अच्छा व्यवहार करना जिससे परमेश्वर की महिमा हो
हमारा व्यवहार, हमारे कपड़े और हमारा सजने-सँवरने का ढंग, ये सब लोगों को हमारे बारे में और हमारे परमेश्वर के बारे में काफी कुछ बताते हैं। और जब हम बड़ी तादाद में इकट्ठे हों, तब तो यह और भी ज़्यादा ज़ाहिर होता है, क्योंकि कई लोगों की नज़रें हम पर टिकी होती हैं। इन्हीं के आधार पर लोग हमारे संगठन और हमारे परमेश्वर के बारे में राय कायम करते हैं। सो, जब हम अच्छा व्यवहार करते हैं, शालीन कपड़े पहनते हैं और ठीक तरह से सजते-सँवरते हैं, तो इससे हमारे परमेश्वर, यहोवा की महिमा होती है। (1 पत. 2:12) मगर, सिर्फ थोड़े-से भाई-बहनों के बुरे व्यवहार या लापरवाही की वजह से यहोवा के नाम पर, और हम सभी के नाम पर कलंक लग सकता है। (सभो. 9:18ख) इसलिए हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हम, ‘सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये करें।’—1 कुरि. 10:31.
2 होटल में अच्छा व्यवहार: ज़्यादातर होटल के कर्मचारी, यहोवा के साक्षियों की अच्छी व्यवस्था, उनके अच्छे व्यवहार और साफ-सफाई को देखकर काफी खुश हुए हैं। एक होटल में साक्षियों के कुछ परिवार रुके थे। उनके बारे में होटल के मैनेजर ने कहा: “यहोवा के साक्षियों के बच्चों के बारे में तो पूछो ही मत! इतने अच्छे बच्चे तो मैंने ज़िंदगी में आज तक नहीं देखे! बिलकुल सलीकेदार कपड़े पहनते हैं, अदब से पेश आते हैं, दूसरों का लिहाज़ करते हैं, और कभी शिकायत का मौका नहीं देते। ऐसे बच्चों के लिए वाकई आपकी तारीफ करनी चाहिए। आप अपने बच्चों के साथ हमारे होटल में पधारे, हमारे साथ रहे, सचमुच हमें बहुत अच्छा लगा।” ऐसी तारीफ हमें अकसर सुनने को मिलती है, क्योंकि हम जिन लोगों के साथ संबंध रखते हैं वे हमारे बीच प्यार और आदर देखते हैं।
3 मगर, कुछ दूसरे होटल के कर्मचारियों की बातों से पता चलता है कि कुछ भाई-बहन ठीक तरह से पेश नहीं आ रहे या होटल के साधनों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे कई समस्याएँ पैदा होती हैं और साक्षियों का नाम बदनाम होता है। कुछ मैनेजरों ने शिकायत की है कि स्विमिंग पूल या दूसरे मनोरंजन की जगहों पर माँ-बाप अपने बच्चों और नौजवानों पर निगरानी नहीं रखते, जिसकी वजह से वे बहुत ऊधम मचाते हैं।
4 ज़्यादातर होटलों के कुछ अपने कायदे-कानून होते हैं। मगर कुछ भाई इनकी कोई परवाह नहीं करते और बहुत शोर मचाते हैं या इजाज़त न होते हुए भी कमरे में खाना बनाते हैं। होटल मैनेजरों का कहना है कि यह उनकी प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल है। इससे न सिर्फ कमरों का नुकसान होता है, बल्कि उसके बाद खाने की महक की वजह से वे कई दिनों या हफ्तों तक दूसरे मेहमानों को ये कमरे नहीं दे पाते। जब तक कि कमरे में खाना बनाने की साफ इजाज़त न दी गयी हो तब तक होटल के कमरे में खाना नहीं बनाना चाहिए।
5 होटलवालों का साथ देने की हमें पूरी कोशिश करनी चाहिए। हम नहीं चाहते यहोवा के साक्षियों पर कोई कलंक लगे। सो, एक मसीही होने के नाते, हमें हर समय ईमानदारी से पेश आना चाहिए। हमें होटल की चादरें और तौलिए या दूसरी कोई भी चीज़ “निशानी” के तौर पर नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि यह चोरी है। साथ ही, कमरे की बुकिंग करते समय या होटल का कमरा लेते समय एक रूम में कितने लोग ठहरेंगे, इसके बारे में हमें सच-सच बोलना चाहिए।
6 अधिवेशन में अच्छे कपड़े पहनना और अच्छा बरताव करना: अधिवेशन चाहे जहाँ भी हो, हमें इसे एक बड़े किंगडम हॉल की तरह मानना चाहिए। जिस तरह हम सभाओं के लिए अच्छे कपड़े पहनते हैं और ठीक ढंग से सजते-सँवरते हैं, उसी तरह हमें अधिवेशन के लिए भी तैयार होना चाहिए। अधिवेशन के बाद भी भाई-बहनों के कपड़े उचित होने चाहिए। बेहूदा या अजीब किस्म के कपड़े पहनने से यह दिखेगा कि हम दुनिया के रंग में रंगे हैं। और इससे दुनियावालों और हमारे बीच फर्क करना मुश्किल हो जाएगा। खासकर बहनों को ध्यान रखने की ज़रूरत है कि उनकी ड्रॆस शालीन हो और स्कर्ट की लंबाई सही हो। (1 तीमु. 2:9, 10) इसलिए चाहे हम अधिवेशन में हाज़िर हों या होटल में रुके हों, चाहे हम रेस्टोरेन्ट में खाना खा रहे हों या बाज़ार में खरीदारी कर रहे हों, हमें हर समय इस बात का सबूत देना चाहिए कि हम परमेश्वर के सेवक हैं और किसी को ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देना चाहते।—2 कुरि. 6:3.
7 अधिवेशन में शनिवार की सुबह को बपतिस्मा होगा। अप्रैल 1, 1995 की प्रहरीदुर्ग के पेज 30 पर यह बताया गया था कि ऐसे मौके पर हमें किस तरह पेश आना चाहिए। उसमें लिखा था: ‘बपतिस्मे को उचित गंभीरता से लेना चाहिए। यह जज़्बाती होने का, पार्टियों, या कोलाहल मचाने का समय नहीं है। लेकिन यह मायूस या सख्त होने का समय भी नहीं है।’ बपतिस्मा लेनेवाले भाई-बहनों को सलीकेदार कपड़े पहनने चाहिए। इसलिए सभी को मसीही बपतिस्मा की गंभीरता और खुशी, दोनों को ध्यान में रखना चाहिए।
8 पतरस हमें याद दिलाता है कि हमें “पवित्र चालचलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए।” (2 पत. 3:11) आइए हम “परमेश्वर के वचन पर चलनेवाले,” इस ज़िला अधिवेशन में अपनी बातों से और अपने कामों के द्वारा नेकदिल इंसानों को हमारे उस महान परमेश्वर को जानने और उपासना करने में मदद करें, जो महिमा और आदर के योग्य है।—1 कुरि. 14:24, 25.