पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! अप्रै.-जून
“आज टीचरों पर छोटे बच्चों की दिमागी काबिलीयत बढ़ाने की ज़िम्मेदारी है और उनका बच्चों पर सालों तक असर पड़ सकता है। क्या आपको लगता है कि हमारे टीचर, बच्चों पर अच्छा असर डाल रहे हैं? [नीतिवचन 2:10, 11 पढ़िए।] सजग होइए! बताती है कि टीचर कितनी अहम भूमिका निभाते हैं और माता-पिता क्या कर सकते हैं ताकि वे उन्हें इस मुश्किल काम को पूरा करने में मदद दे सकें।”
प्रहरीदुर्ग जून 15
“क्या आपको लगता है कि हम कभी इस तरह की समस्याओं का हल होता हुआ देख सकेंगे? [पहले लेख में दिया पहला हवाला पढ़िए और फिर जवाब के लिए रुकिए।] परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया वचन हमें यकीन दिलाता है कि ये समस्याएँ बहुत जल्द मिट जाएँगी। [भजन 72:12-14 पढ़िए।] प्रहरीदुर्ग पत्रिका का यह अंक बताता है कि इन समस्याओं का अंत कैसे होगा।”
सजग होइए! अप्रै.-जून
“बहुत-से लोग समझते हैं कि दोष की भावनाएँ होना ठीक नहीं है। आपको क्या लगता है, क्या ऐसी भावनाओं से हमारा कुछ भला हो सकता है? [जवाब सुनने के बाद, भजन 32:3, 5 पढ़िए।] सजग होइए! का यह अंक बताता है कि ये भावनाएँ हमें सही काम करने के लिए कैसे उकसा सकती हैं।”
प्रहरीदुर्ग जुलाई 1
“लाखों लोग, उपासना करते वक्त मूर्तियों या धार्मिक तसवीरों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि लाखों ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि उपासना में इन चीज़ों का इस्तेमाल करना गलत है। क्या आपने कभी सोचा है कि इस मामले में परमेश्वर कैसा महसूस करता है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर यूहन्ना 4:24 पढ़िए।] इन लेखों में बताया गया है कि उपासना में धार्मिक तसवीरों का इस्तेमाल करना कैसे शुरू हुआ और मूर्तिपूजा के बारे में बाइबल क्या कहती है।”