोतागण सम्पर्क में कमी होगी।
४ आपका सलाहकार न केवल इस बात पर ध्यान देगा कि आप कितनी बार अपने नोट्स देखते हैं, परन्तु यह भी कि आप उन्हें कब देखते हैं। यदि आप एक शिख़र तक पहुँते वक़्त अपने नोट्स देख रहे हैं, तो आप अपने श्रोतागण की प्रतिक्रिया नहीं देखेंगे। यदि आप हमेशा अपने नोट्स देखते हैं तब भी आप सम्पर्क खो बैठेंगे। यह सामान्यतः या तो घबराहट या प्रस्तुति के लिए अपर्याप्त तैयारी सूचित करता है।
५ ऐसे समय होते हैं जब अनुभवी वक्ताओं से एक हस्तलिपि से एक पूरा भाषण देने को कहा जाता है। जी हाँ, यह कुछ-कुछ श्रोतागण के साथ उनका दृष्टि-सम्पर्क सीमित करता है। लेकिन यदि वे अच्छी तैयारी के परिणामस्वरूप विषय से अच्छी तरह परिचित हैं, तो वे अपनी निरन्तरता खोए बिना समय-समय पर श्रोतागण की ओर देखने में समर्थ होते हैं, और यह उन्हें अभिव्यंजक पठन के लिए प्रोत्साहित करता है।
६-९. श्रोतागण सम्पर्क प्राप्त करने का एक और तरीक़ा और जिन फंदों से सावधान रहना है, उन्हें बताइए।
६ सीधे सम्बोधन द्वारा श्रोतागण सम्पर्क। यह उतना ही ज़रूरी है जितना कि दृष्टि-सम्पर्क। इसमें वे शब्द शामिल हैं जो आप अपने श्रोतागण को सम्बोधित करने में इस्तेमाल करते हैं।
७ जब आप एक व्यक्ति से निजी तौर पर बात करते हैं तो आप उन्हें सीधे “आप,” “आपका” या “हम,” “हमारा” कहकर सम्बोधित करते हैं। जहाँ उचित हो वहाँ आप बड़े श्रोतागण से भी उसी तरह बात कर सकते हैं। अपने भाषण को एक समय में एक या दो व्यक्तियों के साथ वार्तालाप के तौर पर देखने की कोशिश कीजिए। उन्हें ध्यानपूर्वक देखिए ताकि आप उनके प्रति प्रतिक्रिया दिखा सकें मानो उन्होंने आपसे वास्तव में बात की है। यह आपकी प्रस्तुति का वैयक्तीकरण करेगा।
८ लेकिन सावधान। अपने श्रोतागण के साथ बहुत ज़्यादा परिचित होने के ख़तरे से दूर रहिए। क्षेत्र सेवकाई में दरवाज़े पर एक या दो व्यक्तियों के साथ एक गरिमायुक्त बातचीत में आप जितने घनिष्ठ होंगे उससे ज़्यादा घनिष्ठ होने की ज़रूरत नहीं, लेकिन आप उतने ही स्पष्ट हो सकते हैं, और आपको होना चाहिए।
९ एक और ख़तरा। व्यक्तिगत सर्वनामों के आपके इस्तेमाल में आपको चयनात्मक होना चाहिए और अपने श्रोतागण को अनचाही स्थिति में नहीं डालना चाहिए। उदाहरण के लिए, अपचार पर एक भाषण में, आप ऐसे सम्बोधन का इस्तेमाल नहीं करेंगे जो यह सूचित करे कि आपके श्रोतागण अपचारी हैं। या, यदि आप सेवा सभा में कम घंटों के बारे में चर्चा कर रहे हैं, तो हमेशा “आप” कहने के बजाय आप अपने आपको भाषण में शामिल कर सकते हैं, और सर्वनाम, “हम” का इस्तेमाल कर सकते हैं। विचारशीलता और लिहाज़ से आसानी से ऐसे किसी भी ख़तरे को पार किया जा सकता है।
१०, ११. किस बात से हमें एक रूपरेखा का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित होना चाहिए?
१० रूपरेखा का इस्तेमाल। बहुत ही कम नए वक्ता एक रूपरेखा से भाषण देते हुए शुरू करते हैं। साधारणतः वे अपना भाषण पहले ही लिख लेते हैं और फिर या तो उसे पढ़ते हैं अथवा याददाशत से उसे प्रस्तुत करते हैं। आपका सलाहकार पहले तो इसे नज़रअंदाज़ करेगा, लेकिन जब आप अपनी भाषण सलाह परची पर “रूपरेखा का इस्तेमाल” पर आएँगे तो वह आपको नोट्स से बोलने के लिए प्रोत्साहित करेगा। जब आप इसमें कुशल हो जाते हैं, तो आप पाएँगे कि आपने एक जन वक्ता के तौर पर एक बहुत बड़ा क़दम आगे बढ़ाया है।
११ बच्चे और वयस्क जो पढ़ भी नहीं सकते, विचारों को सूचित करने के लिए चित्रों का इस्तेमाल करते हुए भाषण देते हैं। आप भी अपना भाषण एक सरल रूपरेखा का इस्तेमाल करते हुए तैयार कर सकते हैं, वैसे ही जैसे वे शास्त्रीय प्रस्तुतियाँ जिनकी रूपरेखा राज्य सेवकाई में है। आप क्षेत्र सेवकाई में नियमित रूप से हस्तलिपि के बग़ैर बोलते हैं। आप स्कूल में यह उतनी ही आसानी से कर सकते हैं, जब आप अपने मन में यह ठान लेते हैं।
१२, १३. एक रूपरेखा के बनाने के बारे में कुछ सुझाव दीजिए।
१२ क्योंकि इस गुण पर कार्य करना आपको दोनों, तैयारी और प्रस्तुति में हस्तलिपि के इस्तेमाल से दूर ले जाने के लिए है, अपने भाषण को कंठस्थ मत कीजिए। यह इस अध्ययन के उद्देश्य को नाक़ामयाब करेगा।
१३ यदि आप शास्त्रवचनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आप अपने आपसे क्रिया-विशेषणीय सवाल पूछ सकते हैं, कैसे? कौन? कब? कहाँ? इत्यादि। फिर, जब वे आपके विषय पर सही बैठते हैं, तब इन सवालों को अपने नोट्स के भाग के तौर पर इस्तेमाल कीजिए। भाषण देते वक़्त मात्र एक शास्त्रवचन पढ़िए, जैसे उपयुक्त हो, अपने आपसे या अपने गृहस्वामी से ये सवाल पूछिए, और उनके जवाब दीजिए। यह बहुत ही सरल हो सकता है।
१४, १५. कौन-सी बातों को हमें निरुत्साहित नहीं करना चाहिए?
