पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जन.-मार्च
“जब लोग ज़ुल्म के शिकार होते हैं, तो वे भगवान् से प्रार्थना करते हैं कि वह उनकी मदद करे। ऐसी ही एक प्रार्थना पिछले 2,000 सालों से की जा रही है। क्या मैं आपको उस प्रार्थना का एक छोटा-सा भाग पढ़कर सुना सकता हूँ? [अगर घर-मालिक राज़ी होता है, तो मत्ती 6:9,10 पढ़िए।] क्या आप जानना चाहेंगे कि यह राज्य क्या है और कब आएगा? [अगर घर-मालिक ‘हाँ’ कहता है, तो पत्रिका पेश कीजिए।] यह पत्रिका दिखाती है कि इस बारे में बाइबल क्या कहती है।”
सजग होइए! जन.-मार्च
“इंसान की शुरूआत से लेकर आज तक, औरतें भेदभाव और हिंसा की शिकार बनती आयी हैं। आपको क्या लगता, ऐसा क्यों होता है? [जवाब के लिए रुकिए।] क्या मैं आपको बता सकता हूँ कि पतियों को अपनी-अपनी पत्नी के साथ कैसे पेश आना चाहिए, इस बारे में सिरजनहार उन्हें क्या हिदायत देता है? [अगर घर-मालिक ‘हाँ’ कहता है, तो 1 पतरस 3:7 पढ़िए।] अगर आप जानना चाहते हैं कि परमेश्वर, स्त्रियों के बारे में कैसा नज़रिया रखता है, तो मैं चाहूँगा कि आप यह पत्रिका पढ़ें।”