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परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए
be अध्याय 25 पेज 166-पेज 169 पैरा. 6

अध्याय 25

आउटलाइन का इस्तेमाल

आपको क्या करने की ज़रूरत है?

अपना भाग पेश करते वक्‍त, कागज़ पर हर शब्द लिखकर पढ़ने के बजाय अपने मन में या कागज़ पर एक आउटलाइन तैयार कीजिए और उसकी मदद से बोलिए।

इसकी क्या अहमियत है?

आउटलाइन तैयार करने से आप अपने विचारों को क्रम से पेश कर सकेंगे। उसका इस्तेमाल करने से आप बोलचाल की शैली में और दिल से बात कर पाएँगे।

ज़्यादातर लोग आउटलाइन की मदद से बात करने के ख्याल से ही घबरा जाते हैं। उन्हें तब ज़्यादा इतमीनान रहता है, जब वे अपने भाषण का हर शब्द कागज़ पर लिख लेते हैं या उसे रट लेते हैं।

लेकिन असल में देखें, तो हम रोज़ की बातचीत कागज़ पर लिखे बगैर करते हैं। हम अपने परिवार के लोगों और दोस्तों से बात करते वक्‍त कागज़ से पढ़कर नहीं बोलते। प्रचार में भी हम कागज़ पर लिखी बात नहीं दोहराते। और हम अकेले में या किसी समूह के लिए प्रार्थना करते वक्‍त भी लिखकर नहीं बोलते।

जब आप भाषण देते हैं, तो क्या इससे फर्क पड़ता है कि आप पढ़कर या आउटलाइन से भाषण दे रहे हैं? यह सच है कि अपनी पूरी बात कागज़ पर लिखकर पढ़ने से आप हर बात सही-सही और बढ़िया शब्दों में बोल पाएँगे, लेकिन इससे आप लोगों के दिलों तक पहुँचने में ज़्यादा कामयाब नहीं होंगे। कुछ लाइनें पढ़ने के बाद, आप एक रफ्तार से और आवाज़ में एक ही किस्म का उतार-चढ़ाव लाते हुए पढ़ते हैं जबकि बोलचाल की शैली ऐसी नहीं होती। अगर आपका ध्यान सुननेवालों के बजाय अपने नोट्‌स्‌ पर लगा हुआ है, तो वे आपकी बातों पर ध्यान नहीं देंगे। लेकिन अगर उन्हें यह महसूस होगा कि आप वाकई उनके बारे में सोच रहे हैं और उनके हालात को ध्यान में रखकर उन्हें फायदा पहुँचाने के लिए जानकारी पेश कर रहे हैं, तो वे मन लगाकर सुनेंगे। जो भाषण कागज़ से पढ़कर नहीं बल्कि दिल से पेश किया जाता है, वही लोगों पर सही मायनों में बढ़िया असर करता है।

परमेश्‍वर की सेवा स्कूल को इस मकसद से तैयार किया गया है ताकि इससे हमें रोज़मर्रा ज़िंदगी के लिए अच्छी तालीम मिले। जब हम अपने दोस्तों से मिलते हैं, तो उनके सामने कागज़ निकालकर अपने विचार नहीं पढ़ते ताकि हम बढ़िया-से-बढ़िया शब्द इस्तेमाल कर सकें। प्रचार में, हम इस डर से कि कहीं कुछ भूल न जाएँ, अपने साथ कोई कागज़ लेकर नहीं जाते ताकि लोगों को पढ़कर सुना सकें। अगर आप परमेश्‍वर की सेवा स्कूल में यह प्रदर्शन दिखानेवाले हैं कि प्रचार में या दोस्तों को कैसे गवाही दी जा सकती है, तो जहाँ तक हो सके सहजता से बात करने का अभ्यास कीजिए। अच्छी तैयारी करने से आप पाएँगे कि आप जिन खास मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं, उन्हें याद रखने के लिए मन में या कागज़ पर सिर्फ एक आउटलाइन तैयार करना काफी है। लेकिन आउटलाइन से बात करने के लिए जो आत्म-विश्‍वास ज़रूरी है, वह आप कैसे बढ़ा सकते हैं?

