यहोवा की सेवा में एक लंबी उम्र के लिए शुक्रगुज़ार
ओतिल्यॆ मिडलॆन द्वारा बताया गया
उन्नीसवीं शताब्दी के आख़िरी भाग में, पश्चिमी नॉर्वे में कॉपरविक के बंदरगाह पर एक-के-बाद-एक जहाज़ खड़े थे। उन दिनों आदमी और घोड़े सड़कों पर ठेला खींचते थे। लोग रोशनी के लिए पराफ़िन की लैंप इस्तेमाल करते थे, और सफ़ेद रंग किए गए लकड़ी के घरों को लकड़ी और कोक से गर्म किया जाता था। मैं वहाँ जून १८९८ में पैदा हुई। मैं पाँच बच्चों में दूसरी थी।
पिताजी १९०५ में बेरोज़गार हो गए, सो वो अमरीका चले गए। वो तीन साल बाद एक अटैची भरके बच्चों के लिए मज़ेदार तोहफ़े और माँ के लिए सिल्क के कपड़े और अन्य वस्तुओं के साथ लौटे। लेकिन उनकी सबसे बहुमूल्य संपत्ति थी चार्ल्स टेज़ रसल के स्टडीज़ इन द स्क्रिप्चर्स नामक खण्ड।
पिताजी ने इन पुस्तकों से जो बातें सीखीं उन्हें वे दोस्तों और रिश्तेदारों को बताने लगे। स्थानीय गिरजा सभाओं में, उन्होंने यह दिखाने के लिए बाइबल का इस्तेमाल किया कि जलता हुआ नरक नहीं है। (सभोपदेशक ९:५, १०) अमरीका से पिताजी के लौटने के एक साल बाद, १९०९ में भाई रसल ने नॉर्वे में भेंट की और बर्गन और क्रिस्टीआना में भाषण दिए, जो अब आज़्लो है। उनका भाषण सुनने के लिए पिताजी बर्गन गए।
अधिकांश लोगों ने पिताजी पर ग़लत शिक्षाओं को बढ़ावा देने का इलज़ाम लगाया। मुझे उनके लिए अफ़सोस हुआ और मैंने पड़ोसियों को बाइबल ट्रैक्ट पहुँचाने में उनकी मदद की। १९१२ में, मैंने एक पादरी की बेटी को नरक से संबंधित एक ट्रैक्ट दिया। उसने मेरी और पिताजी की निंदा की। मैं भौचक्की रह गयी कि एक पादरी की बेटी इतनी गंदी भाषा कैसे इस्तेमाल कर सकती थी!
अन्य बाइबल विद्यार्थी, जैसे उस समय यहोवा के साक्षियों को कहा जाता था, कॉपरविक में कभी-कभार हमसे भेंट करते थे, जिनमें एक कुशल वक्ता, टेओडोर सीमनसन भी थे। वो हमारे घर पर जो भाषण देते थे, उसके लिए मैं लोगों को आमंत्रित करती। अपने भाषण से पहले वो संगीत वाद्य बजाकर गीत गाते, और अपने भाषण के बाद एक शुभ-रात्री गीत गाते। उनके लिए हमारे दिल में गहरा आदर था।
एक और महमान ऐना एंडरसन, जो हमारे घर पर हमसे भेंट करने आती थी, एक कॉलपोर्टर या एक पूर्ण-समय की सेविका। वह पूरे नॉर्वे में नगर-से-नगर सफ़र करती थी, ख़ासकर साइकिल से, और लोगों को बाइबल साहित्य देती थी। वह एक बार साल्वेशन आर्मी में एक अफ़सर रह चुकी थी और कॉपरविक में साल्वेशन आर्मी के कुछ अफ़सरों को जानती थी। उन्होंने उसे अपने सभा घर में एक बाइबल भाषण देने की अनुमति दी, और मैंने लोगों को आकर उसका भाषण सुनने के लिए आमंत्रित किया।
एक और कॉलपोर्टर, कार्ल गुनबर हमसे कॉपरविक में मिलने आता था। इस शालीन, शांत, लेकिन मज़ाकिया आदमी ने समय-समय पर ओज़्लो के शाखा दफ़्तर में एक अनुवादक का भी काम किया। कई साल बाद हमने वहाँ एक साथ काम किया।
धार्मिक दृष्टिकोणों द्वारा प्रभावित
उस समय अधिकांश लोगों का परमेश्वर में और बाइबल में केवल मज़बूत विश्वास ही नहीं था, लेकिन वे नरकाग्नि और त्रियेक जैसे विश्वासों में बुरी तरह लिपटे हुए भी थे। अतः इसने बड़ी ही खलबली मचा दी जब बाइबल विद्यार्थियों ने सिखाया कि ये धर्मसिद्धांत बाइबल के सामंजस्य में नहीं थे। मैं अपने पड़ोसी के प्रबल दोषारोपों से प्रभावित हो गयी थी कि पिताजी एक विधर्मी हैं। एक बार तो मैंने उन्हें यह तक कह दिया: “आप जो सिखाते हैं वह सही नहीं है। वह अपधर्म है!”
