पुरानी किताबों का अच्छा इस्तेमाल कीजिए
इंसान ने इस पृथ्वी के हर कोने में लाखों पुरानी किताबें लाइब्ररियों में जमा कर रखी हैं। पर इंसान को इनसे हमेशा के लिए फायदा हुआ है क्या? (सभो. १२:१२) लेकिन वो किताबें कितनी कीमती हैं जो यह बताती हैं कि परमेश्वर का राज्य क्या है और यह इंसानों के लिए क्या करेगा। कई कलीसियाओं में इस तरह की बहुत-सी किताबें रखी हैं। इन पुरानी किताबों को जनवरी महीने में हम लोगों को देंगे।
२ ये वाकई बहुत अनमोल हैं: हममें से कुछ लोग शायद सोचें कि हमारी नई-नई किताबों के आगे तो ये किताबें पुरानी हो चली हैं, मगर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इनमें बाइबल की सच्चाइयाँ बताई गई हैं। इनमें राज्य के बारे में जो संदेश है वह आज भी अनमोल है और अगर उसके मुताबिक काम किया जाए तो लोगों का जीवन बच सकता है। (यूह. १७:३) इसलिए इन पुरानी किताबों का अच्छा इस्तेमाल करने के लिए हमें अपनी तरफ से ज़्यादा कोशिश करनी चाहिए।
३ इनका क्या मोल है, यह समझने में एक स्त्री का अनुभव हमारी और भी मदद करता है। उसकी नानी मरते वक्त वॉचटावर सोसाइटी की कई पुरानी किताबें छोड़ गई थी जो उसे मिलीं। एक साक्षी ने इस स्त्री से पूछा कि क्या आप जानती हैं कि इन किताबों का असली मोल क्या है। स्त्री ने कहा: “मैं तो नहीं जानती, लेकिन जानूँ भी कैसे?” वह स्त्री बाइबल स्टडी के लिए राज़ी हो गई, उसने सच्चाई को अपनाया और उसके बाद वह अपनी नानी की लाइब्ररी का मोल समझने लगी। विरासत में मिली ये पुरानी किताबें सचमुच कितनी अनमोल साबित हुईं!
४ इन्हें लोगों को दीजिए: इन पुरानी किताबों को घर-घर की सेवकाई में पेश करने के अलावा ध्यान रहे कि अपनी पुनःभेंटों में आप इन्हें ऐसे लोगों को दें जिन्हें हमारी किताबें पढ़ना अच्छा लगता है। ये किताबें उन्हें भी दीजिए जिन्होंने प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! का अभिदान कराया है या जो हमारे मैगज़ीन रूट पर हैं। जिनके साथ आप बाइबल स्टडी करते हैं उन्हें अधिक जानकारी देने के लिए कुछ खास पुरानी किताबें दीजिए। इससे सच्चाई के बारे में उनकी समझ और बढ़ेगी। आपकी अपनी लाइब्ररी में भी अगर इन पुरानी किताबों में से कोई किताब नहीं है तो अपने लिए इसे लेना न भूलें। इस तरह आप बाइबल को समझानेवाली किताबों की एक अनमोल लाइब्ररी बनाएँगे जो अध्ययन करते वक्त आपके ज्ञान के भंडार को और बढ़ाएगी।
५ पुरानी किताबों को रखे रहने के बजाय आइए हम लोगों की दिलचस्पी जगाने में इनका अच्छा इस्तेमाल करें ताकि वे ‘परमेश्वर का भय मानें और उसकी आज्ञाओं का पालन करें।’—सभो. १२:१३.