वापस जाने पर आप क्या कहेंगे?
हमारी सेवकाई में प्रभावकारी होने के लिए तैयारी की ज़रूरत है ताकि जब हम उन लोगों से पुनःभेंट करेंगे, जिन्होंने प्रारंभ में दिलचस्पी दिखायी थी, हम उनकी दिलचस्पी को फिर से जगा पाएँगे और अपनी बातचीत को आगे बढ़ा सकेंगे। हम ऐसा किस तरह कर सकते हैं?
२ चूँकि सच्चे मसीही निष्कपट रूप से दूसरों में दिलचस्पी लेते हैं, आप शायद ऐसी किसी बात का ज़िक्र कर सकते हैं, जिसके बारे में आपको पिछली भेंट के दौरन गृहस्थ के बारे में पता चला।
जिस व्यक्ति ने अपराध के बारे में अपनी चिन्ता प्रकट की, उस से आप कह सकते हैं:
▪ “पिछली बार जब हम ने बातचीत की थी, आप ने कहा था कि आप अपराध की उल्लेखनीय वृद्धि से परेशान हैं। क्या आपको लगता है कि और भी ज़्यादा पुलिसवालों की भरती कराने से समस्या सुलझ जाएगी?”
अगर किसी व्यक्ति ने विश्व-स्थिति में हाल की परिस्थितियों के कारण चिन्ता व्यक्त की, तो आप कह सकते हैं:
▪ “पिछली बार जब हम ने बैठकर बातचीत की, तब आपने दुनिया में शान्ति के अभाव के बारे में एक रोचक बात कही थी। क्या आपको लगता है कि विश्व नेता दुनिया की एक नयी व्यवस्था ले आएँगे?”
दूसरों के स्वार्थ के कारण अशान्त व्यक्ति से आप कह सकते हैं:
▪ “पिछली बार जब हम ने बातचीत की थी, तब आपने उस लोभ के बारे में एक बहुत ही बढ़िया बात कही थी, जो हम आम लोगों में देखते हैं। आपकी राय में लोभी लोगों के बारे में परमेश्वर का दृष्टिकोण क्या है? [जवाब के लिए वक़्त दें।] इफिसियों ५:५ में बाइबल यह कहती है।”
३ अन्य अभिव्यक्तियाँ जो प्रभावकारी रूप से इस्तेमाल किए जा चुके हैं, उन में ये शामिल हैं:
▪ “हमारी पिछली बातचीत से मुझे बहुत ही आनन्द हुआ, इसलिए मैं ने इस संक्षिप्त विचार पर खोज किया, आपको यह दिखाने के लिए कि यहोवा बेघर लोगों की दशा को समझते हैं। यशायाह ६५:२१-२३ पर ग़ौर कीजिए।”
▪ “मुझे आपकी वह बात बहुत अच्छी लगी कि मनुष्यजाति को बेहतर सरकार की ज़रूरत है।”
▪ “आपने एक दिलचस्प सवाल किया कि क्या सारे धर्मों को परमेश्वर की पसंदगी प्राप्त है या नहीं।”
▪ “पूर्वनिर्धारण के बारे में आपने जो कहा, उस से मैं सचमुच ही सोचने लगा।”
▪ “मैं अपनी बातचीत के बारे में सोचता रहा हूँ, और यू कॅन लिव फॉरेवर इन पैराडाइस ऑन अर्त किताब में ऐसी ही एक बात है जो मेरी राय में आपको अच्छी लगेगी। [गृहस्थ को इस किताब में से चुनी हुई बातें दिखा सकते हैं।]”
ऐसी प्रस्तावनाओं से दर्शाया जाता है कि हमें अपनी पिछली बातचीत से आनन्द प्राप्त किया और कि हम गृहस्थ से एक बार फिर बातचीत करने में दिलचस्पी रखते हैं।
४ पुनःभेंट करने से पहले, आप विचार करें कि आप क्या कहने वाले हैं। अपने प्रस्तुतीकरण को हर एक व्यक्ति के अनुकूल बनाएँ।
५ जिस व्यक्ति से हम मुलाक़ात कर रहे हैं, अगर वह बहुत ही व्यस्त हो, तो हम यह कहकर फिर भी प्रभावकारी हो सकते हैं:
▪ “मैं जानता हूँ कि आपके पास चंद ही मिनट हैं, लेकिन यहाँ एक ऐसी बात दी गयी है, जिस पर आप अपना काम ख़त्म करते करते सोच सकते हैं। [मत्ती ५:३ पढ़ें।]”
या आप कह सकते हैं:
▪ “मैं ने आप के लिए ये तीन शास्त्रपद लिख लिए हैं। चूँकि ऐसा नहीं लगता कि बातचीत करने के लिए यह समय ठीक है, मैं उन्हें यहाँ छोड़ जाता हूँ, और जब वापस आऊँगा, तब आप के साथ इन पर विचार-विमर्श करने के लिए पाँच मिनट चाहूँगा।”
६ नकारात्मक प्रस्तावनाएँ, जिन से बचे रहना चाहिए: ऐसे सवालों से, जिनसे एक नकारात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है या जो गृहस्थ को एक लज्जाजनक स्थिति में डालते हैं, आम तौर से अच्छे परिणाम उत्पन्न नहीं होते। इन में ये सवाल शामिल हैं: “क्या आपने उस साहित्य को पढ़ा, जो मैं ने आपको दिया था?” “क्या आपको कोई सवाल हैं?” “क्या आपको याद है मैं कौन हूँ?” “मैं यह पता कराने आया हूँ, कि क्या आप अब भी इस पृथ्वी के लिए परमेश्वर के उद्देश्यों के बारे में बातचीत करना चाहेंगे या नहीं।”
७ हम ऐसे व्यक्तियों को पुनःभेंट करने के लिए तभी उत्सुक होंगे, जिन्होंने पहले दिलचस्पी दिखायी थी, अगर हम सचमुच ही उन्हें अर्थपूर्ण सहायता देने के लिए समय से पहले तैयारी करेंगे।