ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बातों को प्रथम स्थान दीजिए
ऐसी कौन-सी कुछ महत्त्वपूर्ण बातें हैं जो हमारी आध्यात्मिक ख़ैरियत के लिए अत्यावश्यक हैं? इनमें यक़ीनन व्यक्तिगत अध्ययन, सभा उपस्थिति, सतत प्रार्थना, हितकर संगति, और मसीही सेवकाई शामिल होंगी। यदि हम अपने जीवन में महत्त्वपूर्ण बातों को सर्वप्रथम नहीं रखते हैं, तो हम अच्छी आध्यात्मिक सेहत बनाए नहीं रख सकते।
२ लेकिन, हम सभी को शरीर की अभिलाषाओं के ख़िलाफ़ एक लड़ाई लड़नी है और हमें अनुशासन की ज़रूरत है। (गल. ५:१७) हमें कभी ऐसा महसूस नहीं करना चाहिए कि अपनी ही इच्छाओं का पीछा करने से ज़्यादा लाभ प्राप्त होगा। (यिर्म. १७:९) इसीलिए, यदि हमें अपने हृदय को सुरक्षित रखना है और गुमराह होने से बचना है, तो अपने आपको नियमित रूप से जाँचना ज़रूरी है।—नीति. ४:२३; २ कुरि. १३:५.
३ अपने हृदय को जाँचिए: अपने आपसे कुछ निष्कपट सवाल पूछने के द्वारा आप ऐसा कर सकते हैं: क्या मैं परमेश्वर का वचन पढ़ने की ख़्वाहिश रखता हूँ? (१ पत. २:२) क्या मैं कलीसिया की सभी सभाओं में उपस्थित होने के महत्त्व को समझता हूँ? (इब्रा. १०:२४, २५) क्या मैं प्रार्थना में लगा रहता हूँ? (रोमि. १२:१२) क्या मैं आध्यात्मिक प्रवृत्तिवाले लोगों की संगति की तलाश में रहता हूँ? (रोमि. १:११, १२) क्या मैं सुसमाचार सुनाने के लिए व्यक्तिगत बाध्यता महसूस करता हूँ? (१ कुरि. ९:१६) हाँ में जवाब दिखाएगा कि आप ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बातों को प्रथम स्थान देने के अभिलाषी हैं।
४ अपने नित्यक्रम को जाँचिए: आपको अपने हृदय की इच्छाओं की जाँच के बाद, समय के उपयोग के लिए प्राथमिकताएँ स्थापित करने की ज़रूरत है। इसमें बाइबल पढ़ने और प्रहरीदुर्ग व सजग होइए! के हर अंक को पढ़ने के लिए, साथ ही सभाओं की तैयारी करने के लिए नियमित रूप से समय निर्धारित करना शामिल है। परिवार साथ मिलकर अध्ययन व प्रार्थना दोनों कर सके, इसके लिए भी समय को अलग रखना चाहिए। टीवी देखने व दूसरे प्रकार के मनोरंजन के कार्यों में कितना समय बिताया जाता है, इस पर सीमा निर्धारित कीजिए। कलीसिया की सभी सभाओं में हाज़िर होने का दृढ़संकल्प कीजिए, और बाक़ी सब कामों को इसके इर्द-गिर्द व्यवस्थित कीजिए। ऐसी योजना बनाइए जिससे कि हर सप्ताह पूरा परिवार क्षेत्र सेवा में हिस्सा ले सके।
५ इसमें कोई शक नहीं कि अपने जीवन में ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बातों को प्रथम स्थान देना हर्ष का कारण साबित होगा।