अपने विचारों का क्रम बिठाइए। आउटलाइन का इस्तेमाल करके बात करने के लिए ज़रूरी है कि आप अपने विचारों का क्रम बिठाएँ। इसका मतलब यह चुनाव करना नहीं है कि आप क्या-क्या शब्द बोलेंगे। इसका सिर्फ इतना मतलब है कि आप बात करने से पहले सोचें।

रोज़मर्रा ज़िंदगी में एक उतावला इंसान, सोचे-समझे बगैर कुछ भी कह जाता है और बाद में पछताता है। दूसरे किस्म का इंसान वह होता है जो बेमतलब की बात बोलता जाता है, वह कभी एक विषय के बारे में तो कभी दूसरे विषय के बारे में बोलता है। अगर अपनी बात शुरू करने से पहले, ज़रा रुककर मन-ही-मन एक आसान आउटलाइन तैयार कर लें, तो इन दोनों कमज़ोरियों पर बढ़िया तरीके से काबू पाया जा सकता है। सबसे पहले यह अच्छी तरह तय कर लीजिए कि आपके बोलने का मकसद क्या है, फिर सोचिए कि उस मकसद को पाने के लिए आप एक-के-बाद-एक क्या कहेंगे, और तब अपनी बात शुरू कीजिए।

क्या आप प्रचार में जाने की तैयारी कर रहे हैं? आपको न सिर्फ अपने प्रचार के बैग में हर चीज़ तरतीब से रखने के लिए वक्‍त निकालना चाहिए बल्कि अपने विचारों का सही सिलसिला भी बिठाना चाहिए। अगर आपने हमारी राज्य सेवकाई में दिया कोई सुझाव इस्तेमाल करने की सोची है, तो खास मुद्दों को मन में बिठाने के लिए उसे बारंबार पढ़िए। उन मुद्दों का सारांश एक या दो छोटे वाक्यों में बताइए। उस सुझाव में अपने हिसाब से और अपने इलाके के हालात के मुताबिक फेरबदल कीजिए। इसके लिए अपने मन में एक आउटलाइन तैयार करना आपके लिए मददगार होगा। इस आउटलाइन में आप क्या-क्या शामिल कर सकते हैं? (1) आप किसी ऐसे विषय का ज़िक्र करके शुरूआत कर सकते हैं जिसे लेकर इलाके के बहुत-से लोग चिंतित हैं। और फिर, सुननेवाले को अपनी राय बताने के लिए कहिए। (2) अपने मन में तय कीजिए कि आप उस विषय पर उसे क्या खास जानकारी देंगे और ऐसी एक-दो आयतें सोचकर रखिए जो दिखाती हैं कि परमेश्‍वर ने तकलीफों से राहत दिलाने के लिए क्या वादा किया है। अगर मौका मिले तो ज़ोर देकर बताइए कि यहोवा अपने राज्य, यानी अपनी स्वर्गीय सरकार के ज़रिए ऐसी कार्यवाही करेगा। (3) आपने जो चर्चा की, उसके मुताबिक सुननेवाले को कदम उठाने के लिए उकसाइए। इसके लिए आप चाहें तो उसे कोई साहित्य दे सकते हैं और/या बाइबल अध्ययन की पेशकश कर सकते हैं और अगली मुलाकात में चर्चा जारी रखने के लिए पक्का इंतज़ाम कर सकते हैं।

प्रचार में इस तरह बात करने के लिए आपको शायद सिर्फ मन में ही आउटलाइन तैयार करने की ज़रूरत पड़ेगी। लेकिन अगर आप दरवाज़े पर बात शुरू करने से पहले लिखी हुई आउटलाइन पढ़ना चाहते हैं, तो आपकी आउटलाइन में बातचीत शुरू करने के लिए थोड़े शब्द होने चाहिए, एक-दो आयतों के हवाले और बातचीत के आखिर में कहने के लिए चंद शब्द। ऐसी आउटलाइन तैयार करने और उसका इस्तेमाल करने से आपकी बातचीत बे-सिर-पैर की नहीं होगी, बल्कि सुननेवाले को आपका संदेश साफ समझ आएगा और वह उसे याद रख पाएगा।

