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परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए
be अध्याय 27 पेज 174-पेज 178 पैरा. 3

अध्याय 27

नोट्‌स बार-बार देखे बिना बात करना

आपको क्या करने की ज़रूरत है?

इस तरीके से बात कीजिए जिससे लगे कि आपके मन में विचार बिलकुल साफ हैं, मगर शब्दों का चुनाव आप वहीं भाषण देते वक्‍त बड़ी सहजता से करते हैं।

इसकी क्या अहमियत है?

सुननेवालों की दिलचस्पी बनाए रखने और उनमें सीखी हुई बातों पर अमल करने का जोश भरने का सबसे बढ़िया तरीका है, नोट्‌स बार-बार देखे बिना सहजता से बात करना।

आपने पूरी लगन के साथ अपना भाषण तैयार किया है। आपके पास ऐसी जानकारी है जिससे लोग कुछ सीख पाएँगे। आपका तर्क भी बहुत अच्छा है। आप बिना अटके, प्रवाह के साथ बोलते हैं। फिर भी, अगर सुननेवालों का ध्यान बार-बार भटक जाए और वे सिर्फ आपके भाषण के कुछ हिस्सों को सुनें, तो आप अपनी बात कहने में कितने कामयाब होंगे? अगर उन्हें भाषण पर ध्यान लगाए रखना मुश्‍किल लगता है, तो क्या यह मुमकिन है कि आप उनके दिल तक पहुँच पाएँगे?

ऐसी समस्या की असली वजह क्या हो सकती है? इसकी कई वजह हो सकती हैं। ज़्यादातर मामलों में वजह होती है, नोट्‌स पढ़कर भाषण देना। यानी वक्‍ता की नज़र ज़्यादातर नोट्‌स पर टिकी रहती है, इसलिए उसका भाषण पेश करने का तरीका बड़ा बनावटी होता है। लेकिन इन सारी समस्याओं की जड़ है, भाषण तैयार करने का तरीका।

अगर आप पहले पूरे भाषण को कागज़ पर लिख लेते हैं और फिर उसकी एक आउटलाइन बनाने की कोशिश करते हैं, तो नोट्‌स बार-बार देखे बिना बात करना आपके लिए मुश्‍किल होगा। क्यों? क्योंकि आपने वे शब्द भी चुन लिए हैं जिनका आप इस्तेमाल करेंगे। फिर, भाषण देते वक्‍त आप भले ही आउटलाइन का इस्तेमाल करें, लेकिन आप उन्हीं शब्दों को याद करने की कोशिश करेंगे जो आपने पहली बार भाषण लिखते वक्‍त इस्तेमाल किए थे। जब कोई लिखी हुई बात पढ़ता है, तो भाषा सहज नहीं होती और वाक्यों की रचना, रोज़मर्रा की बातचीत से कहीं ज़्यादा पेचीदा होती है। भाषण देते वक्‍त ये सारी कमियाँ ज़ाहिर होने लगेंगी।

पूरे भाषण का एक-एक शब्द लिखने के बजाय, यह तरीका आज़माकर देखिए: (1) अपने भाषण के लिए एक शीर्षक चुनिए और फिर उस शीर्षक के बारे में विस्तार से समझाने के लिए अपने विषय के कुछ मुख्य मुद्दे चुनिए। छोटे भाषण के लिए, शायद दो मुख्य मुद्दे काफी हों। जबकि लंबे भाषण के लिए चार या पाँच मुद्दे हो सकते हैं। (2) हर मुख्य मुद्दे के नीचे उन खास आयतों को लिख लीजिए जिनका इस्तेमाल करके आप उन मुद्दों पर बात करेंगे; आप जो दृष्टांत और खास दलीलें देंगे, उन्हें भी लिख लीजिए। (3) यह सोचकर रखिए कि आप भाषण की शुरूआत कैसे करेंगे। आप चाहें तो इसके लिए एक-दो वाक्य लिखकर रख सकते हैं। और यह भी सोचकर रखिए कि भाषण के आखिर में आप क्या कहेंगे।

