पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! अप्रै.-जून
“सजग होइए! का यह अंक हमारे समय की एक खौफनाक हकीकत के बारे में बताता है, वह है बाल वेश्यावृत्ति। बाइबल वादा करती है कि बच्चों के साथ हो रहे इस घिनौने अत्याचार का बहुत जल्द अंत होगा। [नीतिवचन 2:21, 22 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि बच्चों का शोषण किन कारणों से किया जाता है और इसे कैसे रोका जाएगा।”
प्रहरीदुर्ग अप्रै. 15
“हाल के सालों में बहुत-से लोगों ने गौर किया है कि आध्यात्मिक बातों को लेकर हमारे आदर्श गिरते जा रहे हैं। क्या आपको भी ऐसा लगता है? [जवाब के लिए रुकिए। उसके बाद भजन 119:105 पढ़िए।] आध्यात्मिक आदर्श, एक इंसान को जीवन में आनेवाले बहुत-से फँदों से बचाते हैं। यह पत्रिका समझाती है कि सच्चे आध्यात्मिक आदर्श कहाँ मिल सकते हैं।”
सजग होइए! अप्रै.-जून
“स्कूल जानेवाले बच्चों को सिखाया जाता है कि ईमानदारी ही सबसे बढ़िया नीति है। लेकिन आपकी राय में बहुत-से बच्चे इम्तहानों में नकल क्यों करते हैं और क्या इससे उन्हें वाकई कोई फायदा होता है? [जवाब के लिए रुकिए और फिर इब्रानियों 13:18 पढ़िए।] सजग होइए! का यह अंक [पेज 17 खोलिए] इस सवाल का जवाब देता है, नकल करने में क्या बुराई है?”
प्रहरीदुर्ग मई 1
“कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनका जवाब देना इंसान के बस में नहीं। इस उदाहरण पर गौर कीजिए। [अय्यूब 21:7 पढ़िए।] क्या आपके मन में ऐसा कोई सवाल है जो आप परमेश्वर से पूछना चाहते हों? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि कैसे धरती के कोने-कोने में रहनेवाले लोगों को जीवन के तीन अहम सवालों का संतोषजनक जवाब मिला है।”