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  • हमारी राज-सेवा—1996
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हमारी राज-सेवा—1996
km 9/96 पेज 7

प्रश्‍न बक्स

◼ सभाओं में अनुच्छेद पढ़ने के बारे में क्या बात ध्यान में रखी जानी चाहिए?

प्रहरीदुर्ग अध्ययन और कलीसिया पुस्तक अध्ययन के लिए नियुक्‍त अधिकांश समय अनुच्छेदों के पठन के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका अर्थ है कि जिस भाई को पाठक के तौर पर नियुक्‍त किया गया है उस पर एक शिक्षक के रूप में भारी ज़िम्मेदारी होती है। उसे ऐसे तरीक़े से पढ़ना चाहिए जो विषय का ‘अर्थ समझाए’ ताकि सुननेवाले न केवल उसे समझेंगे बल्कि वे कार्य करने के लिए भी प्रेरित होंगे। (नहे. ८:८) इसलिए, पाठक को अपनी कार्य-नियुक्‍ति के लिए अच्छी तैयारी करने की ज़रूरत है। [१ तीमु. ४:१३; स्कूल गाइडबुक (अंग्रेज़ी) का अध्ययन ६ देखिए।] अर्थपूर्ण सार्वजनिक पठन के लिए कुछ आवश्‍यकताएँ यहाँ दी गई हैं।

उचित भाव बलाघात का प्रयोग कीजिए: पहले से यह निश्‍चित कीजिए कि सही समझ देने के लिए कौन-से शब्द या वाक्यांशों पर ज़ोर दिए जाने की ज़रूरत है।

शब्दों का सही उच्चार कीजिए: अगर श्रोतागण को प्रकाशन में दी गयी अभिव्यक्‍तियों को समझना है तो सही उच्चार और स्पष्ट कथन आवश्‍यक है। अपरिचित और कभी-कभार प्रयोग किए जानेवाले शब्दों को किसी शब्दकोश में देखिए।

प्रबलता और उत्साह से बोलिए: उत्साहपूर्वक बोलने से दिलचस्पी जागती है, भावनाएँ प्रेरित होती हैं, और श्रोता प्रोत्साहित होता है।

स्नेही और संवादात्मक बनिए: स्वाभाविकता प्रवाहिता के साथ आती है। तैयारी और अभ्यास से, पाठक तनावमुक्‍त हो सकता है, और इसका परिणाम एकस्वर और नीरस के बजाय आकर्षक पठन होगा।—हब. २:२.

विषय जैसे मुद्रित है वैसे ही पढ़िए: अगर फुटनोट साथ ही लघु-कोष्ठकों या ब्रैकेट में दी गयी जानकारी मुद्रित पाठ को स्पष्ट करती है, तो सामान्यतः इन्हें ज़ोर से पढ़ा जाता है। एकमात्र अपवाद ऐसे संदर्भ हैं जो केवल मूल विषय की पहचान कराते हैं। अनुच्छेद में जहाँ फुटनोट का ज़िक्र किया गया है उसे वहाँ पढ़ा जाना चाहिए, और यह कहते हुए प्रारंभ कीजिए: “फुटनोट यों कहता है . . . ” उसे पढ़ने के बाद, बस बाक़ी का अनुच्छेद पढ़ना जारी रखिए।

जब सार्वजनिक पठन को अच्छी तरह से किया जाता है, तो यह एक महत्त्वपूर्ण तरीक़ा है जिससे हम दूसरों को अपने महान शिक्षक द्वारा ‘आज्ञा दी गयी सब बातें मानना सिखा’ सकते हैं।—मत्ती २८:२०.

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