भाषण पेश करने की तैयारी करना बहुत ज़रूरी है। लेकिन पूरे भाषण का एक-एक शब्द रटने के इरादे से अभ्यास मत कीजिए। नोट्‌स बार-बार देखे बिना भाषण देने का अभ्यास करते वक्‍त, शब्दों पर नहीं बल्कि विचारों पर खास ध्यान देना चाहिए। और विचारों को तब तक दोहराना चाहिए जब तक कि एक-के-बाद-एक हर मुद्दा आपके दिमाग में अच्छी तरह न आता जाए। अगर आपने भाषण के मुद्दों का तर्क के मुताबिक अच्छा सिलसिला बिठाया है और सोच-समझकर उसकी तैयारी की है, तो भाषण देते वक्‍त, विचार आपको बड़ी आसानी से और बिना किसी परेशानी के याद आते जाने चाहिए।

फायदों के बारे में सोचिए। नोट्‌स बार-बार न देखने का एक फायदा यह है कि आप रोज़मर्रा की बोली में बात कर पाएँगे और लोग आपकी बात आसानी से समझ जाएँगे। आपका भाषण जानदार होगा, इसलिए सुननेवाले इसे ज़्यादा दिलचस्पी लेकर सुनेंगे।

यह तरीका अपनाने से आप लोगों के साथ नज़र मिलाकर बात कर पाएँगे और इस तरह आपकी बात उन तक ज़्यादा बेहतर तरीके से पहुँच पाएगी। आप हर वाक्य के लिए नोट्‌स नहीं देखेंगे, इसलिए आपके सुननेवालों को यह महसूस होगा कि आपको अपने विषय के बारे में अच्छी जानकारी है और आप जो कह रहे हैं, उस पर खुद यकीन करते हैं। इसलिए, बिना नोट्‌स देखे बात करने से आप स्नेह ज़ाहिर कर पाएँगे, बोलचाल की शैली में भाषण पेश कर पाएँगे और आप दिल से अपनी बात कह पाएँगे जो लोगों के दिल को छू जाएगी।

नोट्‌स बार-बार देखे बिना बात करने से आप ज़रूरत के मुताबिक जानकारी में फेरबदल भी कर सकते हैं। भाषण की जानकारी इस कदर पक्की नहीं होती कि आप उसमें फेरबदल नहीं कर सकते। मान लीजिए कि जिस दिन आपको भाषण देना है, उस दिन सुबह आपने कोई खास खबर सुनी या पढ़ी जो आपके विषय से सीधे ताल्लुक रखती है। क्या उस खबर का अपने भाषण में ज़िक्र करना ठीक नहीं रहेगा? या भाषण के दौरान आप देखते हैं कि सुननेवालों में बहुत-से स्कूल जानेवाले बच्चे भी हैं। कितना अच्छा होगा अगर आप उनके मुताबिक अपने दृष्टांतों में फेरबदल करें जिससे बच्चे समझ पाएँ कि यह जानकारी किस तरह उनकी ज़िंदगी से जुड़ी हुई है!

नोट्‌स का हद-से-ज़्यादा सहारा लिए बिना बात करने का एक और फायदा यह है कि आपको भावनाएँ ज़ाहिर करने का मौका मिलेगा। जब आप देखेंगे कि लोग आपकी बात ध्यान से सुन रहे हैं और उसकी कदर कर रहे हैं, तो आपके अंदर भी जोश भर आएगा और आप विचारों को खुलकर समझाएँगे या अपनी बात पर ज़ोर देने के लिए कुछेक मुद्दों को दोहराएँगे। अगर आप देखते हैं कि लोगों की दिलचस्पी कम होती जा रही है, तो आप यूँ ही बात जारी रखने के बजाय, सुननेवालों में दिलचस्पी जगाने की कोशिश कर सकते हैं।

खतरों से बचें। आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि नोट्‌स बार-बार देखे बिना बात करने के कुछ खतरे भी हैं। एक तो यह कि शायद आप दिए गए समय के अंदर अपना भाषण पूरा न कर पाएँ। अगर आप भाषण के दौरान, ऐसे बहुत-से विचारों को शामिल करते जाएँ जो पहले आपके भाषण में नहीं थे, तो आप समय पर अपनी बात खत्म नहीं कर पाएँगे। ऐसे हालात से बचने के लिए अपनी आउटलाइन पर लिख लीजिए कि भाषण के हर भाग को कितने समय के अंदर पूरा करना है। फिर उस समय का सख्ती से पालन कीजिए।