“यहाँ आओ, ओतिल्यॆ,” उन्होंने मुझे बुलाया, “और देखो बाइबल क्या कहती है।” तब उन्होंने मुझे शास्त्रवचन पढ़ाए। इसके परिणामस्वरूप, उनमें और जो वे सिखा रहे थे उसमें मेरा भरोसा बढ़ गया। उन्होंने मुझे स्टडीज़ इन द स्क्रिप्चर्स पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया, सो १९१४ की गर्मी में, मैं अकसर एक पहाड़ी पर बैठकर पढ़ा करती थी जहाँ से नगर दिखता था।
अगस्त १९१४ में लोगों ने स्थानीय अख़बार की इमारत के बाहर प्रथम विश्व युद्ध के छिड़ने के बारे में पढ़ने के लिए भीड़ लगायी। पिताजी वहाँ आकर देखने लगे कि क्या हो रहा था। “शुक्र है!” उन्होंने कहा। युद्ध के छिड़ने में उन्होंने बाइबल भविष्यवाणियों की पूर्ति को पहचाना जिनके बारे में वे प्रचार कर रहे थे। (मत्ती २४:७) उस समय अनेक बाइबल विद्यार्थियों ने विश्वास किया कि जल्द ही उन्हें स्वर्ग ले जाया जाएगा। जब ऐसा नहीं हुआ, कुछ लोग निराश हो गए।
बाइबल सच्चाई के लिए मेरी स्थिति
वर्ष १९१५ में, १७ की उम्र में मैं अपनी प्राथमिक शिक्षा ख़त्म कर एक दफ़तर में नौकरी करने लगी। उस समय मैं नियमित रूप से प्रहरीदुर्ग पढ़ने लगी। लेकिन यह १९१८ में ही था जब कॉपरविक में नियमित सभाएँ आयोजित की गयीं। शुरूआत में, हम पाँच लोग मौजूद थे। हमने वॉच टावर संस्था के प्रकाशन पढ़े, जैसे कि स्टडीज़ इन द स्क्रिप्चर्स, और सवाल और जवाब के माध्यम से साहित्य की चर्चा की। हालाँकि माँ दूसरों से बाइबल विद्यार्थियों के बारे में तारीफ़ ही किया करती थीं, वो हममें से एक नहीं बनीं।
जिस दफ़तर में मैं काम करती थी, १९१८ से शुरू होते हुए, मैं आंटोन सॉल्टनेस से परिचित हुई, जिसे मैं एक बाइबल विद्यार्थी बनने में मदद कर पायी। इस समय मैं एक नियमित प्रकाशक बन गयी और १९२१ में बर्गन में एक सम्मेलन में मैंने बपतिस्मा प्राप्त किया।
मई १९२५ में पूरे स्कैंडिनेविया के लिए एरेब्रू, स्वीडन में सम्मेलन हुआ। ५०० से भी ज़्यादा लोग उपस्थित थे, जिनमें वॉच टावर संस्था के अध्यक्ष, जोसॆफ़ एफ़. रदरफोर्ड भी थे। हम क़रीब ३० लोगों ने ओज़्लो से ट्रेन में एक आरक्षित डिब्बे में सफर किया।
इस सम्मेलन में घोषणा की गयी कि कोपनहॆगन, डॆनमार्क में पूरे स्कैंडिनेविया और बाल्टिक देशों में प्रचार कार्य की देखभाल करने के लिए एक उत्तरी यूरोपीय दफ़तर स्थापित किया जाएगा। स्कॉटलैंड के विलियम डे को प्रचार कार्य पर निगरानी रखने के लिए नियुक्त किया गया। वह सबका प्यारा भाई था, और जल्द ही बिग स्कॉट्समैन के नाम से मशहूर हो गया। शुरू-शुरू में भाई डे को किसी भी स्कैंडिनेवियाई भाषा का कोई ज्ञान नहीं था। सो वह सभाओं और सम्मेलनों में पीछे बैठकर बच्चों की देखभाल करता था ताकि उनके माता-पिता मंच से जो कहा जा रहा है उस पर ध्यान दे सकें।
मार्च १, १९२५ की प्रहरीदुर्ग ने प्रकाशितवाक्य अध्याय १२ की चर्चा की, और समझाया कि यह अध्याय परमेश्वर के राज्य के जन्म से संबंधित है और यह जन्म स्वर्ग में १९१४ में हुआ। मुझे यह समझने में दिक़्क़त हुई, सो मैंने यह लेख बार-बार पढ़ा। जब आख़िर में मुझे समझ आया, मैं बहुत ही ख़ुश हुई।