अगर आपके इलाके में अकसर लोग कोई सवाल उठाते हैं या विरोध करते हैं, तो उस विषय पर खोजबीन कीजिए, तब आप ऐसे हालात से अच्छी तरह निपट सकेंगे। ज़्यादातर विषयों के लिए, बस दो-तीन खास मुद्दे और उनको साबित करने के लिए कुछ आयतें ढूँढ़ निकालना काफी होता है। “चर्चा के लिए बाइबल विषय” या रीज़निंग फ्रॉम द स्क्रिप्चर्स्‌ में मोटे अक्षरों में दिए उपशीर्षकों से शायद आपको बनी-बनायी आउटलाइन मिल जाए। अगर आपको उस विषय पर किसी ऐतिहासिक किताब वगैरह से कोई हवाला मिल जाए, तो उसे भी अपनी आउटलाइन में शामिल कर सकते हैं। आप एक छोटी-सी आउटलाइन लिख लीजिए, उसके साथ उस हवाले की एक फोटो-कॉपी लगा लीजिए और उसे अपने प्रचार के बैग में रखिए। जब घर-घर के प्रचार में कोई आपसे वही सवाल पूछता है या आपका विरोध करता है, तो आप उसे बताइए कि अपने विश्‍वास के बारे में उसे समझाने में आपको खुशी होगी। (1 पत. 3:15) उसे जवाब देते वक्‍त आउटलाइन का इस्तेमाल कीजिए।

जब आपको अपने परिवार, पुस्तक अध्ययन समूह या कलीसिया की तरफ से प्रार्थना करनी है, तब भी अच्छा होगा अगर आप मन में विचारों का क्रम तय कर लें। लूका 11:2-4 में, यीशु ने अपने चेलों को सच्चे दिल से प्रार्थना करने के लिए एक आसान आउटलाइन दी। यरूशलेम के मंदिर का समर्पण करते वक्‍त, सुलैमान ने एक लंबी प्रार्थना की थी। उसने ज़रूर पहले से सोचा होगा कि वह प्रार्थना में किस विषय पर बोलेगा। उसने सबसे पहले यहोवा और दाऊद से उसके वादे के बारे में बताया, फिर मंदिर के बारे में; और फिर एक-एक करके कुछ खास किस्म के हालात और लोगों के समूह का ज़िक्र किया। (1 राजा 8:22-53) हम इन उदाहरणों से काफी कुछ सीख सकते हैं।

भाषण की आउटलाइन सरल रखिए। क्या आप भाषण देते वक्‍त आउटलाइन इस्तेमाल करना चाहते हैं? उसमें क्या-क्या लिखा होना चाहिए?

याद रखें कि आउटलाइन का मकसद आपको विचार याद दिलाना है। आपको शायद भाषण की शुरूआत में कहने के लिए चंद वाक्य लिखकर रखना सही लगे। लेकिन इसके बाद आपको जो कहना है, उसका हर शब्द मत लिखिए बल्कि विचार लिखिए। अगर आप ये विचार वाक्यों के रूप में लिखना चाहते हैं, तो छोटे वाक्य लिखिए। आप जिन मुख्य मुद्दों पर बात करना चाहते हैं, वे आपकी आउटलाइन में साफ नज़र आने चाहिए। इसके लिए आप चाहें तो उन्हें बड़े अक्षरों में लिख सकते हैं, फिर उनके नीचे लाइन खींच सकते हैं या उन पर किसी और रंग से निशान लगा सकते हैं। हर मुख्य मुद्दे के नीचे, उन विचारों को लिखिए जिनका इस्तेमाल करके आप उन मुद्दों पर के बारे में समझाना चाहेंगे। उन आयतों के हवाले लिखिए जिन्हें आप पढ़ना चाहते हैं। आयतों को सीधे बाइबल से पढ़ना बेहतर रहेगा। आप जो दृष्टांत बताना चाहते हैं, उन्हें नोट कर लीजिए। अपनी बात को पुख्ता करने के लिए अगर किसी दुनियावी किताब से आपको बढ़िया-सा हवाला मिल जाए, तो उसे भी आप नोट कर सकते हैं। अपने नोट्‌स्‌ में इतनी जानकारी लिखिए कि आप खास घटनाओं के बारे में पूरी जानकारी दे सकें। आउटलाइन की लिखाई अगर साफ-सुथरी हो, तो उसे इस्तेमाल करने में आसानी होगी।

कुछ लोग आउटलाइन में सिर्फ ज़रूरी बातें नोट करते हैं। वे अपनी आउटलाइन में चंद खास शब्द लिखते हैं, वे उन आयतों को नोट करते हैं जिन्हें वे मुँह-ज़बानी बोलेंगे और कुछ तसवीरें बना लेते हैं जिनकी मदद से उन्हें विचार याद आते हैं। इस तरह एक सरल आउटलाइन बनाकर वे जानकारी को सिलसिलेवार तरीके से और बोलचाल की शैली में पेश करते हैं। ऐसा करने की काबिलीयत हासिल करना ही, इस पाठ का मकसद है।