एक और खतरा है, खुद पर हद-से-ज़्यादा भरोसा होना। खासकर तजुर्बेकार वक्‍ता इस खतरे में पड़ सकते हैं। लोगों के सामने बोलने का काफी अनुभव होने की वजह से, कुछ लोगों के लिए बिना किसी खास तैयारी के कई विचारों को इकट्ठा करके बोल देना बहुत आसान होता है। इस तरह वे कुछ-न-कुछ कहकर अपने भाषण का समय पूरा कर लेते हैं। लेकिन अगर हम नम्र हैं और इस बात को समझते हैं कि हम सिखाने के जिस कार्यक्रम में शामिल हैं, उसमें महान उपदेशक की हैसियत से खुद यहोवा सिखाता है, तो हम हर भाग के लिए सच्चे दिल से प्रार्थना करके मदद माँगेंगे और इसकी अच्छी तैयारी करेंगे।—यशा. 30:20; रोमि. 12:6-8.

जिन लोगों को नोट्‌स का सहारा लिए बिना बात करने का तजुर्बा नहीं है, उन्हें शायद इस बात का बहुत डर हो कि कहीं वे कुछ बातें भूल न जाएँ। लेकिन इस डर की वजह से आप, नोट्‌स बार-बार देखे बिना भाषण देने के इस असरदार तरीके को अपनाने से पीछे न हटें। अच्छी तैयारी करें और यहोवा पर आस लगाएँ कि वह अपनी आत्मा देकर आपकी मदद करेगा।—यूह. 14:26.

कुछ वक्‍ताओं को सही-सही शब्द बोलने की बहुत ज़्यादा चिंता होती है, इसलिए वे नोट्‌स देखे बिना बात करने से कतराते हैं। यह सच है कि नोट्‌स बार-बार देखे बिना बात करने से हम, शायद बढ़िया-से-बढ़िया शब्दों का इस्तेमाल न कर पाएँ और व्याकरण भी शत-प्रतिशत सही न हो जैसे मैन्यूस्क्रिप्ट भाषण में होता है जो कागज़ से पढ़कर दिया जाता है। लेकिन नोट्‌स बार-बार देखे बिना बोलने से हम बोलचाल की शैली में जानकारी पेश कर पाएँगे जिससे बढ़िया शब्दों और सही व्याकरण की कमी पूरी हो जाएगी। आसान शब्दों और सरल वाक्यों में विचार पेश करने से, लोगों के लिए समझना और उस पर अमल करना ज़्यादा आसान रहता है। अगर आप अच्छी तैयारी करें, तो सही शब्द बड़ी सहजता से आपकी ज़बान पर आते जाएँगे। इसकी वजह यह नहीं कि आपने शब्दों को रट लिया है बल्कि यह कि आपने विचारों को बार-बार पढ़ा है। और अगर आप रोज़मर्रा बातचीत में अच्छी भाषा बोलें, तो आप स्टेज पर बड़ी आसानी से अच्छी भाषा का इस्तेमाल करके भाषण दे पाएँगे।

किस तरह के नोट्‌स इस्तेमाल करें। समय के गुज़रते और अच्छे अभ्यास से, आप छोटी आउटलाइन तैयार कर पाएँगे जिसमें आप भाषण के हर खास मुद्दे के लिए बस चंद शब्द ही लिखेंगे। इन चंद शब्दों और कुछ ऐसी आयतों को जिन्हें आप इस्तेमाल करना चाहते हैं, किसी कार्ड या छोटे-से कागज़ पर लिख सकते हैं ताकि आप उन्हें आसानी से देख सकें। प्रचार में मिलनेवाले ज़्यादातर मौकों के लिए, आप शायद एक आसान-सी आउटलाइन को मुँह-ज़बानी याद कर लें। अगर आपने वापसी भेंट पर चर्चा करने के लिए किसी विषय पर खोजबीन की है, तो आप कागज़ पर छोटे नोट्‌स लिख सकते हैं और उसे अपनी बाइबल में रख सकते हैं। या फिर आप “चर्चा के लिए बाइबल विषय” पुस्तिका में दी गयी आउटलाइन या रीज़निंग फ्रॉम द स्क्रिप्चर्स्‌ किताब में दी गयी जानकारी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