जब भी बाइबल विषयों पर हमारी समझ में समंजन किए गए हैं, कुछ लोग ठोकर खाकर परमेश्वर के लोगों से दूर हो गए हैं। लेकिन जब एक ऐसा समंजन समझने में मुश्किल रहा है, तब मैंने तर्क को समझने की कोशिश करने के लिए हमेशा उस विषय को बार-बार पढ़ा है। अब भी अगर मैंने नए विश्लेषण को नहीं समझा है, तो मैं स्पष्टीकरण के लिए रुकती हूँ। बार-बार, ऐसे धैर्य के लिए मुझे प्रतिफल मिला है।
बॆथॆल में सेवा
कुछ सालों के लिए मैंने एक मुनीम, सचिव और ज़िला लेखा-परिक्षक के रूप में काम किया। १९२८ में संस्था का आर्थिक हिसाब-किताब संभालनेवाला व्यक्ति बीमार हो गया और उसे बॆथॆल छोड़ना पड़ा। क्योंकि मुझे ऐसे काम में अनुभव था, मुझसे वह काम संभालने के लिए कहा गया। मैंने जून १९२८ में बॆथॆल सेवा शुरू की। कभी-कभार, भाई डे हमें भेंट करते और मेरे हिसाब-किताब की लेखा-परीक्षा करते। हमारे बॆथॆल परिवार ने ओज़्लो में जन प्रचार कार्य में भी अगुवाई की, जहाँ उस समय केवल एक कलीसिया थी।
हममें से कुछ लोगों ने बॆथॆल के प्रेषण सेवक, भाई साक्शॆमेर की द गोल्डन एज (अब सजग होइए!) को पैक करने और प्रेषण करने में मदद की। भाई सीमनसन और गुनबर उन लोगों में थे जिन्होंने मदद का हाथ बढ़ाया। हमने अच्छा समय बिताया, और काम करते वक़्त अकसर गीत गाए।
राज्य आशा में विश्वस्त
वर्ष १९३५ में हमें समझ में आया कि “बड़ी भीड़” द्वितीय स्वर्गीय वर्ग नहीं था। हमने सीखा कि इसके बजाय यह एक ऐसे वर्ग को सूचित करता है जो बड़े क्लेश से बच निकलता है और जिसके पास पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीने का अवसर है। (प्रकाशितवाक्य ७:९-१४) इस नयी समझ के साथ, ऐसे कुछ लोगों को जिन्होंने स्मारक प्रतीकों में भाग लिया था, एहसास हुआ कि उनकी एक पार्थिव आशा थी, और उन्होंने भाग लेना छोड़ दिया।
हालाँकि मुझे अपनी स्वर्गीय आशा के बारे में कभी कोई शक नहीं था, फिर भी मैंने अकसर सोचा, ‘परमेश्वर मुझे ही क्यों चाहता है?’ मैंने एक ऐसे महान विशेषाधिकार के लिए अयोग्य महसूस किया। एक छोटी-सी, शर्मीली स्त्री के नाते, मैंने अपने बारे में स्वर्ग में मसीह के साथ शासन करनेवाले एक राजा के रूप में सोचना अजीब पाया। (२ तीमुथियुस २:११, १२; प्रकाशितवाक्य ५:१०) बहरहाल, मैंने प्रेरित पौलुस के शब्दों पर विचार किया कि “न बहुत सामर्थी” को बुलाया गया, लेकिन “परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्जित करे।”—१ कुरिन्थियों १:२६, २७.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गतिविधि
अप्रैल ९, १९४० में, जर्मन सेना द्वारा नॉर्वे पर हमला बोला गया, और जल्द ही देश उनके कब्ज़े में आ गया। युद्ध के कारण, अनेक लोगों ने राज्य संदेश के प्रति प्रतिक्रिया दिखायी। अक्तूबर १९४० से जून १९४१ तक, हमने २,७२,००० से भी ज़्यादा पुस्तकों और पुस्तिकाओं का वितरण किया। इसका मतलब था कि उस समय के नॉर्वे के ४७० से भी अधिक साक्षियों में से हरेक ने, उन नौ महीनों के दौरान, औसतन ५७० से भी अधिक पुस्तकें और पुस्तिकाएँ वितरित की थीं!
