पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग फर. 15
“कभी-कभी हम किसी चमत्कार के होने की खबर सुनते हैं। [एक उदाहरण दीजिए।] कुछ लोग इन खबरों को सच मान लेते हैं तो कुछ इन पर शक करते हैं। यह पत्रिका इस सवाल की जाँच करती है कि बाइबल में बताए चमत्कार सचमुच में हुए थे या नहीं, और क्या आज भी ऐसे चमत्कार होते हैं?” यिर्मयाह 32:21 पढ़िए।
सजग होइए! जन.-मार्च
“कई लोग समझते हैं कि बच्चों को छोटी उम्र से ही ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। क्या आपको लगता है कि आज के ज़माने में ऐसी ट्रेनिंग देना ज़रूरी है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर नीतिवचन 22:6 पढ़िए।] सजग होइए! का यह अंक ऐसी खास बातों की चर्चा करता है जिन पर अमल करने से माँ-बाप अपने बच्चों को नेक और कामयाब इंसान बनने में मदद दे सकेंगे।”
प्रहरीदुर्ग मार्च 1
“अगर सभी इस सलाह को मानकर चलें, तो क्या आपको लगता है कि यह दुनिया एक बेहतर जगह होगी? [रोमियों 12:17, 18 पढ़िए। फिर जवाब के लिए रुकिए।] मगर, अफसोस कि कभी-कभी आपस में लोगों की खटपट हो ही जाती है। यह पत्रिका दिखाती है कि कैसे बाइबल की सलाह मानने से झगड़े मिटाए जा सकते हैं और शांति दोबारा कायम की जा सकती है।”
सजग होइए! जन.-मार्च
“बच्चे बड़े होकर समझदार और अच्छे इंसान बनें, इसके लिए क्या माता-पिता कुछ कर सकते हैं? ध्यान दीजिए कि ऐसा करने के नतीजे क्या होते हैं। [नीतिवचन 23:24, 25 पढ़िए और फिर पेज 20 पर दिया लेख खोलिए।] इस लेख में कुछ सुझाव दिए गए हैं जो अनुशासन देते हुए बच्चों की परवरिश करने में मददगार हैं।”