लेकिन अगर आपको कुछ ही हफ्तों के अंदर, सभा के बहुत-से भाग पेश करने हैं और जन-भाषण भी देने हैं, तो आपको शायद विस्तार से लिखे नोट्‌स तैयार करने की ज़रूरत पड़ेगी। क्यों? ताकि आप हर भाग को पेश करने से पहले उसकी जानकारी को मन में ताज़ा कर सकें। ऐसे में भी, अगर भाषण के दौरान, शब्द ढूँढ़ने के लिए आपका ध्यान बार-बार नोट्‌स पर जाएगा, यानी आप तकरीबन हर वाक्य को बोलते वक्‍त नोट्‌स देखेंगे, तो आपको वे सारे फायदे हासिल नहीं होंगे जो नोट्‌स बार-बार देखे बिना बोलने से मिलते हैं। इसलिए विस्तार से लिखे नोट्‌स का इस्तेमाल करते वक्‍त सिर्फ खास शब्दों और आयतों पर निशान लगाइए ताकि आप उन्हें आसानी से देख सकें और यही आपकी आउटलाइन का काम करेंगे।

यह सच है कि एक तजुर्बेकार वक्‍ता को नोट्‌स बार-बार देखे बिना बात करनी चाहिए, मगर जानकारी पेश करने के दूसरे तरीकों को अपनाने के भी फायदे हैं। भाषण की शुरूआत और आखिर में, सुननेवालों के साथ नज़र मिलाकर बात करने और ज़बरदस्त चुनिंदा शब्दों में अपनी बात कहने की ज़रूरत होती है। इसके लिए चंद वाक्यों को मुँह-ज़बानी याद कर लेना बेहतर होगा। और जब कुछ सबूत, आँकड़े, हवाले या आयतें बतानी हों, तो उन्हें पढ़कर सुनाना सही होगा और इनका सबसे बेहतरीन असर होगा।

जब दूसरे, कारण पूछते हैं। कभी-कभी ऐसे मौके आते हैं जब हमें बिना किसी तैयारी के अपने विश्‍वास के बारे में समझाने के लिए कहा जाता है। हो सकता है, प्रचार में कोई हमारे संदेश का विरोध करते हुए कोई सवाल उठाए। ऐसे हालात, रिश्‍तेदारों से बात करते वक्‍त, काम की जगह या स्कूल में भी पैदा हो सकते हैं। सरकारी अधिकारी भी हमसे अपने विश्‍वासों या जीने के तौर-तरीकों के बारे में सफाई पेश करने के लिए कह सकते हैं। बाइबल हमें उकसाती है: “जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।”—1 पत. 3:15.

गौर कीजिए कि पतरस और यूहन्‍ना ने यहूदी महासभा के सामने कैसे जवाब दिया था। यह घटना प्रेरितों 4:19, 20 में दर्ज़ है। उन्होंने सिर्फ दो वाक्यों में अपना फैसला साफ-साफ बताया। और उन्होंने जिस तरीके से जवाब दिया वह उनके सुननेवालों के हिसाब से सही था। उन्होंने यह साफ बताया कि जो मसला प्रेरितों के सामने है, वही मसला महासभा के सामने भी खड़ा है। बाद में, स्तिफनुस पर झूठे इलज़ाम लगाकर उसी महासभा के सामने उसे लाया गया। गौर कीजिए कि तब स्तिफनुस ने अचानक पैदा हुए इस हालात में कैसा ज़बरदस्त जवाब दिया, इसके बारे में प्रेरितों 7:2-53 में पढ़िए। उसने किस क्रम में अपनी जानकारी पेश की? उसने इतिहास की घटनाओं को क्रमानुसार बताया। और सही वक्‍त पर, उसने ज़ोर देकर बताया कि कैसे इस्राएल जाति ने बगावती रवैया दिखाया। आखिर में, उसने साबित किया कि महासभा ने भी परमेश्‍वर के बेटे को मरवाकर, इस्राएलियों जैसा रवैया दिखाया है।