१४ नए जन अकसर इस बारे में चिन्तित होते हैं कि वे कुछ भूल जाएँगे। लेकिन, यदि आपने अपना भाषण तर्कसंगत रूप से विकसित किया है तो कोई भी किसी विचार को नहीं खोएगा, चाहे आपसे वह छूट भी जाए। ख़ैर, इस वक़्त विषय को पूरा करना मुख्य विचार नहीं है। अभी एक रूपरेखा से भाषण देना सीखना आपके लिए ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।
१५ यह संभव है कि इस भाषण को देने में आपको लगेगा कि आपने उन कई गुणों को खो दिया है जिन्हें आपने सीख लिया था। घबराइए नहीं। वे लौटेंगे और जब आप एक हस्तलिपि के बिना बोलना सीख जाएँगे तो आप अपने आपको उन गुणों में और अधिक कुशल पाएँगे।
१६, १७. नोट्स बनाने में हमें क्या याद रखना चाहिए?
१६ सेवकाई स्कूल में भाषणों के लिए इस्तेमाल किए गिए नोट्स के बारे में कुछ बात। उन्हें विचारों को याद दिलाने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए, उन्हें दोहराने के लिए नहीं। नोट्स को संक्षिप्त होना चाहिए। उन्हें साफ़-सुथरा, व्यवस्थित और स्पष्ट होना चाहिए। यदि आपकी सेटिंग एक पुनःभेंट है तो आपके नोट्स छिपे हुए होने चाहिए, शायद आपकी बाइबल के अन्दर। यदि भाषण मंच पर से दिया जानेवाला एक भाषण है और आप जानते हैं कि आप एक वक्ता के स्टैंड का इस्तेमाल करने जा रहे हैं, तो नोट्स की कुछ समस्या नहीं होनी चाहिए। लेकिन यदि आप निश्चित नहीं हैं तो उसके अनुसार तैयारी कीजिए।
१७ एक और सहायक है अपने मूल-विषय को नोट्स के ऊपर लिखना। मुख्य मुद्दे भी स्पष्ट दिखने चाहिए। उन सब को बड़े अक्षरों में लिखने या उन्हें रेखांकित करने की कोशिश कीजिए।
१८, १९. हम एक रूपरेखा का इस्तेमाल करने का कैसे अभ्यास कर सकते हैं?
१८ आपका अपना भाषण देने में मात्र कुछ नोट्स का ही इस्तेमाल करने का यह अर्थ नहीं कि आप कम तैयारी कर सकते हैं। पहले भाषण की पूरी विस्तृत तैयारी कीजिए, और उतनी पूर्ण रूपरेखा बनाइए जितना कि आप चाहते हैं। फिर एक दूसरी, काफ़ी संक्षिप्त रूपरेखा तैयार कीजिए। यह वह रूपरेखा है जिसका आप भाषण देने में वास्तव में इस्तेमाल करेंगे।
१९ अब दोनों रूपरेखाओं को अपने सामने रखिए और मात्र संक्षिप्त रूपरेखा की ओर देखते हुए केवल पहले मुख्य मुद्दे के बारे में आप जितना कह सकते हैं उतना कहिए। फिर, ज़्यादा विस्तृत रूपरेखा पर नज़र दौड़ाइए और देखिए कि आपने किस बात को नज़रअंदाज़ किया है। अपनी संक्षिप्त रूपरेखा पर दूसरे मुख्य मुद्दे की ओर जाइए और वैसा ही कीजिए। समय के बीतने पर, छोटी रूपरेखा से आप इतने परिचित हो जाएँगे कि आप ज़्यादा विस्तृत रूपरेखा की सभी बातों को मात्र अपने कुछ संक्षिप्त नोट्स देखकर याद कर सकेंगे। अभ्यास और अनुभव के साथ आप आशु भाषण के फ़ायदों का मूल्यांकन करने लगेंगे और हस्तलिपि का मात्र जहाँ उसकी बहुत ज़रूरत है वहीं इस्तेमाल करेंगे। आप बोलते वक़्त अधिक आराम महसूस करेंगे और आपके श्रोतागण अधिक आदर के साथ सुनेंगे।