जुलाई ८, १९४१ में, गॆस्टापों ने सभी प्रिसाइडिंग ओवरसियरों से भेंट की और उनसे कहा कि अगर प्रचार कार्य रोका नहीं गया, तो उन्हें यातना शिविरों में भेजा जाएगा। पाँच जर्मन पुलिस अफ़सर बॆथॆल आए और उन्होंने वॉच टावर संस्था की अधिकांश संपत्ति ज़ब्त कर ली। बॆथॆल परिवार को ले जाया गया और पूछताछ की गयी, लेकिन हममें से किसी को भी क़ैद नहीं किया गया। आख़िरकार, जुलाई २१, १९४१ के दिन, संस्था की इमारत, इंकॉग्निटॉगाटॆन २८ बी. को ज़ब्त कर लिया गया, और हमारे प्रचार कार्य पर प्रतिबंध लगाया गया। मैं कॉपरविक को लौट गयी और अपनी गुज़र-बसर करने के लिए मैंने एक नौकरी ढूँढ़ ली।
उस समय पिताजी एक पायनियर के रूप में सेवा कर रहे थे। एक दिन, नाज़ी के लोग आए और पिताजी के घर की तलाशी ली। वे उनके सभी साहित्य ले गए, जिनमें उनकी बाइबल, और बाइबल शब्द-अनुक्रमणिकाएँ शामिल थीं। इस अवधि में हमें केवल थोड़ा-सा ही आध्यात्मिक भोजन प्राप्त हुआ। आध्यात्मिक रूप से मज़बूत रहने के लिए, हमने बार-बार पुरानी पुस्तकों का अध्ययन किया, जैसे की पुस्तक सरकार, और हमने प्रचार करना जारी रखा।
दुःख की बात है, कई जगहों में भाई विभाजित हो गए थे। कुछ भाइयों की राय थी कि हमें खुलकर प्रचार करना है और घर-घर जाना है, जबकि अन्य भाइयों को लगा कि हमें अधिक गुप्त रूप से कार्य करना चाहिए, और अन्य तरीक़ों से लोगों से संपर्क करना चाहिए। अतः प्रमुख भाई, जिन्होंने पहले इतना सहयोग दिया था और जिनसे हम बहुत प्रेम करते थे, अब एक दूसरे को फूटी आँखों नहीं सुहाते थे। एक साक्षी के रूप में अपने जीवन में मुझे किसी भी अन्य स्थिति से ज़्यादा दुःख उनके बीच के विभाजन की वज़ह से हुआ है।
युद्ध के बाद पुनःनवीकृत गतिविधि
युद्ध के बाद, १९४५ की गर्मियों में, भाई डे ने नॉर्वे में भेंट की और ओज़्लो, शेअन, और बर्गन में सभाएँ आयोजित कीं। उसने भाइयों से अपील की कि शांति स्थापित करें और कहा कि जो-जो ऐसा करना चाहते थे खड़े हो जाएँ। सभी लोग खड़े हो गए! दिसंबर १९४५ में, वॉच टावर संस्था के उस समय के अध्यक्ष, नेथन एच. नॉर की भेंट के बाद, वह विवाद हमेशा के लिए निबटा लिया गया।
इस बीच, जुलाई १७, १९४५ के दिन, मुझे शाखा सेवक, भाई इनॉक अमन से एक टेलिग्राम प्राप्त हुआ, जिसमें लिखा था: ‘आप बॆथॆल कब लौट सकती हैं?’ कुछ लोगों ने कहा कि मुझे घर पर रहकर अपने पिताजी की देखभाल करनी चाहिए, जो उस समय ७० पार कर चुके थे। लेकिन पिताजी ने मुझे प्रोत्साहित किया कि मैं बॆथॆल सेवा फिर से शुरू करूँ, और मैंने ऐसा किया। १९४६ में, अमरीका का एक भाई, मार्वेन एफ़. ऐंडरसन हमारा शाखा ओवरसियर बन गया, और प्रचार कार्य पुनःसंगठित किया गया।
गर्मी की छुट्टियों में मैं अपने परिवार से मिलने के लिए कॉपरविक लौटती। मेरे दो भाई और दो बहनें साक्षी नहीं बने, लेकिन पिताजी और मेरे साथ हमेशा उनका अच्छा रिश्ता था। मेरा एक भाई हार्बरमास्टर और पोतचालक बन गया, और दूसरा एक शिक्षक था। हालाँकि मेरे पास भौतिक रूप से कम था, पिताजी उनसे कहा करते: “ओतिल्यॆ तुमसे ज़्यादा अमीर है।” और यह सच था! उन्होंने जो हासिल किया था उसकी तुलना उन आध्यात्मिक धन से नहीं की जा सकती थी जिसका मैं आनंद ले रही थी! पिताजी ७८ की उम्र में १९५१ में चल बसे। माँ १९२८ में ही चल बसी थीं।
