पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! जन.-मार्च
“हालाँकि हम भारत के वासी, परिवार के अच्छे संस्कारों पर नाज़ करते हैं, फिर भी क्या आप सोचते हैं कि यह समस्या आज मौजूद है? [सजग होइए! का पहला पेज दिखाइए और जवाब के लिए रुकिए।] दिलचस्पी की बात है कि ऐसे बिगड़ते हालात के बारे में शास्त्र में पहले ही भविष्यवाणी की गयी थी। [2 तीमुथियुस 3:1, 3 पढ़िए।] इस अंक में व्यावहारिक सलाहें दी गयी हैं जो हम इस समस्या के शिकार लोगों को दे सकते हैं। साथ ही इसमें यह भी चर्चा की गयी है कि इस समस्या को कैसे हमेशा के लिए हल किया जाएगा।”
प्रहरीदुर्ग फर. 15
“क्या आपने कभी सोचा है कि कैसे हम अपनी ज़िंदगी बेहतर तरीके से चला सकते हैं और अपने जीवन के अहम फैसले कर सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] कुछ बेहतरीन मार्गदर्शन बाइबल में दिए गए हैं जैसे कि सुनहरा नियम। [मत्ती 7:12 पढ़िए।] परमेश्वर के और कौन-से सिद्धांत हैं जिनसे हमें सीधे-सीधे फायदा हो सकता है? इसका जवाब आपको इस पत्रिका में मिलेगा।”
सजग होइए! जन.-मार्च
“ग्यारह सितंबर को आतंकवादी हमलों की वजह से हर जगह लोग यह सोच रहे हैं कि परमेश्वर क्यों इस तरह के हादसे होने देता है। इस बारे में आपकी क्या राय है? [जवाब के लिए रुकिए।] परमेश्वर के पास दुष्टता को इजाज़त देने का एक कारण है, लेकिन उसके बरदाश्त करने का समय जल्द ही खत्म होने पर है। [प्रकाशितवाक्य 21:4, 5 पढिए।] पेज 16 पर दिए गए इस लेख में समझाया गया है कि एक बदलाव आनेवाला है।”
प्रहरीदुर्ग मार्च 1
“आज दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, उसे देखकर हममें से ज़्यादातर लोग इस सोच में पड़ जाते हैं कि भविष्य में क्या होगा। अपनी मशहूर प्रार्थना में यीशु मसीह ने एक वजह बतायी जिससे हम पूरे विश्वास के साथ उज्ज्वल भविष्य की आशा कर सकते हैं। [मत्ती 6:9, 10 पढ़िए।] आज इंसान उन्हीं गलतियों को दोहरा रहा है जो बहुत पहले की गयी थीं। लेकिन उस ज़माने में भी जिन्होंने यहोवा की सेवा की, उन्हें अच्छा भविष्य मिला। यह पत्रिका बताती है कि हम भी कैसे अच्छा भविष्य पा सकते हैं।”