आप पाएँगे कि इस किताब के पेज 39 से लेकर 42 पर “आउटलाइन तैयार करना” विषय पर चर्चा की गयी है। “आउटलाइन का इस्तेमाल,” इस अध्याय पर काम करते वक्‍त अगर आप उस अध्याय में दी गयी जानकारी भी पढ़ें, तो आपको बहुत फायदा होगा।

आउटलाइन का इस्तेमाल कैसे करें। अब आपका लक्ष्य सिर्फ अपने भाषण की आउटलाइन तैयार करना नहीं, बल्कि इसका बढ़िया तरीके से इस्तेमाल करना होना चाहिए।

आउटलाइन को इस्तेमाल करने में पहला कदम है, भाषण पेश करने की तैयारी करना। अपने भाषण का शीर्षक देखिए, हर मुख्य मुद्दा पढ़िए और खुद को बताइए कि हर मुद्दे का शीर्षक से क्या संबंध है। हर मुख्य मुद्दे को समझाने के लिए कितना वक्‍त लिया जा सकता है, यह लिख लीजिए। अब फिर से पहले मुख्य मुद्दे की अच्छी तरह जाँच कीजिए। आप उस मुद्दे को समझाने के लिए जो दलीलें, आयतें, दृष्टांत और मिसालें बताना चाहते हैं, उन पर दोबारा विचार कीजिए। भाषण के उस हिस्से को बार-बार पढ़िए जब तक कि वह आपके दिमाग में ठीक से बैठ न जाए। बाकी के मुख्य मुद्दों को भी इसी तरीके से तैयार कीजिए। अगर ज़रूरी हो, तो देखिए कि अपने भाषण को समय पर खत्म करने के लिए आप किस जानकारी को हटा सकते हैं। इसके बाद पूरे भाषण को दोबारा देखिए। शब्दों पर नहीं बल्कि विचारों पर ध्यान दीजिए। भाषण रटिए मत।

भाषण देते वक्‍त, आपको सुननेवालों से अच्छी तरह नज़र मिलाकर बात करनी चाहिए। एक आयत पढ़ने के बाद, आम तौर पर आपको नोट्‌स्‌ देखे बिना बाइबल की मदद से तर्क करते हुए उस आयत के बारे में समझाना चाहिए। उसी तरह, अगर आप कोई दृष्टांत बताते हैं, तो उसे नोट्‌स्‌ से पढ़कर नहीं बल्कि ऐसे बताइए मानो आप अपने दोस्तों को बता रहे हों। बात करते वक्‍त आप हर वाक्य के लिए अपने नोट्‌स्‌ मत देखिए। दिल से बात कीजिए, तो आप अपने सुननेवालों के दिल तक पहुँच पाएँगे।

अगर आपने आउटलाइन का इस्तेमाल करके भाषण देने की कला सीख ली है, तो आपने एक काबिल वक्‍ता बनने की तरफ एक ज़रूरी कदम बढ़ाया है।

यह कैसे करें

  • अपने दिमाग में यह बात अच्छी तरह बिठा लीजिए कि आउटलाइन से बोलने के क्या-क्या फायदे हैं।

  • रोज़मर्रा जीवन में, दूसरों से बात करने से पहले अपने विचारों का क्रम बिठाइए।

  • आउटलाइन की मदद से बोलने में ज़रूरी आत्म-विश्‍वास पाने के लिए यहोवा से प्रार्थना कीजिए और कलीसिया की सभाओं में बेझिझक हिस्सा लेने की आदत डालिए।

  • एक आसान आउटलाइन तैयार कीजिए ताकि एक ही नज़र में उसे पढ़ा जा सके।

  • भाषण की तैयारी करने के लिए शब्द मत रटिए बल्कि विचारों पर नज़र दौड़ाइए।

अभ्यास: इस हफ्ते प्रचार में जाने से पहले, आप जो बताएँगे उसकी अपने मन में किसी एक खास विषय पर आउटलाइन बना लीजिए। (पेज 167, पैराग्राफ 3 देखिए।) प्रचार में हिस्सा लेते वक्‍त, ध्यान दीजिए कि आप कितनी बार, अपनी तैयारी के मुताबिक लोगों से चर्चा करने या कम-से-कम अपने संदेश का सारांश बताने में कामयाब हुए।

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