पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! जुला.-सितं
“कीड़ों से होनेवाली बीमारियाँ आज हमारी सेहत के लिए एक बड़ा खतरा बन गयी हैं। क्या आप जानते हैं कि हम अपना बचाव करने के लिए कुछ एहतियात बरत सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका उन एहतियाती कदमों के बारे में बताती है, साथ ही परमेश्वर के इस वादे के बारे में भी बताती है कि ऐसा समय आएगा जब कोई बीमारी नहीं होगी।” आखिर में यशायाह 33:24 पढ़िए।
प्रहरीदुर्ग जुला. 15
“बहुत-से लोगों ने गौर किया है कि इंसान का अपने आपको दूसरों से अलग करने का चलन बढ़ रहा है। क्या आप सोचते हैं कि ऐसा करना सही है? [जवाब के लिए रुकिए।] एक-दूसरे की संगति कितनी ज़रूरी है, इसके बारे में देखिए कि यहाँ कैसी बुद्धिमानी की बात कही गयी है। [सभोपदेशक 4:9, 10 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि हम सभी को एक-दूसरे की ज़रूरत क्यों है और अलग-थलग रहने की समस्या कैसे हल हो सकती है।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“आज लोगों की एक बहुत बड़ी समस्या यह है कि दूसरों के साथ उनकी ठीक से बनती नहीं है। हमारे बात करने का तरीका, दूसरों के साथ हमारे रिश्ते पर बहुत असर करता है, है ना? [जवाब के लिए रुकिए। पेज 14 पर दी गयी तसवीर दिखाइए और इस लेख का शीर्षक पढ़िए।] सजग होइए! के इस अंक में कुछ व्यवहारिक सलाह दी गयी हैं।” इफिसियो 4:29 पढ़कर अपनी बात खत्म कीजिए।
प्रहरीदुर्ग अग. 1
“क्या आप जानते हैं कि एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की पचास प्रतिशत से ज़्यादा आबादी गरीबी से जूझ रही है? आप क्या सोचते हैं इस समस्या से निजात पाने के लिए कुछ किया जा सकता है? [जवाब के लिए रुकिए।] प्रहरीदुर्ग पत्रिका का यह अंक बताता है कि बाइबल के मुताबिक गरीबी कैसे हमेशा के लिए मिटा दी जाएगी।”—भजन 72:12, 13, 16 पढ़िए।