पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! जन.-मार्च
“यह तो आपने देखा ही होगा कि पिछले कुछ सालों से परिवार में मारपीट बढ़ गयी है। क्या आपने कभी सोचा है कि जो अपने ही घर में इस तरह की तकलीफें झेल रहे हैं उनकी मदद कैसे की जा सकती है? [जवाब के बाद, भजन 72:12, 14 पढ़िए।] यह लेख, ‘मारपीट की शिकार औरतों के लिए मदद’ में इस बढ़ती समस्या के एक पहलू पर चर्चा की गयी है और यह एक उम्मीद के बारे में भी बताता है। आप शायद ऐसे व्यक्ति को जानते होंगे जिसे इस जानकारी से फायदा हो सकता है।”
प्रहरीदुर्ग मार्च 15
“क्या आप इस बात से सहमत हैं कि अगर इस धरती पर एक धर्मी सरकार का राज हो तो यह जीने के लिए एक बेहतरीन जगह बन जाएगी? [जवाब के लिए रुकिए।] बाइबल में दिए गए इन वादों पर ज़रा गौर कीजिए। [भजन 37:11 पढ़िए।] हम ऐसी ही शांति का मज़ा ले सकते हैं। यह शांति एक काबिल नेता के राज में हकीकत का रूप लेगी। इस काबिल नेता की पहचान इन लेखों में दी गयी है।”
सजग होइए! जन.-मार्च
“बहुत-से लोगों को लगता है कि आज की दुनिया में जो खुल्लम-खुल्ला बुराई करते हैं, उनकी ज़िंदगी अच्छे लोगों से ज़्यादा चैन से कटती है। क्या आपकी राय में इस बात में कोई सच्चाई है? [जवाब के लिए रुकिए।] यह लेख, “परमेश्वर किस हद तक बरदाश्त करता है?” हमें दिखाता है कि किसी वाजिब कारण से परमेश्वर ने मौजूदा हालात को चलने दिया है, मगर बहुत जल्द उसके बरदाश्त करने की हद खत्म होगी। तब अच्छे और बुरे लोगों का क्या होगा, इस पत्रिका में इसका जवाब पढ़कर आपको ज़रूर खुशी होगी।”
प्रहरीदुर्ग अप्रै. 1
“मैं आपको बाइबल से एक अच्छी बात बताना चाहता हूँ। [मत्ती 22:37 पढ़िए।] आपकी राय में इसका क्या मतलब हो सकता है? [जवाब के लिए रुकिए।] इस लेख को देखिए जिसका शीर्षक है, ‘अपने दिल और दिमाग से परमेश्वर की खोज करें।’ क्या सच्चा विश्वास सिर्फ दिल से किया जा सकता है या उसमें दिमाग से भी काम लेने की ज़रूरत होती है? इसमें दिए गए जवाब से आपको वाकई काफी जानकारी मिलेगी।”