पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग नवं. 15
“बहुत-से लोगों को समझ नहीं आता कि आखिर इंसान की समस्याएँ कम होने के बजाय, क्यों दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि इसकी एक वजह यह हो सकती है, जो इस आयत में बताया गया है? [प्रकाशितवाक्य 12:9 पढ़िए। फिर जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि इब्लीस लोगों को भरमाने के लिए क्या-क्या हथकंडे इस्तेमाल करता है और हम कैसे अपने आपको बचा सकते हैं।”
सजग होइए! अक्टू.–दिसं.
“क्या आपको लगता है कि हम जिस तरह के लोगों से दोस्ती करते हैं, उससे हम पर फर्क पड़ता है? [1 कुरिन्थियों 15:33 पढ़िए, और फिर पेज 11 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में ऐसे कारगर सुझाव दिए गए हैं जो हमें गलत सोहबत से दूर रहने में मदद दे सकते हैं।”
प्रहरीदुर्ग दिसं. 1
“शब्द ‘आर्मागेडन’ सुनते ही बहुत-से लोगों के मन में दुनिया की तबाही का खौफनाक मंज़र छा जाता है। [पेज 3 पर दिया बक्स दिखाइए।] लेकिन अगर हम आपसे कहें कि असल में आर्मागेडन इस दुनिया में घटनेवाली सबसे बेहतरीन घटना होगी, तो क्या आपको यकीन करना मुश्किल लगेगा? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका समझाती है कि हम ऐसा क्यों कह सकते हैं।” दूसरा पतरस 3:13 पढ़िए।
सजग होइए! अक्टू.–दिसं.
“आज ज़्यादातर लोगों के पास इतना पैसा नहीं कि वे एक अच्छे घर में रह सकें। क्या आपको लगता है कि एक दिन ऐसा आएगा जब हर किसी के पास रहने को अच्छा घर होगा? [जवाब के लिए रुकिए।] आज हर कहीं मकान की जो समस्या है, इस बारे में सजग होइए में ताज़ा-तरीन रिपोर्ट दी गयी है। साथ ही, इसमें बताया गया है कि हम क्यों भरोसा रख सकते हैं कि परमेश्वर का यह वादा ज़रूर पूरा होगा।” यशायाह 65:21, 22 पढ़िए।