राज्य का प्रचार करना —सेवा का एक अनमोल अवसर
यहोवा ने कुदरत में ऐसे इंतज़ाम किए हैं जिनकी बदौलत इंसान ज़िंदा रह पाता है। और हर दिन करोड़ों लोग यहोवा की इस दरियादिली का फायदा उठाते हैं। (मत्ती 5:45) मगर ऐसे लोग बहुत कम हैं जिन्हें अपने जीवन-दाता के लिए एहसानमंदी दिखाने का एक अनोखा अवसर मिला है। वह अवसर है, परमेश्वर के राज्य की खुशखबरी फैलाना। (मत्ती 24:14) आप इस अनमोल अवसर की कितनी कदर करते हैं?
2 राज्य के प्रचार काम से परमेश्वर की महिमा होती है, और ऐसे लोगों को मन का सुकून और उम्मीद मिलती है, जो आज के दर्दनाक हालात की वजह से बुरी तरह हताश हैं। (इब्रा. 13:15) जो लोग इस संदेश को कबूल करते हैं, उन्हें हमेशा की ज़िंदगी पाने की आशा मिलती है। (यूह. 17:3) दुनिया का और कौन-सा काम या पेशा लोगों को ऐसे फायदे पहुँचा सकता है? प्रेरित पौलुस ने प्रचार करने की ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाकर उसके लिए अपनी कदरदानी दिखायी। वह इस ज़िम्मेदारी को एक अनमोल खज़ाना समझता था।—प्रेरि. 20:20, 21, 24; 2 कुरि. 4:1, 7.
3 अपने अनमोल अवसर के लिए एहसान दिखाना: इस अवसर के लिए अपना एहसान दिखाने का एक तरीका है, खुद की जाँच करना कि हम अपनी सेवा को कितनी अच्छी तरह से कर रहे हैं। क्या हम वक्त निकालकर ऐसी पेशकश तैयार करते हैं जिससे सुननेवालों के दिलों पर असर हो? क्या हम आयतों का इस्तेमाल करने और लोगों को दलीलें देकर समझाने की काबिलीयत को और भी निखार सकते हैं? हमें प्रचार का जो इलाका सौंपा जाता है, क्या उसे हम अच्छी तरह पूरा करते हैं? क्या हम बाइबल अध्ययन शुरू करना और उसे चलाना जानते हैं? पहली सदी के और आज के वफादार मसीहियों की तरह, हम भी प्रचार काम के बारे में सही नज़रिया रखते हैं और इस काम को एक अनोखी आशीष मानते हैं।—मत्ती 25:14-23.
4 जब हम ढलती उम्र या खराब सेहत की वजह से तकलीफें झेल रहे होते हैं या कुछ और मुश्किलों का सामना करते हैं, तब हमें यह जानकर बहुत दिलासा मिलता है कि ऐसे हालात में भी हम जोश के साथ जो सेवा करते हैं, उसकी बहुत कदर की जाती है। परमेश्वर का वचन हमें भरोसा दिलाता है कि यहोवा ऐसी मेहनत की बहुत कदर करता है। यहाँ तक कि उसकी सेवा में किए जानेवाले छोटे-से-छोटे काम की भी वह बहुत कदर करता है, जो शायद दूसरों की नज़र में न के बराबर हो।—लूका 21:1-4.
5 राज्य का प्रचार करना, मन को गहरी खुशी देनेवाला काम है। बानवे साल की एक बुज़ुर्ग बहन ने कहा: “यह मेरे लिए कितने सम्मान की बात है कि मैंने 80 से भी ज़्यादा साल यहोवा की सेवा में गुज़ारे हैं। और इसका मुझे बिलकुल भी अफसोस नहीं है! अगर मुझे दोबारा जीने का मौका दिया जाए तो बेशक मैं इसी तरह की ज़िंदगी जीना पसंद करूँगी जैसी मैंने अब तक बितायी है, क्योंकि ‘परमेश्वर की करुणा जीवन से भी उत्तम है।’” (भज. 63:3) आइए हम भी राज्य का प्रचार करने की अपनी ज़िम्मेदारी को संजोए रखें, क्योंकि यह परमेश्वर का दिया एक अनमोल अवसर है।