पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“आपकी राय में क्या बात लोगों को अपने मन से भेद-भाव मिटाने में मदद दे सकती है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर मत्ती 7:12 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि भेद-भाव की जड़ें क्या हैं, और हम उन्हें अपने दिल से कैसे उखाड़ फेंक सकते हैं।”
प्रहरीदुर्ग नवं. 15
“ज़्यादातर लोग सेहतमंद रहना और लंबी उम्र पाना चाहते हैं। लेकिन मान लीजिए कि इंसान के लिए हमेशा-हमेशा जीना मुमकिन है, तो क्या आप जीना चाहेंगे? [जवाब के लिए रुकिए। फिर यूहन्ना 17:3 पढ़िए।] बाइबल में हमेशा की ज़िंदगी का जो वादा दिया गया है, उसके बारे में इस पत्रिका में चर्चा की गयी है। इसमें यह भी समझाया गया है कि जब वह वादा पूरा होगा, तो ज़िंदगी कैसी होगी।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“आज दुनिया में भेद-भाव के चलते जो कत्लेआम हो रहे हैं, उनकी खबरें सुनकर ज़रूर आपका दिल दहल जाता होगा। यह सच है कि भेद-भाव की वजह से हमेशा कत्ल नहीं होते, फिर भी क्या आपको नहीं लगता कि इससे लोगों में फूट और नफरत पैदा होती है? [जवाब के लिए रुकिए।] सजग होइए! का यह लेख समझाता है कि भेद-भाव के ऐसे रवैयों को दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है।”—मत्ती 7:12 पढ़िए।
प्रहरीदुर्ग दिसं. 1
“सही-गलत में फर्क करने की काबिलीयत एक ऐसी खासियत है जो सिर्फ इंसानों में पायी जाती है, जानवरों में नहीं। लेकिन अफसोस, बहुत-से लोग फिर भी बुरे काम करते हैं। आपके खयाल से इसकी वजह क्या है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर यिर्मयाह 17:9 या प्रकाशितवाक्य 12:9 पढ़िए।] यह पत्रिका समझाती है कि सही क्या है, उसे जानने और करने में कौन-सी बात हमारी मदद कर सकती है।”