अगर अचानक ऐसे हालात पैदा हों, जब आपसे अपने विश्‍वासों के बारे में समझाने के लिए कहा जाएगा, तब असरदार तरीके से बात करने में क्या बात आपकी मदद कर सकती है? ऐसे में वही कीजिए जो नहेमायाह ने किया था। जब राजा अर्तक्षत्र ने उससे एक सवाल पूछा, तो उसने जवाब देने से पहले मन-ही-मन प्रार्थना की। (नहे. 2:4) प्रार्थना के बाद, मन में फौरन एक आउटलाइन तैयार कीजिए। आउटलाइन में आप खासकर इन बुनियादी बातों पर ध्यान दे सकते हैं: (1) ऐसे एक या दो मुद्दे चुनिए जो बात समझाने के लिए ज़रूरी हैं। (आप चाहें तो “चर्चा के लिए बाइबल विषय” में दिए मुद्दे चुन सकते हैं।) (2) यह तय कीजिए कि आप उन मुद्दों का सबूत देने के लिए कौन-सी आयतें इस्तेमाल करेंगे। (3) सोचिए कि आप किस तरह कुशलता से अपनी बात कहना शुरू करेंगे ताकि सवाल पूछनेवाला सुनने को तैयार हो। इसके बाद, अपनी बात शुरू कीजिए।

जब आप पर हद-से-ज़्यादा दबाव आएगा, तब क्या आपको याद रहेगा कि आपको क्या-क्या करना है? यीशु ने अपने चेलों से कहा था: “यह चिन्ता न करना, कि हम किस रीति से; या क्या कहेंगे: क्योंकि जो कुछ तुम को कहना होगा, वह उसी घड़ी तुम्हें बता दिया जाएगा। क्योंकि बोलनेवाले तुम नहीं हो परन्तु तुम्हारे पिता का आत्मा तुम में बोलता है।” (मत्ती 10:19, 20) इसका मतलब यह नहीं कि आपको पहली सदी के मसीहियों की तरह “बुद्धि की बातें” कहने की चमत्कारिक शक्‍ति मिल जाएगी। (1 कुरि. 12:8) लेकिन अगर आप, मसीही कलीसिया के ज़रिए यहोवा से मिलनेवाली शिक्षा को लगातार लेते रहें, तो ज़रूरत की घड़ी में पवित्र आत्मा, आपको वे सारी बातें याद दिलाएगी।—यशा. 50:4.

बेशक, नोट्‌स बार-बार देखे बिना दिया गया भाषण बहुत असरदार होता है। अगर आप कलीसिया में भाग पेश करते वक्‍त इसी तरीके से बोलने की आदत डालें, तो अचानक उठनेवाले हालात में फौरन जवाब देने में भी आपको मुश्‍किल नहीं होगी। क्योंकि जिस तरीके से भाषण की आउटलाइन तैयार की जाती है, उसी तरीके से जवाब देने के लिए भी आउटलाइन तैयार की जाती है। नोट्‌स बार-बार देखे बिना बोलने का तरीका अपनाने में संकोच मत कीजिए। इस तरीके से बात करना सीखने से आप, प्रचार में ज़्यादा कामयाब होंगे। और अगर आपको कलीसिया में भाषण देने का मौका मिलता है, तो यह तरीका अपनाने से आप सुननेवालों की दिलचस्पी बनाए रख सकेंगे और उनके दिल तक पहुँच सकेंगे।

कामयाब कैसे हों

  • अपने दिमाग में अच्छी तरह बिठा लें कि नोट्‌स बार-बार देखे बिना बोलने के क्या-क्या फायदे हैं।

  • भाषण का एक-एक शब्द लिखने के बजाय, एक आसान-सी आउटलाइन बनाइए।

  • भाषण देने की तैयारी करते वक्‍त हर खास मुद्दे पर अलग-से विचार कीजिए। शब्दों के बारे में हद-से-ज़्यादा चिंता करने के बजाय, विचारों को तर्क के मुताबिक सिलसिलेवार ढंग से समझाने पर ज़्यादा ध्यान दीजिए।

अभ्यास: (1) प्रहरीदुर्ग अध्ययन की तैयारी करते वक्‍त, पूरे-के-पूरे वाक्य पर निशान लगाने के बजाय सिर्फ खास शब्दों पर निशान लगाइए। अपने शब्दों में जवाब दीजिए। (2) स्कूल में अपने अगले भाग की तैयारी करते वक्‍त, सबसे पहले अपने भाषण के विषय और उसके दो या तीन मुख्य मुद्दों को मुँह-ज़बानी याद करने की कोशिश कीजिए।

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