मेरी ज़िंदगी का सबसे दिलचस्प भाग था १९५३ में न्यू यॉर्क सिटी में यहोवा के लोगों के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन में उपस्थित होना। उस साल दुनिया के क्षेत्र ने ५,००,००० की प्रकाशक संख्या पार की, और उस अधिवेशन में १,६५,००० से भी अधिक लोग उपस्थित थे! १९५३ के अधिवेशन से पहले, मैंने पृथ्वी पर यहोवा के संगठन के मुख्यालय, ब्रुक्लिन बॆथॆल में एक सप्ताह के लिए काम किया।
मैं जो कर सकूँ वह करना
हाल के वर्षों में मोतियाबिंद की वज़ह से मेरी नज़र कमज़ोर हो गयी है। मैं अब भी बड़े-बड़े अक्षरों को अधिक नंबरवाले चश्मे और एक मैग्निफाइंग ग्लास के सहारे थोड़ा-बहुत पढ़ सकती हूँ। और मसीही बहनें मुझसे भेंट करती हैं और सप्ताह में दो बार पढ़कर सुनाती हैं, जिसके लिए मैं उनकी बहुत ही शुक्रगुज़ार हूँ।
मेरी प्रचार गतिविधि भी सीमित है। गर्मियों में मसीही बहनें कभी-कभार मुझे अपनी पहियाकुर्सी में बाहर ऐसी जगह ले गयी हैं जहाँ मैं कुछ प्रचार कर सकती हूँ। मैं कॉपरविक के स्कूलों में नियमित रूप से पत्रिकाएँ और ब्रोशर पहुँचाती हूँ, जैसे कि एलिमेंट्री स्कूल जहाँ मैं क़रीब १०० साल पहले एक विद्यार्थी थी। मैं ख़ुश हूँ कि मेरे लिए अब भी एक नियमित प्रकाशक होना संभव है।
बॆथॆल १९८३ से ओज़्लो के बाहर इत्रे एनेबाक में स्थित है। सुयोगवश, बॆथॆल में डायनिंग रूम और राज्य गृह उसी मंजिल पर है जिस पर मेरा कमरा है। सो मैं प्रातःकालीन उपासना, भोजन, और सभाओं में एक छड़ी के सहारे जा पाती हूँ। और मैं ख़ुश हूँ कि मैं अब भी अधिवेशनों और सम्मेलनों में जा सकती हूँ। मैं ऐसे दोस्तों से मिलने का आनंद लेती हूँ जिन्हें मैं कई सालों से जानती हूँ, साथ ही नए भाई-बहनों से और अनेक अच्छे बच्चों से भी मिलने का आनंद लेती हूँ।
अंत तक विश्वास बरक़रार रखना
यहाँ बॆथॆल में सक्रिय, ख़ुशमिजाज़, और आध्यात्मिक लोगों से घिरे रहना एक आशीष है। जब मैंने अपनी बॆथॆल सेवा शुरू की थी, तब पूरा परिवार ऐसे लोगों से बना था जिनकी स्वर्गीय आशा थी। (फिलिप्पियों ३:१४) अब बॆथॆल में मुझे छोड़ सभी लोग पृथ्वी पर सर्वदा जीने की आस देखते हैं।
सच है कि हमने अपेक्षा की थी कि यहोवा पहले ही कार्यवाही कर लेता। फिर भी, बड़ी भीड़ को और भी बढ़ते हुए देखकर मुझे ख़ुशी होती है। मैंने क्या ही बढ़ोतरियाँ देखी हैं! जब मैंने पहली बार सेवकाई में भाग लिया, तब दुनिया भर में ५,००० प्रकाशक थे। अब तो ५४,००,००० से भी ज़्यादा हैं! वाक़ई, मैंने ‘छोटे से छोटे को एक हजार हो जाते और सब से दुर्बल को एक सामर्थी जाति बनते’ हुए देखा है। (यशायाह ६०:२२) हमें यहोवा की बाट जोहते रहना चाहिए, जैसे भविष्यवक्ता हबक्कूक ने लिखा: “चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी।”—हबक्कूक २:३.