सुसमाचार की भेंट—पुराने प्रकाशनों के साथ
परमेश्वर की उपासना करने का निश्चय लेना बहुत महत्त्वपूर्ण है। उसका अर्थ हमारा जीवन है। इस तरह, सही ज्ञान पाना और उसे लागू करने का विवेक हासिल करना एक सार्थक लक्ष्य है।—नीति. २३:२३; यूहन्ना १७:३.
२ ज्ञान प्राप्त करने और विवेक में बढ़ने के लिए, हमें परमेश्वर के वचन को परिश्रमपूर्ण अध्ययन करना चाहिए। इस तरह, हम उसके आदेशों, नियमों, अनुस्मारकों, और सलाहों से परिचित होते हैं। हमें, अपने लोगों के साथ यहोवा के व्यवहारों के इतिहास पर मनन करना चाहिए। यहोवा उन्हें जो उसकी निष्कपट रूप से खोजनेवालों को उदारता से ज्ञान और विवेक देता है। बीते वर्षों में उसकी संस्था द्वारा उसने, प्रकाशनों की एक प्रचुर मात्रा दी है जो बाइबल ज्ञान के कई क्षेत्रों को पूर्ण करते हैं। ये उनके लिए बहुत लाभदायक हो सकता है जिन्होंने यहोवा को नहीं जाना है।
पुराने प्रकाशनों का मुल्य
३ फरवरी और मार्च के दौरान १९८० से पहले प्रकाशित कोई भी १९२-पृष्ठ पुस्तकों का उपयोग किया जा सकता है। इन प्रकाशनों में जानकारी का एक खज़ाना है। वे लोगों के लिए सचमुच बहुत आध्यात्मिक मूल्य रख सकता है। (मत्ती ५:१४-१६ देखें।) तो चलो, इन दो महिनों के दौरान, हम उन सब पुराने प्रकाशनों की भेंट करें जो मण्डली के संचय में है।
४ लोगों के हाथों मे इन प्रकाशनों को पहुँचाना कितना महत्त्वपूर्ण है यह हम एक व्यक्ति के इस अनुभव पर ध्यान देने से जान सकते हैं, जिसने उसकी पत्नी से, जो एक गवाह थी, इन पुरानी पुस्तकों में से एक, एक उपहार के रूप में पाया। उस समय तक, उन्होंने बाइबल में बिल्कुल रुचि नहीं दिखाया था। उस बहन को आश्चर्य लगा, कि उन्होंने उस पुस्तक का पठन एक शाम को ही पूर्ण कर दिया। बाइबल में, परमश्वर के वचन के रूप में, उसका विश्वास इतना स्थिर हुआ कि उसने मण्डली की अगली सभा में उपस्थित हुआ और एक बाइबल अध्ययन के लिए निवेदन किया। तीन महिनों के अन्दर ही वह क्षेत्र सेवकाई में जाना आरम्भ किया और अब बपतिस्मा पाया हुआ है।
एक सकारात्मक मनोवृत्ति रखो
५ परमेश्वर के वचन की शक्ति को कम न समझना। इसलिये कि ये पुराने प्रकाशन, बाइबल की सच्चाइयों पर विशेष बल देते हैं, उन्हें एक सकारात्मक मनोवृत्ति से प्रस्तुत करें। निस्सन्देह, आप यह निश्चित करेंगे कि जो पुस्तकों की भेंट आप कर रहे हैं, उनकी हालत अच्छी हो। अगर पुस्तके खराब हो गयी हैं, या पन्ने पीले पड़ गए हैं, उनकी घर-घर में भेंट नही करना चाहिए, क्योंकि यह संदेश के महत्त्व को कम कर सकता है।
६ अगर आपकी मण्डली में ये १९२-पृष्ठ पुस्तकें नहीं है, जो इस अभियान के उपयोग कि लिए निश्चित हैं, तो फिर आप किसी और १९२-पृष्ठ पुस्तक १० रुपए के चन्दे में दे सकते हैं।
७ हम सब इन पुराने प्रकाशनों के साथ परमेश्वर के वचन से ज्ञान बाँटने के द्वारा एक उत्पादनकारी सेवकाई का आनन्द उठाएं! यह उन सब के अनन्त हित के लिए होगा जिन को हम गवाही देते हैं।